ऊतक विकृतिविज्ञान (Histopathology) शरीर के किसी भाग में स्थित या वहाँ से लिए गए ऊतक (टिशू) का सूक्ष्मदर्शी द्वारा किया गया निरीक्षण है, जिसमें रोग के प्रभावों को ढूंढने या समझने की चेष्टा की जाती है। अक्सर इसमें करी जा रही ऊतक परीक्षा के लिए ऊतक के नमूनों को शल्यचिकित्सा (सर्जरी) या सूई द्वारा शरीर से निकाला जाता है और उसे महीनता से काटकर सूक्ष्मदर्शी के नीचे उसकी जाँच की जाती है।[1]

हृदय से लिए गए इस ऊतक (टिशू) नमूने के सूक्ष्मचित्र में परिगलन (नेक्रोसिस) के संकेत दिख रहे हैं, जो हृदयाघात (दिल का दौरा) होने का एक लक्षण है

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Mitchell, Richard Sheppard; Kumar, Vinay; Abbas, Abul K.; Fausto, Nelson. Robbins Basic Pathology. Philadelphia: Saunders. ISBN 1-4160-2973-7. 8th edition.