एंड्रयू जॉन स्ट्रॉस एमबीई (MBE) (जन्म 2 मार्च 1977) एक अंग्रेज क्रिकेटर हैं जो मिडलसेक्स काउंटी क्रिकेट क्लब की ओर से काउंटी क्रिकेट खेलते हैं और इंग्लैंड क्रिकेट टीम के कप्तान हैं। बाएं हाथ के धुआंधार सलामी बल्लेबाज स्ट्रॉस बैकफुट पर खेलना पसंद करते हैं, ज्यादातर कट और पुल शॉट्स लगाते हैं। स्ट्रॉस को स्लिप तथा कवर क्षेत्र में उनके मजबूत क्षेत्ररक्षण के लिए भी जाना जाता है।

एंड्रयू स्ट्रॉस

उन्होंने अपने प्रथम श्रेणी करियर की शुरुआत 1998 में की थी तथा पहला एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मैच श्रीलंका के खिलाफ 2003 में खेला था। उन्होंने अपना पहला टेस्ट मैच 2004 में न्यूजीलैंड के विरुद्ध लॉर्ड्स में घायल माइकल वॉन के स्थान पर खेल कर शीघ्र ही प्रसिद्धि प्राप्त की। [1] इंग्लैंड की विजय में उन्होंने 112 तथा 83 (रन आउट) स्कोर बनाए तथा मैन ऑफ द मैच पुरस्कार जीता, वे अपने पहले ही मैच में लॉर्ड्स में शतक बनाने वाले मात्र चौथे खिलाड़ी बन गए, वे अपने पहले ही मैच की दोनों परियों में शतक बनाने वाले पहले अंग्रेज खिलाड़ी बनने से जरा ही चूक गए।[2][3] स्ट्रॉस ने दिसम्बर 2004 में दक्षिण अफ्रीका के पोर्ट एलिजाबेथ में, विदेश में अपने पहले ही मैच में फिर से लगभग दो शतक बनाए (126 औप 94 नाबाद) तथा उन्हें मैन ऑफ द मैच नामित किया गया।[4] स्ट्रॉस 2007 के दौरान स्ट्रॉस को अपने खेल स्तर में गिरावट का सामना करना पड़ा, परिणामस्वरूप उन्हें इंग्लैंड के श्रीलंका दौरे के लिए टेस्ट टीम में शामिल नहीं किया गया तथा घोष्णा की गई कि वे क्रिकेट से छुट्टी ले रहे थे।[5] इंग्लैंड के एक खराब दौरे के बाद 2008 में, स्ट्रॉस को न्यूजीलैंड के दौरे के लिए टीम में वापस बुलाया गया था और तदनंतर श्रृंखला के तीसरे और अंतिम टेस्ट में अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ स्कोर 177 बना कर तथा आगे 2008 में तीन और शतक जमा कर खुद को टीम में पुनर्स्थापित किया।

2006 में माइकल वॉन के स्थान पर इंग्लैंड के कार्यकारी कप्तान बने स्ट्रॉस को 2008/09 में केविन पीटरसन के त्यागपत्र के बाद वेस्ट इंडीज दौरे के लिए स्थाई तौर पर इंग्लैंड का कप्तान नियुक्त कर दिया गया।[2] उन्होंने तीन शतक जमा कर सफलता का आनंद लिया और 2009 के लिए अपनी कप्तानी बरकरार रखी. 2009 ऐशेज श्रृंखला में दोनों ओर के खिलाड़ियों में सर्वाधिक 474 रन बना कर स्ट्रॉस ने इंग्लैंड की टीम को 2-1 से विजय दिलाई,[6] जिसमें लॉर्ड्स में 75 सालों में किसी ऐशेज टेस्ट में इंग्लैंड की पहली जीत में उनके 161 रन शामिल थे।[7]

