उत्सर्जन वर्णक्रम (emission spectrum) किसी रासायनिक तत्व या रासायनिक यौगिक से उत्पन्न होने वाले विद्युतचुंबकीय विकिरण (रेडियेशन) के वर्णक्रम (स्पेक्ट्रम) को कहते हैं। जब कोई परमाणु या अणु अधिक ऊर्जा वाली स्थिति से कम ऊर्जा वाली स्थिति में आता है तो वह इस ऊर्जा के अंतर को फ़ोटोन के रूप में विकिरणित करता है। इस फ़ोटोन​ का तरंगदैर्घ्य (वेवलेन्थ​) क्या है, यह उस रसायन पर और उसकी ऊर्जा स्थिति (तापमान, आदि) पर निर्भर करता है। किसी सुदूर स्थित सामग्री से उत्पन्न विकिरण के वर्णक्रम को यदि परखा जाए तो अनुमान लगाया जा सकता है कि वह किन रसायनों की बनी हुई है। यही तथ्य खगोलशास्त्र में हमसे हज़ारों प्रकाश-वर्ष दूर स्थित तारोंग्रहों की रसायनिक रचना समझने में सहयोगी होता है।[1]

एक धातु-हैलाइड का उत्सर्जन वर्णक्रम

स्पेक्ट्रम की उत्पत्ति

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जब किसी परमाणु के इलेक्ट्रानों को ऊर्जा देकर उत्तेजित किया जाता है (उदाहरण के लिये, गरम करके) तो इलेक्ट्रानों को दी गयी यह अतिरिक्त ऊर्जा उन्हें उच्चतर ऊर्जा के कक्षकों (ऑर्बिटल्स) में धकेल देती है। इसके बाद वे इलेक्ट्रॉन अपनी पूर्व कक्षक में लौट आते हैं और इस क्रम में वही ऊर्जा फोटॉन के रूप में उत्सर्जित करते हैं। इस उत्सर्जित फोटॉन की तरंगदैर्घ्य उन दो कक्षकों के ऊर्जा-स्तर के अन्तर द्वारा निर्धारित होता है। ये उत्सर्जित फोटॉन उस परमाणु के उत्सर्जन-स्पेक्ट्रम का एक भाग हैं।

हम जानते हैं कि परमाणु के उत्सर्जन स्पेक्ट्रम में केवल कुछ वर्ण (या, आवृत्ति) के ही पाये जाते हैं, जिसका अर्थ है कि कुछ निश्चित आवृत्ति के फोटॉन ही उत्सर्जित होते हैं। ये सभी आवृत्तियाँ निम्नलिखित सम्बन्ध का पालन करतीं हैं-

 ,

जहाँ   फोटॉन की ऊर्जा है,   फोटॉन की आवृत्ति है, तथा   प्लांक नियतांक है।

इन्हें भी देखें

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  1. Carroll, Bradley W. (2007). An Introduction to Modern Astrophysics. CA, USA: Pearson Education. p. 256. ISBN 0-8053-0402-9.