उदयगिरि गुफाएँ
उदयगिरि की गुफाएँ, मध्य प्रदेश के विदिशा के निकट स्थित २० गुफाएँ हैं। ये गुफाएँ ५वीं शताब्दी (ईशा पश्चात) के आरम्भिक काल की हैं और शिलाओं को काटकर बनायी गयीं हैं।[2][3] इन गुफाओं में भारत के कुछ प्राचीनतम हिन्दू मन्दिर और चित्र सुरक्षित हैं।[2][4][5] इन गुफाओं में स्थित शिलालेखों के आधार पर यह स्पष्ट है कि ये गुफाएँ गुप्त नरेशों द्वारा निर्मित करायीं गयीं थी। [6] उदयगिरि की ये गुफाएँ भारत के सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल हैं और भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित स्मारक हैं।
उदयगिरि गुफाएँ | |
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![]() गुफा क्रमांक-५ में विष्णु के वाराह अवतार का चित्रण | |
धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | हिन्दू धर्म, जैन धर्म |
देवता | विष्णु, शक्ति, शिव, पार्श्वनाथ, एवं अन्य देवता |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | उदयगिरि, विदिशा |
ज़िला | विदिशा जिला |
राज्य | मध्य प्रदेश |
देश | भारत |
भौगोलिक निर्देशांक | 23°32′11.0″N 77°46′20″E / 23.536389°N 77.77222°Eनिर्देशांक: 23°32′11.0″N 77°46′20″E / 23.536389°N 77.77222°E |
वास्तु विवरण | |
शैली | गुप्त शैली |
निर्माण पूर्ण | c. 250-410 CE[उद्धरण चाहिए] |

विदिशा से वैसनगर होते हुए उदयगिरि पहुँचा जा सकता है। नदी से यह गिरि लगभग १ मील की दूरी पर है। पहाड़ी के पूरब की तरफ पत्थरों को काटकर गुफाएँ बनाई गई हैं। प्रस्तर की कटाई कर छोटे-छोटे कमरों के रुप में गुफाओं को बनाया गया है, साथ-ही-साथ मूर्तियाँ भी उत्कीर्ण कर दी गई हैं। उदयगिरि में कुल २० गुफाएँ हैं। इनमें से कुछ गुफाएँ ४वीं-५वीं सदी से सम्बद्ध हैं। गुफा संख्या १ तथा २० को जैन गुफा माना जाता है।
इन गुफाओं में प्रस्तर-मूर्तियों के अतित्व के प्रमाण मिलते हैं लेकिन वर्तमान में इन गुफाओं में से अधिकांश मूर्ति-विहीन गुफाएँ रह गई हैं। ऐसा यहाँ पाये जाने वाले स्थानीय पत्थर के कारण हुआ है। पत्थर के नरम होने के कारण खुदाई का काम आसान था, लेकिन साथ-ही-साथ यह मौसमी प्रभावों को झेलने के लिए उपयुक्त नहीं है। उत्खनन से प्राप्त ध्वंसावशेष अपनी अलग कहानी कहते हैं।
उदयगिरि को पहले "नीचैगिरि" के नाम से जाना जाता था। कालिदास ने भी इसे इसी नाम से संबोधित किया है। १०वीं शताब्दी में जब विदिशा, धार के परमारों के हाथ में आ गया, तो राजा भोज के पौत्र उदयादित्य ने अपने नाम से इस स्थान का नाम उदयगिरि रख दिया।[7]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ H. von Stietencron (1986). Th. P. van Baaren; A Schimmel; et al. (eds.). Approaches to Iconology. Brill Academic. pp. 25 note 18 with Figure 3 on page 30. ISBN 90-04-07772-3.
- ↑ अ आ Upinder Singh (2008). A History of Ancient and Early Medieval India: From the Stone Age to the 12th Century. Pearson. p. 533. ISBN 978-81-317-1120-0. Archived from the original on 9 मई 2020. Retrieved 30 मई 2020.
- ↑ सन्दर्भ त्रुटि:
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का गलत प्रयोग;dass25
नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है। - ↑ Fred Kleiner (2012), Gardner’s Art through the Ages: A Global History, Cengage, ISBN 978-0495915423, page 434
- ↑ Margaret Prosser Allen (1992), Ornament in Indian Architecture, University of Delaware Press, ISBN 978-0874133998, pages 128-129
- ↑ सन्दर्भ त्रुटि:
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का गलत प्रयोग;Harle1974p7
नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है। - ↑ "विदिशा की गुफाएँ". Archived from the original on 14 अगस्त 2017. Retrieved 30 मई 2020.