व्यक्तिगत जीवन‍ संपादित करें

दक्षिण अफ्रीका में जन्मे, स्ट्रॉस छह वर्ष की आयु इंग्लैंड चले गए थे।[8] पहले ऑस्ट्रेलिया में मेलबर्न में कॉफील्ड ग्रामर स्कूल के लिए क्रिकेट खेलने के बाद,[9][10] स्ट्रॉस इंग्लैंड वापस आ गए और कैल्डीकॉट स्कूल,[11] रैडले कॉलेज[12] और 1995 तथा 1998 के बीच हैटफील्ड कॉलेज, डरहैम विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की, जहां उन्होंनेअर्थशास्त्र का अध्ययन किया और 2.1 हासिल किया।[2] उन्होंने अक्टूबर 2003 में ऑस्ट्रेलियन अभिनेत्री रूथ मैकडॉनल्ड से विवाह किया और वे अब अपने पुत्रों सैम (जन्म 4 दिसम्बर 2005) तथा लूका (14 जुलाई 2008) के साथ मार्लो में रहते हैं।[13] स्ट्रॉस प्राइमरी क्लब जूनियर्स, एक धर्मार्थ संस्था जो दृष्टिहीनों के क्रिकेट के लिए कोष उपलब्ध कराती है, के अध्यक्ष भी बने। इस कल्याण कार्य में सहयोग के लिए उन्होंने आंखों पर पट्टी बांध कर दृष्टिहीनों के क्रिकेट में भाग लिया लेकिन दूसरी ही गेंद पर आउट हो गए।[14] उनके विविध उपनाम हैं, अनुमान योग्य स्ट्रॉसी, लेवी और जोहान से लेकर अधिक अप्रसिद्ध लॉर्ड ब्रॉकेट, मेयरमैन, द जनरल, जैजर और मपेट तक.[2][15]

खेल करियर संपादित करें

घरेलू करियर संपादित करें

1996 से डरहम विश्वविद्यालय क्रिकेट टीम में तथा मिडलसेक्स द्वित्तीय एकादश में खेलने के बाद स्ट्रॉस ने मिडलसेक्स प्रथम एकादश के लिए अपना पहला मैच 1998 में खेला था, अपनी उस पहली प्रथम श्रेणी पारी में उन्होंने 83 रन बनाए थे।[16] इस के बावजूद, उन्होंने एक शांत शुरुआत की: उन्होंने अपने पहले दो प्रथम श्रेणी सत्रों में क्रमशः 24 और 30.5 के औसत से रन बनाए थे,[17] अपना पहला प्रथम श्रेणी मैच खेलने के दो साल बाद जाकर उन्होंने अपना पहला प्रथम श्रेणी शतक लगाया जब उन्होंने 111 की नाबाद पारी खेली.[18] इसके बाद, स्ट्रॉस की प्रतिष्ठा तेजी से बढ़ीः 2001, 2002 और 2003 में उन्होंने 45 के औसत से 1211, 48 के औसत से 1202 तथा 51 के औसत से 1529 रन बनाए। [17] 2002 में उन्हें एंगस फ्रेजर के संन्यास लेने पर मिडलसेक्स का कप्तान नियुक्त किया गया और उन्होंने इस पद को 2004 सत्र के अंत तक अपने पास बरकरार रखा। [19]

अंतर्राष्ट्रीय करियर संपादित करें

प्रथम वर्ष (2003-04) संपादित करें

स्ट्रॉस को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पहला मौका इंग्लैंड के भारतीय उपमहाद्वीप के दौरे में मिला,[20] लेकिन उन्होंने अधिकतर केवल बारहवें खिलाड़ी की ही भूमिका निभाई; अपने आप को इस खेल के दीर्घ अवधि स्वरूप में बेहतर मानने वाले स्ट्रॉस को को उस समय आश्चर्य हुआ जब उन्हें एक दिवसीय दल में चुन लिया गया।[21] हालांकि उन्हें मुख्य टीम में नहीं चुना गया था, स्ट्रॉस दौरे में एक मैच में खेलने का मौका मिला जहां वे 146 रन की उद्घाटक साझेदारी में 51 रन की धीमी किंतु लयबद्ध पारी खोल कर हीरो बन गए।[22] जैसे इंग्लैंड बांग्लादेश से सीधे श्रीलंका पहुंचा, स्ट्रॉस ने दौरे के एक मैच में सोलंकी के पांच गेंदों में शून्य के सामने सर्वोच्च 83 रन बना कर इंग्लैंड के सलामी बल्लेबाज विक्रम सोलंकी पर दबाव बनाना जारी रखा,[23] और इनाम के रूप में उन्हें इंग्लैंड की ओर से खेलने का पहली बार मौका मिला तो दस विकेट से हारे उस निराशाजनक मैच में उन्हें श्रीलंका की ओर से पहली बार खेल रहे दिनुशा फर्नेंडो ने उन्हें कॉट एंड बोल्ड आउट किया,[24] तदनंतर उन्हें दौरे के शेष मैचों से अलग ही रखा गया।

