उपसर्ग

ऐसे शब्दांश जो किसी शब्द के पूर्व जुड़कर उसके अर्थ में विशेषता ला देते हैं

उपसर्ग ऐसे शब्दांश होते हैं जो किसी शब्द के पूर्व जुड़ कर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं या उसके अर्थ में विशेषता ला देते हैं। हिन्दी में उपसर्ग संस्कृत व्याकरण से लिये गये हैं जहाँ 20 तरह के उपसर्ग उपयोग में आते हैं।[1]

  • 'हार' में 'प्र' उपसर्ग जोड़ने पर 'प्रहार' शब्द बनेगा जिसका अर्थ है चोट करना।
  • इसी तरह 'हार' में 'आ' उपसर्ग जोड़ने पर 'आहार' बनता है और उसका अर्थ भोजन है।
  • सम् + हार = संहार (विनाश) ,संयोग
  • वि' + हार = विहार' (घूमना) इत्यादि शब्द बन जाएँगे।

उपर्युक्त उदाहरण में 'प्र', 'आ', 'सम्' और 'वि' का अलग से कोई अर्थ नहीं है, 'हार' शब्द के आदि में जुड़ने से उसके अर्थ में इन्होंने परिवर्तन कर दिया है। इसका मतलब हुआ कि ये सभी शब्दांश हैं और ऐसे शब्दांशों को उपसर्ग कहते हैं।

उपसर्ग सूची

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हिंदी में बाइस (22) उपसर्ग हैं:

  1. अति - आधिक्य (उदाहरण: अतिशय, अतिरेक)
  2. अधि - मुख्य (उदाहरण: अधिपति, अध्यक्ष)
  3. अनु - वर (उदाहरण: अध्ययन, अध्यापन)
  4. अप - मागुन (उदाहरण: अनुक्रम, अनुताप, अनुज), प्रमाण (उदाहरण: अनुकरण, अनुमोदन), खाली होना (उदाहरण: अपकर्ष, अपमान), विरुद्ध होना (उदाहरण: अपकार, अपजय)
  5. अपि - आवरण (उदाहरण: अपिधान)
  6. अभि - अधिक (उदाहरण: अभिनंदन, अभिलाप), जवल (उदाहरण: अभिमुख, अभिनय), आगे (उदाहरण: अभ्युत्थान, अभ्युदय)
  7. अव - खाली (उदाहरण: अवगणना, अवतरण), अभाव, विरूद्धता (उदाहरण: अवकृपा, अवगुण)
  8. आ - पर्यंत (उदाहरण: आकंठ, आजन्म), किंचीत (उदाहरण: आरक्त), उलट (उदाहरण: आगमन, आदान), आगे (उदाहरण: आक्रमण, आकलन)
  9. उत्, उद् - वर (उदाहरण: उत्कर्ष, उत्तीर्ण, उद्भिज्ज)
  10. उप - करीब (उदाहरण: उपाध्यक्ष, उपदिशा), गौण (उदाहरण: उपग्रह, उपवेद, उपनेत्र)
  11. दुस्, दुर्, दुः - खराब (उदाहरण: दुराशा, दुरुक्ति, दुश्चिन्ह, दुष्कृत्य)
  12. नि - अत्यंत (उदाहरण: निमग्न, निबंध), नकार (उदाहरण: निकामी, निजोर)
  13. निस्, निर्, निः - अभाव (उदाहरण: निरंजन, निराषा, निष्फळ, निश्चल, नि:शेष)
  14. परा - उलट (उदाहरण: पराजय, पराभव)
  15. परि - पूर्ण (उदाहरण: परिपाक, परिपूर्ण), व्याप्त (उदाहरण: परिमित, परिश्रम, परिवार)
  16. प्र - आधिक्य (उदाहरण: प्रकोप, प्रबल, प्रपिता)
  17. प्रति - उलट (उदाहरण: प्रतिकूल, प्रतिच्छाया), एकेक (उदाहरण: प्रतिदिन, प्रतिवर्ष, प्रत्येक)
  18. वि - विशेष (उदाहरण: विख्यात, विनंती, विवाद), अभाव (उदाहरण: विफल, विधवा, विसंगति)
  19. सम् - अच्छा (उदाहरण: संस्कृत, संस्कार, संगीत), सही (उदाहरण: संयम, संयोग, संकीर्ण)
  20. सु - अच्छा (उदाहरण: सुभाषित, सुकृत, सुग्रास), नींद (उदाहरण: सुगम, सुकर, स्वल्प), अधिक (उदाहरण: सुबोधित, सुशिक्षित)
उदाहरण

