उपग्रही छल्ला
खगोलशास्त्र में उपग्रही छल्ला किसी ग्रह के इर्द गिर्द घूमता हुआ पत्थरों, धुल, बर्फ़ और अन्य पदार्थों का बना हुआ छल्ला होता है। हमारे सौर मण्डल में इसकी सबसे बड़ी मिसाल शनि की परिक्रमा करते हुए उसके छल्ले हैं। हमारे सौर मण्डल के अन्य तीन गैस दानव ग्रहों - बृहस्पति, अरुण और वरुण - के इर्द-गिर्द भी उपग्रहीय छल्ले हैं लेकिन उनकी संख्या और चौड़ाई शनि के छल्लों से कई कम है।
![](http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/d/d4/Saturn_in_natural_colors_%28captured_by_the_Hubble_Space_Telescope%29.jpg/220px-Saturn_in_natural_colors_%28captured_by_the_Hubble_Space_Telescope%29.jpg)
अन्य भाषाओँ में
संपादित करेंअंग्रेज़ी में उपग्रही छल्ला को "प्लैनॅटरी रिंग" (planetary ring) बोलते हैं क्योंकि यह अक्सर ग्रहों के इर्द-गिर्द बनती हैं, लेकिन वैज्ञानिक दृष्टि से यह उपग्रहों और अन्य वस्तुओं के इर्द-गिर्द भी बन सकती हैं। वैज्ञानिक रूप से यह एक छल्ला है जो उपग्रह की तरह किसी ग्रह या अन्य उपग्रह की परिक्रमा करता है।
उत्पत्ति
संपादित करेंवैज्ञानिकों का मानना है के उपग्रही छल्ला बनने के तीन कारण हो सकते हैं -
- ग्रह निर्माण के समय आदिग्रह चक्र का कुछ मलबा बच गया हो जो ग्रह के बहुत समीप होने की वजह से गोले में जुड़कर उपग्रह न बन पाया हो - खगोलशास्त्र में देखा गया है के किसी बड़ी वस्तु की रोश सीमा के अन्दर मलबा हो तो उपग्रह बनने की बजाए छल्ला बन जाता है
- ऐसे उपग्रह का मलबा हो जो बन तो गया था लेकिन समय के साथ-साथ अपने ग्रह की रोश सीमा के अन्दर आ जाने से ग्रह के गुरुत्वाकर्षण द्वारा तोड़कर मलबा बना दिया गया हो
- ऐसे उपग्रह का मलबा हो जिस से कोई बड़ी वस्तु या वस्तुएँ जा कर टकराई हों जिन्होनें उसका चूरा बना डाला हो जो अब एक छल्ले के रूप में ग्रह की परिक्रमा कर रहा हो
किसी ज़माने में सोचा जाता था के उपग्रही छल्ले स्थाई नहीं हो सकते और करोड़ों साल के अंतराल में धीरे-धीरे बिखर जाते हैं या फिर जुड़कर एक उपग्रह बना लेते हैं। इसके विपरीत, शनि के छल्लो के नज़दीकी अध्ययन से पता लगा है के उसके छल्ले सौर मंडल के आदिकाल से बरक़रार हैं, यानि की अरबों वर्ष से स्थाई हैं।[1]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "शनि के छल्ले पुराने बाशिन्दे हो सकते हैं (सैटर्न्ज़ रिंज़ में बी ओल्ड टाइमर्ज़, अंग्रेज़ी में)". नासा अमेरिकी अंतरिक्ष एजंसी (समाचार घोषणा संख्या २००७-१४९). १२ दिसम्बर २००७. मूल से 15 अप्रैल 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २००८-०४-११.