स्ट्रॉस को वेस्ट इंडीज के दौरे में एक और मौका दिया गया था, यहां तक कि मार्क बुचर के चोटिल होने के कारण उन्हें टेस्ट टीम में भी ले लिया गया।[25] फिर भी उन्हें केवल एक दिवसीय टीम में ही मौका दिया गया, लेकिन अपने मूल क्रम से अलग तीसरे स्थान पर खेलकर उन्होंने इंग्लैंड की संघर्षपूर्ण जीत में सर्वोच्च 29 रन बनाकर अपना प्रभाव जमाया.[26] इस के बावजूद उन्हें दूसरे रद्द हुए मैच के बाद पांचवें मैच तक टीम से बाहर रखा गया, जिसमें उन्होंने मात्र 10 रन का योगदान किया[27] लेकिन उन्होंने इसकी पूर्ति कप्तान माइकल वॉन के साथ संयुक्त रूप से सर्वोच्च स्कोर बना कर तथा एक अच्छी शुरुआत देकर की, यह मैच अंततः इंग्लैंड हार गया, इसमें स्टेरॉस ने एक शानदार अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय कैच लपका.[28] उन्होंने अपने 66 रन के योगदान के साथ अंतिम मैच जीत कर श्रृंखला बराबर करने में मदद की। [29]

 
स्ट्रॉस अपने टेस्ट करियर की शुरुआत पर एक शतक बनाकर लॉर्ड के सम्मान बोर्ड में शामिल हुए

स्ट्रॉस इंगलिश सत्र शुरू करने के लिए घर लौटे किंतु नेट अभ्यास के दौरान वॉन की घुटने की चोट के जारी रहने के कारण स्ट्रॉस को अपना पहला टेस्ट केलने के लिए हरी झंडी मिल गई।[30] मूल योजना यह थी कि मार्क बुचर को इस समय खाली सलामी बल्लेबाज के स्थान पर पदोन्नत किया जाए और पॉल कॉलिंगवुड को मध्य क्रम में शामिल किया जाए. बुचर ने क्रम में ऊपर जाने से मना कर दिया और तीसरे क्रम पर ही खेले, इसका मतलब यह हुआ कि स्ट्रॉस को बल्लेबाजी आरंभ करने के लिए कहा गया तथा कॉलिंगवुड को टीम से बाहर बैठना पड़ा.[31][32] वॉन की चोट स्ट्रॉस के लिए भाग्यशाली साबित हुई जिन्होंने अपनी पहली टेस्ट पारी में सर्वोच्च 112 रन का योगदान दिया[33] और दूसरी पारी में रन आउट होने से पहले 82 रन बनाए, इस रन आउट की जिम्मेदारी नासिर हुसैन ने स्वीकार की। [34] इस प्रदर्शन से स्ट्रॉस विशिष्ट खिलाड़ियों की श्रृंखला में शामिल हो गए, वे लॉर्ड्स पर अपने पहले ही मैच में शतक बनाने वाले दूसरे अंग्रेज खिलाड़ी बन गए,[35] पहले मैच में शतक लगाने वाले तीसरे सलामी बल्लेबाज, पहले मैच में शतक लगाने वाले पंद्रहवें अंग्रेज खिलाड़ी, 1993 में ग्राहम थोर्प के बाद से पहले[36] और अपने पहले ही मैच में एक शतक और एक अर्द्ध शतक बनाने वाले मात्र चौथे अंग्रेज खिलाड़ी बन गए।[37] स्ट्रॉस ने साइमन जोन्स की गेंद पर स्टीवन फ्लेमिंग का कैच लपक कर टेस्ट में पहले खिलाड़ी को आउट भी करवाया और उन्हें इस प्रयास के लिए मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार भी मिला। [33] वॉन के पूरक की भूमिका में आए स्ट्रॉस के इस उत्कृष्ट प्रदर्शन के कारण हुसैन को क्रिकेट से संन्यास लेना पड़ा और वॉन बल्लेबाजी क्रम में नीचे आ गए तथा स्ट्रॉस की मार्कस ट्रेस्कोथिक के साथ सलामी बल्लेबाज की भूमिका बरकरार रही। [38] दूसरे टेस्ट में एक अर्द्ध शतक तथा टेस्ट में पहली बार शून्य[39] और तीसरे टेस्ट में छः रन के साथ श्रृंखला में आगे स्ट्रॉस का प्रदर्शन स्तर गिर गया।[40]

