उजियारेलाल एक कवि थे। वे उजियारे कवि से भिन्न कवि हैं।एक खोज रिपोर्ट से केवल इतना पता चलता है कि उजियारे लाल ने परिपाटीबद्ध पद्धति पर 'गंगालहरी' नामक काव्यग्रंथ का प्रणयन किया है जिसकी हस्तलिखित प्रति मथुरा में रमनलाल हरिचंद जौहरी के यहाँ देखी गई है। गंगालहरी में कुल १६५ कवित्त और सवैये हैं। काव्य की दृष्टि से रचना में न तो कोई विशेषता है और न ही निखार। लेकिन अलंकारप्रदर्शन और चमत्कार के प्रति कवि का मोह अवश्य दिखाई पड़ता है।