ऋषभदेव, राजस्थान
ऋषभदेव (Rishabhdeo), जिसे धुलेव और रिखभदेव (Rikhabdeo) भी कहते हैं, भारत के राजस्थान राज्य के उदयपुर ज़िले के दक्षिणी भाग में स्थित एक नगर है। यह इसी नाम की तहसील का मुख्यालय भी है। इस स्थान का नाम धुलेव नामक भील सरदार के कारण पड़ा जिन्होंने ऋषभदेव भगवान के मंदिर की रक्षा की थी।[1][2]
ऋषभदेव Rishabhdeo | |
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ऋषभदेव जैन मंदिर | |
निर्देशांक: 24°04′34″N 73°41′35″E / 24.076°N 73.693°Eनिर्देशांक: 24°04′34″N 73°41′35″E / 24.076°N 73.693°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | राजस्थान |
ज़िला | उदयपुर ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 9,171 |
भाषा | |
• प्रचलित | हिन्दी, मेवाड़ी |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 313802 |
दूरभाष कोड | 02907 |
विवरण
संपादित करेंऋषभदेव उदयपुर से 65 किलोमीटर (40 मील) दूर स्थित है, और उदयपुर-अहमदाबाद सड़क मार्ग (राष्ट्रिय राजमार्ग 48 (पूर्व नाम 8)) पर है। शहर का नाम ऋषभदेव जी है, यह एक प्रसिद्ध जैन तीर्थ स्थल है। मुख्य आकर्षण ऋषभदेव मंदिर है, जो प्रथम जैन तीर्थंकर का विशाल मंदिर है, प्रथम जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव जी की स्थानीय भील भी पूजा करते हैं। नगर का अन्य नाम केसरियाजी भी हैं क्योंकि मंदिर में केसर से पूजा की जाती हैं। इस मंदिर को मेवाड़ के चार मुख्य धार्मिक संस्थाओं में एक माना जाता हैं। उदयपुर के चतुर सिंह जी के अनुसार:[3]
- एकलिंग गिरिराजधर ऋषभदेव भुजचार
- सदा स्नेह तो, चार धाम मेवाड़
ऋषभदेव हरे रंग के संगमरमर (ग्रीन मार्बल) के लिए भी प्रसिद्ध है। मसारो की ओबरी, ओडावास एवं कागदर में ३०० से अधिक खाने हैं, दुनिया भर के 90% प्रतिशत हरे रंग के संगमरमर उत्पादित किया जाता हैं। लगभग 70% प्रतिशत की हरे संगमरमर का निर्यात अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, कनाडा और कई अन्य देशों में किया जाता है।
अभी उच्च शिक्षा (एमबीबीएस, बीटेक, बी कॉम, सी. ए. और कई पाठ्यक्रम) के लिए कई छात्र बाहर जा रहे हैं।
जनसांख्यिकी
संपादित करेंभारत की जनगणना २००१ के अनुसार नगर की जनसंख्या 8023 थी। पुरुष जनसंख्या 52%, और महिलाओं की 48%. नगर की औसत साक्षरता दर 76%, जो राष्ट्रीय औसत 59.5% की तुलना में अधिक है। पुरुष साक्षरता 82% है, और महिला साक्षरता 70% है। नगर में, 14% जनसंख्या 6 वर्ष से कम उम्र की हैं।[4]
शहर के आधे निवासी जैन हैं, जिसमें 95% दिगंबर है, अन्य ब्राह्मण, सुथार, लोहार, दर्जी, मोची, कुम्हार,भोई, कलाल, पटेल, सोमपुरा, वाल्मीकि आदि हैं। श्वेतांबर जैन भी यहां रहने वाले है। मंदिर के आसपास श्वेतांबर जैन और दिगंबर जैन, कई भील और मीणा आसपास के गांवों में रहते हैं, और प्रार्थना के लिए नित्य आते हैं।
मुख्य मंदिर
संपादित करेंमुख्य मंदिर में भगवान ऋषभदेव की काले पत्थर से खुदी पद्मासन मुद्रा में 3.5 फीट (1.1 मी) ऊँची मूर्ति है।
भट्टारक दिगंबर जैन मंदिर
संपादित करेंमुख्य मंदिर के पास ही दिगंबर जैन भट्टारक मंदिर विराजमान है।
गुरुकुल दिगंबर जैन मंदिर
संपादित करेंयह विशाल दिगंबर जैन मंदिर है जहां तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव की विशाल मूर्ति पद्मासन अवस्था में विराजमान है।
कांच का दिगंबर जैन मंदिर
संपादित करेंयह दिगंबर जैन मंदिर है जिसमें कांच की नक्काशी की गई है।
महावीर दिगंबर जैन मंदिर
संपादित करेंयह एक दिगंबर जैन मंदिर है।
गज मंदिर
संपादित करेंगजमंदिर एक जैन श्वेतांबर मंदिर, जिसका निर्माण 2011 में किया गया, जो कीका भाई धर्मशाला के रूप में अच्छी तरह से जाना जाता है। जहां तीर्थ यात्रियों के लिए ठहरने की उत्तम व्यवस्था है
अन्य स्थानीय आकर्षण
संपादित करेंआस-पास के स्थानों में प्रसिद्ध ऋषभ उद्यान, जैन मंदिर, चंद्रगिरी, दादाबाड़ी मंदिर।
चित्रदीर्घा
संपादित करेंइन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Lonely Planet Rajasthan, Delhi & Agra," Michael Benanav, Abigail Blasi, Lindsay Brown, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012332
- ↑ "Berlitz Pocket Guide Rajasthan," Insight Guides, Apa Publications (UK) Limited, 2019, ISBN 9781785731990
- ↑ Mewar History: The State of Mewar and concept of Kingship, Trusteeship, webpage: MFhist Archived 30 अप्रैल 2007 at the वेबैक मशीन
- ↑ ""Census of India 2001: Data from the 2001 Census, including cities, villages and towns (Provisional)"". मूल से 16 जून 2004 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 जून 2004.