आगामी नेटवेस्ट त्रिकोणीय श्रृंखला जिसने दो दौरों को मिला दिया था, में इंग्लैंड ने सिर्फ एक मैच जीता जहां स्ट्रॉस ने नाबाद 44 के साथ यह विजय दिलाई थी,[41] यहां तक कि वेस्ट इंडीज के हाथों हारे मैच में लॉर्ड्स पर स्ट्रॉस और एंड्रू फ्लिंटॉफ दोनों ने शतक जमा कर 226 रन की साझेदारी बनाई थी, जिसमें स्टेरॉस ने पूरे 100 रन बना कर एक दिवसीय मैचों का अपना पहला शतक भी दर्ज किया।[42] स्ट्रॉस ने लौट कर लॉर्ड्स को तावूज बनाना जारी रखा जब वेस्ट इमडीज के विरुद्ध श्रृंखला के पहले टेस्ट में रॉबर्ट की के 221 के मुकाबले उन्होंने एक और शतक जड़ दिया तथा दोनों ने मिल कर वेस्ट इंडीज के विरुद्ध दूसरे विकेट के लिए उच्चतम साझेदारी का कार्तिमान स्थापित कर दिया। [43] ओल्ड ट्रैफर्ड पर तीसरे टेस्ट में जहां ब्रायन लारा ने अपना दस हजारवां रन बनाया, पांच घंटे तक क्रीज पर रहने के बाद भी स्ट्रॉस फिर से शतक बनाने से चूक गए और 90 पर आउट हो गए।[44] 2004 के व्यस्त सत्र के अंतिम भाग में स्ट्रॉस ने नाबाद 44 की सहायता से नेटवेस्ट चैलेंज प्रतियोगिता के पहले एक दिवसीय मैच में भारत के विरुद्ध इंग्लैंड को जीत दिलाई,[45] लेकिन अगले दो मैचों में सिर्फ दो-दो रन बनाए। [46] तब, 2004 में आईसीसी चैंपियनशिप ट्रॉफी में अपने घर में स्ट्रॉस ने जिम्बाब्वे के खिलाफ जीत में योगदान दिया[47] और फिर पुराने प्रतिद्वंद्वी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में 42 गेंदों पर नाबाद 52 बना कर हीरो बन गए।[48] हालांकि, फाइनल में ट्रेस्कोथिक को छोड़ कर शेष टीम से वे एक अच्छा स्कोर बनवाने में असफल रहे और वेस्ट इंडीज ने वह ट्रॉफी जीत ली। [49]

