गैस दानव
गैस दानव उन ग्रहों को कहा जाता है जिनमें मिटटी-पत्थर की बजाय ज़्यादातर गैस ही गैस होती है और जिनका आकार बहुत ही विशाल होता है। हमारे सौर मण्डल में चार ग्रह इस श्रेणी में आते हैं - बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण। इनमें पाई जाने वाली गैस ज़्यादातर हाइड्रोजन और हीलियम होती है, यद्यपि इनमें अक्सर और गैसें भी मिलती हैं, जैसे कि अमोनिया। अन्य सौर मं ण्डलों में बहुत से गैस दानव ग्रह पाए जा चुके हैं।[1]
गैस दानव, भूरे बौने और तारे
संपादित करेंतारे भी गैस दानवों की तरह गैस के बने होते हैं, लेकिन तारे इतने बड़े होते हैं कि उनमें गैस के परमाणुओं को कुचल देने वाला गुरुत्वाकर्षण होता है। उनमें मौजूद हाइड्रोजन गैस के परमाणु गुरुत्वाकर्षण के दबाव से नाभिकीय संलयन (न्यूक्लियर फ्यूज़न) की प्रक्रिया के ज़रिये मिलकर हीलियम बनाना शुरू कर देते हैं। इस संयलन में बहुत उर्जा और प्रकाश पैदा होता है और यही तारों से निकलने वाली रोशनी का स्रोत है। गैस दानवों में भी बहुत गैस और बड़ा आकार होता है, लेकिन इतना नहीं के संयलन आरंभ हो जाये। गैस दानवों और तारों के बीच में एक और वस्तुओं की श्रेणी होती है - भूरे बौने (ब्राउन ड्वार्फ़)। यह गैस दानवों से बड़े लेकिन तारों से छोटे होते हैं। इनमें दबाव इतना नहीं होता के हाइड्रोजन का संलयन शुरू हो, लेकिन कुछ अन्य भारी तत्वों का संलयन आरम्भ अवश्य हो जाता है - जैसे कि ड्यूटेरियम और लिथियम का।
वैज्ञानिकों में कुछ विवाद है कि किस आकार पर वस्तु, गैस दानव नहीं रहती और भूरा बौना बन जाती है और किस आकार पर तारा बन जाती है। अनुमान है कि बृहस्पति से १३ गुना ज़्यादा द्रव्यमान (मास) होने पर भूरा बौना और ७५ गुना ज़्यादा द्रव्यमान होने पर तारा बन जाता है।[2]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Mayor, Michel; Pepe, F.; Lovis, C.; Queloz, D.; Udry, S. (June 2008). "The quest for very low-mass planets". In Livio, Mario; Sahu, Kailash; Valenti, Jeff. A Decade of Extrasolar Planets around Normal Stars. Space Telescope Science Institute Symposium Series (No. 19). Cambridge University Press. p. 20. ISBN 978-0-521-89784-6
- ↑ The Deuterium-Burning Mass Limit for Brown Dwarfs and Giant Planets Archived 2013-11-16 at the वेबैक मशीन, David S. Spiegel, Adam Burrows, John A. Milsom