उन्नाव स्वर्ण खजाने की घटना
उन्नाव स्वर्ण खजाने की घटना अक्टूबर २०१३ में भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के संग्रामपुर (डौंडिया खेड़ा) गाँव में घटित हुई।
डौंडिया खेड़ा संग्रामपुर गाँव | |
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वैकल्पिक नाम | राजा राव राम बक्श सिंह का किला |
क्षेत्र | उन्नाव जिला |
निर्देशांक | 26°09′59″N 80°39′12″E / 26.16639°N 80.65333°Eनिर्देशांक: 26°09′59″N 80°39′12″E / 26.16639°N 80.65333°E |
मातृ सत्व | उत्तर प्रदेश |
इतिहास | |
निर्माता | राजा राव राम बक्श सिंह |
पदार्थ | पत्थर |
परित्यक्त | 1857 |
काल | 7वीं सदी |
स्थल टिप्पणियां | |
उत्खनन दिनांक | अक्टूबर 2013 |
पुरातत्ववेत्ता | भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग |
स्थिति | खण्डहर |
घटना का विवरण
संपादित करेंसमाचार पत्रों के अनुसार, तथाकथित रूप से एक स्थानीय साधु शोभन सरकार ने स्वप्न देखा कि १९वीं सदी के राजा, राव राम बक्श सिंह के पुराने किले के खण्डहरों के नीचे हजारों टन से भी अधिक स्वर्ण दबा हुआ है।[1] सरकार कथित रूप से दफन इस स्वर्ण भण्डार की खुदाई करवाने के लिए खनन मंत्रालय और भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग को राजी करने में सक्षम रहे। 18 अक्टूबर 2013 को खुदाई का कार्य आरम्भ हो गया।[2][3]२८ अक्टूबर सोमवार शाम तक कुल 4.8 मीटर तक खुदाई की जा चुकी थी।[4] हालांकि कुछ समाचारों के अनुसार खुदाई का कार्य केवल सपने के आधार पर न होकर इसका वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया गया था, जिसमें किसी 'गैर चुंबकीय' तत्त्व की उपस्थिति का अनुमान लगाया गया था।[5][6]
एएसआई की निगरानी में हो रही खुदाई के लिए किले को 2 खंडों में बांटा गया था। 13 नवम्बर तक एक खंड की खुदाई पूरी हो चुकी थी, जबकि दूसरे ब्लॉक की करीब 75 फीसदी खुदाई पूरी हो जाने के बावजूद खजाने का कोई नामोनिशान नहीं मिला था।[6]
प्रेरक
संपादित करेंइस घटना के प्रेरक शोभन सरकार एक हिन्दू सन्त हैं। जिन्होने अक्टूबर २०१३ में कथित रूप से उन्नाव के एक गाँव डौडियाखेड़ा में हजारों टन सोना छिपा होने का सपना देखा। यह गाँव यूपी के उन्नाव जिले की बीघापुर तहसील में गंगा के किनारे स्थित बक्सर से दो किमी पहले पड़ता है। लखनऊ से इसकी दूरी 80किमी व कानपुर से लगभग 60 किमी है।
शोभन सरकार का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर (देहात) जिले के शुक्लन पुरवा गांव में हुआ था। इन्होंने बीपीएमजी इंटर कॉलेज मंधाना से पढ़ाई की। हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के 10 साल बाद उन्होंने घर छोड़ दिया और वह स्वामी सत्संगानंद के अनुयायी बन गए। सत्संगानंद के आश्रम में पहले से भी उनके कई अनुयायी रहते थे। आश्रम में सत्संगानंद को लोग बड़े स्वामी कहते थे। सरकार ने स्वामीजी के मार्गदर्शन में 8 साल तक चिंतन किया।[7]
परिणाम
संपादित करें14 नवम्बर 2013 को उन्नाव के डौंडियाखेड़ा में सोने की खुदाई अंततः औपचारिक रूप से बंद कर दी गई। आर्कियॉलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) ने इसे ज़िंदगी भर का सबक बताया।[8] हालांकि शोभन सरकार की तरफ से कहा गया कि खजाने की तलाश वैज्ञानिक नजरिए से हो रही है, जबकि यह अलौकिकता से जुड़ा मामला है। उन्होंने कहा कि खुदाई में सोना जरूर निकलेगा और वह उसे एएसआई टीम के डौंडियाखेड़ा गांव से जाने के बाद निकालेंगे।[9]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "सपने में दिखा सोने का भंडार, खोजने में लगी सरकार". दैनिक भास्कर. 13 अक्टूबर 2013. मूल से 22 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 अक्टूबर 2013.
- ↑ "फिर आया सरकार को सपना, आदमपुर गांव में 2500 टन सोने का खजाना". ज़ी न्यूज़. 19 अक्टूबर 2013. मूल से 19 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 अक्टूबर 2013.
- ↑ टीम डिजिटल (18 अक्टूबर 2013). "दुनिया भर के मीडिया पर छाई खजाने की खुदाई". अमर उजाला. मूल से 20 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १९ अक्टूबर २०१३.
- ↑ http://www.jagran.com/news/national-gold-hunt-asi-closer-to-treasure-in-unnao-10827887.html
- ↑ ""सपने" पर मोदी का "सरकार" को प्रणाम". राजस्थान पत्रिका. 21 अक्टूबर 2013. मूल से 21 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 अक्टूबर 2013.
- ↑ अ आ "85 फीसदी खुदाई हुई, पर नहीं मिला सोना". नवभारत टाईम्स. 14 नवम्बर 2013. मूल से 1 जून 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 नवम्बर 2013.
- ↑ पढ़ें: कौन हैं संत शोभन सरकार और कैसे दिखते हैं Archived 2013-10-25 at the वेबैक मशीनआई बी एन खबर
- ↑ "सोना नहीं मिला, पर ASI को मिला 'जिंदगीभर का सबक". नवभारत टाईम्स. 15 नवम्बर 2013. मूल से 1 जून 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 नवम्बर 2013.
- ↑ "खजाने की खोज: शोभन सरकार ने अब भी नहीं मानी हार". नवभारत टाईम्स. 14 नवम्बर 2013. अभिगमन तिथि 15 नवम्बर 2013.[मृत कड़ियाँ]