ऐशेज की राह (2004-05) संपादित करें

 
लॉर्ड्स में बांग्लादेश के खिलाफ स्ट्रॉस की बल्लेबाजी

चैंपियंस ट्रॉफी में दूसरे स्थान पर रही टीम ने नवम्बर में अफ्रीका के दौरे की शुरुआत से पहले अक्टूबर में विश्राम किया। उनका पहला पड़ाव जिम्बाब्वे था जहां वे 2003 के विश्व कप के समय हुई राजनीतिक समस्याओं के बाद वे पहली बार गए थे और मामूली सी टीम होने के बावजूद 4-0 की जीत में स्ट्रॉस एक अर्द्ध शतक भी नहीं जुटा सके। [46] अंतिम मैच में, स्ट्रॉस को एक मात्र ओवर फेंकने के लिए बुलाया गया था, जिसमें उन्होंने तीन रन दिए। [50] इसके बाद इंग्लैंड नए साल में एक पांच टेस्टों की श्रृंखला के लिए स्ट्रॉस के जन्मस्थान दक्षिण अफ्रीका गया। उनकी घर वापसी विस्फोटक रही जब उन्होंने दूसरी ही गेंद पर कप्तान ग्रीम स्मिथ को लपक लिया तथा पहली पारी में देश से बाहर पहला शतक बनाया और दूसरी पारी में टीम के कुल स्कोर के आधे से ज्यादा रन बनाए, एक बार फिर वे शतकों का जोड़ा बनाने से चूक गए और 94 पर नाबाद रहे, तब भी वे स्वदेश में और देश से बाहर पहले मैच में ही शतक बनाने वाले मात्र सातवें खिलाड़ी बन गए।[51][52] इस उपलब्धि से चूकने के बावजूद उन्होंने लगातार दो शतक दर्ज किए, मुक्केबाजी दिवस टेस्ट की पहली पारी में मात्र 25 के साथ वे सर्वाधिक रन बनाने वाले रहे तब ऐसा लगने लगा था कि इंग्लैंड की हार तय हो गई थी, उच्चतम 136 के साथ स्ट्रॉस तथा ट्रेस्कोथिक ने मिल कर इंग्लैंड की दूसरी पारी में पहले विकेट के लिए 273 रन की साझेदारी कर के इंग्लैंड को जीत की ओर बढ़ा दिया, हालांकि यह मैच अंत में बराबरी पर खत्म हुआ।[53] हारे गए तीसरे टेस्ट में स्ट्रॉस ने पहली पारी में न केवल सर्वोच्च 45 रन बनाए, बल्कि 19 पारियों में सबसे तेज 1000 रन बनाने वाले वे मात्र चौथे अंग्रेज खिलाड़ी बन गए।[54] दौरे के चौथे टेस्ट में उनके तीसरे शतक की बदौलत इंग्लैंड निर्णायक जीत[55] हासिल करने में सफल हुआ, स्ट्रॉस ने चौथे और पांचवें टेस्ट में शून्य का चश्मा पहना और इस प्रकार इंग्लैंड अपनी बढ़त को 3-1 नहीं कर पाया।[55][56] दो बार शून्य के बावजूद स्ट्रॉस 72.88 के औसत के साथ पांच मैचों में सर्वाधिक 656 रन बना कर श्रृंखला के बल्लेबाजों में शीर्ष पर रहे[57] तथा अपना पहला मैन ऑफ द सीरीज का पुरस्कार भी अर्जित किया। इसके बाद हुई हारी हुई एक दिवसीय श्रृंखला में स्ट्रॉस अपने बल्ले से प्रभावित करने में असफल रहे, उन्होंने किसी भी मैच में 35 से अधिक रन नहीं बनाए। [46] फिर भी, टेस्ट में उनकी सफलताओं ने अन्य लोगों के साथ भविष्य के ऑस्ट्रेलियाई प्रतिद्वंद्वी जस्टिन लैंगर की शाबासी बटोरी.[58]

दौरे के बाद, इंग्लैंड द्वारा घर लौट कर बांग्लादेश के साथ खेली गई एक मात्र पारी में लॉर्ड्स के अपने गृह मैदान पर स्ट्रॉस एक अर्द्ध शतक ही बना सके। [59] इसके बाद होनेवाली नैटवेस्ट श्रृंखला में बांग्लादेश और ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध इंग्लैंड ने ऐशेज श्रृंखला में जाने से पहले गति पकड़ी और ग्रुप में शीर्ष स्थान तथा फाइनल तक की राह बनाई। [60] व्यक्तिगत रूप से, स्ट्रॉस ने बांग्लादेश के विरुद्ध पहले और अंतिम मैच में 82 नाबाद तथा 98 रन बनाए[46] तथा बीच वाले मैच में 128 गेंदों पर एक दिवसीय का उच्च स्कोर 152 बनाया,[61] लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वे कुछ खास नहीं कर सके, किसी भी मैच में 25 से अधिक रन नहीं बनाए और टाई हुए फाइनल में तो वे मात्मैर 2 रन ही बना सके। [46] ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध ट्वंटी-20 अंतर्राष्ट्रीय मैच में स्ट्रॉस को बल्लेबाजी क्रम में उल्लेखनीय रूप से काफी नाचे खिलाया गया जिसमें उन्होंने इंग्लैंड की 100 रन से जीत में 18 रन बनाए थे[62] और नैटवेस्ट के हारे हुए मैच में कुछ अच्छा स्कोर किया लेकिन उल्लेखनीय नहीं, दो मैचों में 50 के आस पास ही रहे। [46]

