उच्च शिक्षा नीति
उच्च शिक्षा नीति अथवा हायर एजुकेशन पॉलिसी (higher education policy) उस शिक्षा नीति के लिए प्रयुक्त शब्दावली है जो उच्च शिक्षा संस्थानों यथा विश्वविद्यालयों, शोध अथवा तकनीकी संस्थानों आदि के लिए होती है। इसमें उनके सामाजिक रूप से संचालन, वित्त पोषण एवं नियमबद्ध होना शामिल है। सामान्य वैश्विक शोध में उच्च शिक्षा को तीन भागों में विभक्त किया गया है। ये तीन भाग ऐंग्लो-सैक्सन, महाद्वीपीय और स्कैण्डिनेवियाई शिक्षा प्रणालियाँ हैं।[1][2]
ऐंग्लो-सैक्सन शिक्षा प्रणाली
संपादित करेंइसे सामान्यतः आंग्ल-अमेरिकी प्रणाली भी कहते हैं। इसमें शिक्षा प्रणाली सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्रों में होती है और यह महंगी नहीं होने के साथ ये सभी के लिए है। भारत में स्वतंत्रता के पश्चात वर्ष 1948 में राधाकृष्णन समिति ने इसी प्रारूप में नीति को स्वीकृत करने की अनुशंसा की थी जो बाद में लागू हुई।[3]
महाद्वीपीय शिक्षा प्रणाली
संपादित करेंयह शिक्षा प्रणाली केवल अभिजात वर्ग के लिए होती है और यह महंगी नहीं होने के साथ केवल सार्वजनिक होती है।
स्कैण्डिनेवियाई शिक्षा प्रणाली
संपादित करेंयह प्रणाली पूर्णतः सार्वजनिक होती है, सभी के लिए होती है लेकिन बहुत ही महंगी होती है।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Ansell, Ben W. (2008). "University Challenges: Explaining Institutional Change in Higher Education". World Politics. 60 (2): 189–230. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0043-8871.
- ↑ "University Challenges: The Trilemma of Higher Education Policy in Advanced Industrial States". ऑलएकेडमिक रिसर्च. मूल से 4 फ़रवरी 2009 को पुरालेखित.
- ↑ "Radhakrishnan on education". इकॉनोमिक टाइम्स (अंग्रेज़ी में). 2020-09-04. अभिगमन तिथि 2022-09-20.
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- भारत में उच्च शिक्षा नीति Archived 2022-09-20 at the वेबैक मशीन