उदाहरण

  • प्रति + अप + वाद = प्रत्यपवाद
  • सम् + आ + लोचन = समालोचन
  • वि + आ + करण = व्याकरण

अत्युत्कृष्ट, निर्विकार, सुसंगति इत्यादि

उर्दू-फारसी के उपसर्ग

अल - निश्चित, अन्तिम - अलविदा, अलबत्ता

कम - हीन, थोड़ा, अल्प - कमसिन, कमअक्ल, कमज़ोर

खुश - श्रेष्ठता के अर्थ में - खुशबू, खुशनसीब, खुशकिस्मत, खुशदिल, खुशहाल, खुशमिजाज

ग़ैर - निषेध - ग़ैरहाज़िर ग़ैरकानूनी ग़ैरवाजिब ग़ैरमुमकिन ग़ैरसरकारी ग़ैरमुनासिब

दर - मध्य में - दरम्यान दरअसल दरहकीकत

ना - अभाव - नामुमकिन नामुराद नाकामयाब नापसन्द नासमझ नालायक नाचीज़ नापाक नाकाम

फ़ी - प्रति - फ़ीसदी फ़ीआदमी

ब - से, के, में, अनुसार - बनाम बदस्तूर बमुश्किल बतकल्लुफ़

बद - बुरा - बदनाम बदमाश बदकिस्मत बदबू बदहज़मी बददिमाग बदमज़ा बदहवास बददुआ बदनीयत बदकार

बर - पर, ऊपर, बाहर - बरकरार बरवक्त बरअक्स बरजमां कंठस्थ

बा - सहित - बाकायदा बाकलम बाइज्जत बाइन्साफ बामुलाहिज़ा

बिला - बिना - बिलावज़ह बिलालिहाज़ बिलाशक बिलानागा

बे - बिना - बेबुनियाद बेईमान बेवक्त बेरहम बेतरह बेइज्जत बेअक्ल बेकसूर बेमानी बेशक

ला - बिना, नहीं - लापता लाजबाब लावारिस लापरवाह लाइलाज लामानी लाइल्म लाज़वाल

'उपसर्ग' के अन्य अर्थ

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  • (१) बुरा लक्षण या अपशगुन
  • (२) वह पदार्थ जो कोई पदार्थ बनाते समय बीच में संयोगवश बन जाता या निकल आता है (बाई प्राडक्ट)। जैसे-गुड़ बनाते समय जो शीरा निकलता है, वह गुड़ का उपसर्ग है।
  • (३) किसी प्रकार का उत्पात, उपद्रव या विघ्न
योगियों की योगसाधना के बीच होनेवाले विघ्न को उपसर्ग कहते हैं। ये पाँच प्रकार के बताए गए हैं : (1) प्रतिभ, (2) श्रावण, (3) दैव,। मुनियों पर होनेवाले उक्त उपसर्गों के विस्तृत विवरण मिलते हैं। जैन साहित्य में विशेष रूप से इनका उल्लेख रहता है क्योंकि जैन धर्म के अनुसार साधना करते समय उपसर्गो का होना अनिवार्य है और केवल वे ही व्यक्ति अपनी साधना में सफल हो सकते हैं जो उक्त सभी उपसर्गों को अविचलित रहकर झेल लें। हिंदू धर्मकथाओं में भी साधना करनेवाले व्यक्तियों को अनेक विघ्नबाधाओं का सामना करना पड़ता है किंतु वहाँ उन्हें उपसर्ग की संज्ञा यदाकदा ही गई है।

इन्हें भी देखें

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  1. Monier-Williams, Monier; Leumann, Ernst; Capeller, Carl (2005). Sanskrit-English dictionary: etymologically and philologically arranged with special reference to cognate indo-european languages (new ed. greatly enl. and impr संस्करण). New Delhi Chennai: Asian Educational Services [u.a.] पृ॰ 210. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-208-3105-6.

बाहरी कड़ियाँ

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