ऐशेज (2005) संपादित करें

 
चौथे टेस्ट में जीत के लिए 129 का पीछा करते हुए स्ट्रॉस को माइकल कलार्क द्वारा लपका गया।

2005 ऐशेज श्रृंखला में प्रवेश करते समय इग्लैंड ने 1980 के बाद से अब तक कोई भी शंखला नहीं जीती थी, जबकि पिछली छः श्रृंखलाओं में अविजित रिकॉर्ड के साथ यह श्रृंखला पूरी तरह से ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में दिखाई दे रही थी, ऑस्ट्रेलियन कप्तान रिकी पाँटिंग का पूर्वानुमान था कि इंग्लैंड की पिछली जीत के बाद से यह सबसे नजदीकी मुकाबला होने वाला था।[63] कदाचित टीम लॉर्ड्स में भी दबाव ने स्ट्रॉस तथा शेष टीम को प्रभावित किया था, क्योंकि टीम के 190 के स्कोर में उन्होंने 2 का योगदान दिया और दूसरी पारी में कुछ बेहतर करते हुए इस हारे हुए मैच में टीम के 180 में 37 रन बनाए, हालांकि स्ट्रॉस ने पहली पारी में पाँटिंग का कैच जरूर लिया था।[64] दूसरा टेस्ट अधिक नाटकीय साबित हुआ जिसमें स्ट्रॉस ने अपने लॉर्ड्स के प्रदर्शन में कुछ सुधार किया और ट्रेस्कोथिक के साथ पहले विकेट के लिए 112 की साझेदारी बना कर अड़तालीस रन पर शेन वॉर्न की स्पिन पर आउट हो गए।[65] हालांकि इस ठोस शुरुआत ने इंग्लैंड को पहली पारी में 99 रन की बढ़त तक पहुंचा दिया, ये दूसरी पारी में स्ट्रॉस के तुच्छ छः रन थे जिसने अधिक ध्यान खींचा,[66] दूसरे दिन का खेल खत्म होने से चार गेंद पहले वॉर्न की एक लेगब्रेक खुरदरे स्थान से आश्चर्यजनक ढंग से स्पिन हुई और उनके शरीर से टकराकर लेग स्टम्प ले उड़ी.[67][68] वे छः रन यकीनन महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि, इंग्लैंड की जीत का अंतर था मात्र दो रन.[65] इस छः के अंक ने उनका ओल्ड ट्रेफर्ड में होने वाले अगले टेस्ट में पीछा किया, वॉन के लिए जगह बनाकर जिन्होंने इस श्रृंखला का पहला शतक लगाया. स्ट्रॉस ने अपने कप्तान के नक्शेकदम पर चलते हुए दूसरी पारी में अपनी ओर से 106 जोड़े और ऑस्ट्रेलिया के लिए 371 का लक्ष्य निर्धारित किया जिसने अपना अंतिम विकेट न गिरने देकर ड्रॉ सुरक्षित कर लिया और इस श्रृंखला को 1-1 की बराबरी पर ले आया।[69]

 
ट्राफलगर स्क्वेर में इंग्लैंड ने एशेज़ जीतने के बाद ख़ुशी मनाई

चौथे टेस्ट में स्ट्रॉस ने पहले विकेट के लिए शतकीय साझेदारी करके इंग्लैंड को एक अच्छी शुरुआत देने में मदद की, जिमें उनका खुद का योगदान 35 रन का था तथा दो कैच लेकर ऑस्ट्रेलिया को 218 तक सीमित रखने में सहायता की, खासकर तेजी से रन बना रहे एडम गिलक्रिस्ट का स्लिप से काफी दूर कैच पकड़ कर, जिसे “गर्मियों की स्थाई छवि” कहा गया।[70] फॉलो-ऑन देने के बाद इंग्लैंड को 129 का लक्ष्य मिला और दबाव में बल्लेबाज आउट होने लगे, स्ट्रॉस तीसरा विकेट गिरने तक डटे रहे और बीस से अधिक का स्कोर बनाने वाले चार बल्लेबाजों में से एक रहकर टेस्ट जिता दिया तथा शऋंखला में बढ़त प्राप्त करली.[71] ऐशेज पर कब्जा करने के लिए अंतिम टेस्ट में सिर्फ ड्रॉ की ही जरूरत थी, स्ट्रॉस ने विजयी रवैये के साथ पहले दिन लगभग पूरे दिन बल्लेबाजी की जिसमें उन्होंने सात साझेदारियां निभाईं और 129 रन बनाए[72] और ऐशेज में एक और शतक लगाकर दोनों टीमों में से श्रृंखला में रिकॉर्ड दो शतक बनाने वाले अकेले खिलाड़ी बन गए।[73] एक बार फिर से स्ट्रॉस ने फील्ड में कैच लपक कर ऑस्ट्रेलिया के श्रृंखला के दूसरे सबसे बढ़िया बल्लेबाज[73] और कप्तान पॉन्टिंग को आउट करने में[72] तथा इसी के साथ तेज गेंदबाज ग्लेन मैकग्रा को शून्य पर ही वापस भेजने में मदद की। जब श्रृंखला में एक दिन से कुछ ही ऊपर शेष बचा था, तो इंग्लैंड को दुबारा बल्लेबाजी करनी पड़ी और दुर्भाग्य से स्ट्रॉस अपने शानदार प्रदर्शन को कायम नहीं रख सके, उन्हें फिर से वॉर्न ने आउट किया जब सिर्फ एक रन पर साइमन कैटिच ने उनका कैच लपक लिया। इस सब के बावजूद, दक्षिण अफ्रीका में ही जन्मे इंग्लैंड के साथी खिलाड़ी केविन पीटर्सन ने अपना पहला शतक ठोक कर ऑस्ट्रेलिया को जीतने से रोक दिया और इंग्लैंड ने 18 वर्षों में पहली बार श्रृंखला जीत कर ऐशेज पर कब्जा कर लिया।[72]

एक श्रृंखला में यकीनन बल्लेबाजी से गेंदबाजी अधिक प्रभावी रही, स्ट्रॉस बल्लेबाजी औसत 39.30 रहा जबकि वे 393 रन बना कर इंगलैंड के सिर्फ चौथे सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे, ऑस्ट्रेलिया के सिर्फ एक बल्लेबाज जस्टिन लैंगर ने उनसे अधिक रन बनाए थे, वो भी मात्र एक रन; स्ट्रॉस एक मात्र खिलाड़ी थे जिसने दो शतक लगाए तथा छः कैच पकड़ कर इंग्लैंड के ही इयान बेल के बाद दूसरे सर्वश्रेष्ठ क्षेत्ररक्षक रहे। [73] नव वर्ष की सम्मान सूची में जबकि कप्तान माइकल वॉन और कोच डंकन फ्लेचर को ओबीई (OBE) (ब्रिटिश साम्राज्य के अधिकारी) से पुरस्कृत किया गया वहीं स्ट्रॉस सहित टिम के अन्य सदस्यों को एमबीई (MBE) (ब्रिटिश साम्राज्य के सदस्य) का पुरस्कार दिया गया।[74][75]

एशियाई टीमों का सामना और आरंभिक कप्तानी (2005-06) संपादित करें

अगले शीतकालीन महीनों में, इंग्लैंड ने अपनी एशेज की सफलता के बाद 2004 से छः श्रृंखलाओं के अविजित क्रम (सिर्फ दो टेस्ट में हार सहित) को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से इंग्लैंड ने पाकिस्तान का दौरा किया।[76] स्ट्रॉस ने अभ्यास मैचों में दो बार पांच और एक बार छः रन बना कर हतोत्साहित रूप से दौरे की शुरुआत की,[77][78] अभ्यास मैच की अंतिम पारी में 56 रन बनाए। [77] स्ट्रॉस की बल्लेबाजी की समस्याओं को स्वीकार करते हुए,[79] स्ट्रॉस के प्रदर्शन में कभी सुधार नहीं हो सका क्योंकि इंग्लैंड की अंतिम हार से पहले, अपने पहले बच्चे के जन्म पर शामिल होने के लिए पाकिस्तान छोड़ने से पूर्व, पहले दो टेस्टों, जिनमें पहला हारे और दूसरा ड्रॉ हुआ, में उन्होंने 11[80] के औसत से सिर्फ 44 रन बनाए। [81] स्ट्रॉस एक दिवसीय श्रृंखला के लिए लौट कर आए लेकिन दौरे के एक मैच में केवल पांच रन के साथ थोड़ा सुधार दिखाया,[82] किंतु थर्डमैन पर गेंदें भेजकर अधिक सफलता पाई, पहले मैच में इंग्लैंड की जीत में उन्होंने सर्वाधिक 94 रन बनाए। [83] उन्होंने कम स्कोर वाले अंतिम मैच में भी 26 रन बनाए, जिसे इंग्लैंड ने जीता था,[84] लेकिन इससे पहले दो मैचों में शून्य का चश्मा भी पहना था।[85]

क्रिसमस के बाद, इंग्लैंड मार्च में भारत गया और तनाव संबंधी रोग के कारण ट्रेस्कोथिक के अनुपस्थित रहने के कारण स्ट्रॉस ने पहली बार खेल रहे 21 वर्षीय एलिस्टेयर कुक के साथ बल्लेबाजी आरंभ की थी। कुक ने स्ट्रॉस के आरंभिक नाटकीय प्रदर्शन को दोहराया जब उन्होंने ड्रॉ हुए मैच में स्ट्रॉस के 28 और 36 को फीका करते हुए एक अर्द्धशतक तथा एक शतक लगाया.[86] तीसरे टेस्ट में सामने कुक के बिना स्ट्रॉस एक बार फिर से चमके और विजयदायी प्रयास में 128 रन बना कर श्रृंखला बराबर कर ली। [87] इसके बाद आने वाले एक दिवसीय मैचों में यदि इंग्लैंड श्रृंखला को ड्रॉ करवा सकता तो खुद को भाग्यशाली समझता, घुटने की चोट के कारण दौरे पर नहीं आए वॉन के प्रतिस्थापित कप्तान एंड्रयू फ्लिंटॉफ के अधीन खेल कर लगातार चार मैच गंवा चुका था।[88] स्ट्रॉस का दो अंकों में स्कोर दूसरे मैच[46] में 61 था, लेकिन फ्लिंटॉफ कप्तानी से विश्राम चाहते थे, इसलिए पांचवें मैच में कप्तानी स्ट्रॉस को सौंप दी गई, यह मैच गुवाहाटी में दर्शकों की भीड़ द्वारा हिंसा के चलते रद्द कर दिया गया था।[89] अगले ओडीआई (ODI) में फ्लिंटॉफ को बारहवें खिलाड़ी के रूप में लेकर[90] स्ट्रॉस ने पहले भारत से बल्लेबाजी करवाई, फिर इयान बेल के साथ शतकीय साझेदारी करके, जिसमें मांसपेशियों में खिंचाव के कारण रिटायर होने के समय उनका योगदान 74 का था,[91] आठ ओवर शेष रहते शानदार जीत इंग्लैंड की इस दौरे की एकमात्र एक दिवसीय सफलता थी क्योंकि अंतिम मैच में भारत ने 5 गेंद शेष रहते हुए ही सफलतापूर्वक लक्ष्य की पीछा कर लिया था, इसमें स्ट्रॉस का योगदान सिर्फ 25 रन का था।[92]

पिछले दो वर्ष के उल्लासोन्माद के बाद इंग्लैंड पूरे शातकाल में बिना किसी श्रृंखला विजय के थकी हुई घर लौटी तो उपमहाद्वीपीय तिकड़ी का राज पूरा हुआ क्योकि जब वहां श्रीलंका पहुंचा तो उसने यह सिद्ध कर दिया कि एशियाई वर्चस्व केवल भारतीय उपमहाद्वीप तक ही सीमित नहीं है। कप्तानी का ताज फ्लिंटॉफ को लौटा कर स्ट्रॉस ने केवल मैदान पर अपने बल्लेबाजी कौशल पर ध्यान केंद्रित किया जिसने उसे प्रसिद्ध कर दिया। ट्रेस्कोथिक के साथ एक बार फिर से पारी आरंभ करके स्ट्रॉस लंच के समय अर्द्धशतक से दो रन पूर्व ही मुथैया मुरलीधरन की गेंदबाज़ी का शिकार होते गए, इसके बाद कुक तथा शेष खिलाड़ी विकेट पर आए। आगे जाकर स्ट्रॉस ने श्रीलंका की पहली पारी के अंतिम विकेट के रूप में नुवान कुलसेखर को फ्लिंटॉफ की गेंद पर लपक लिया जिससे इंग्लैंड को श्रीलंका से फॉलो-ऑन करवाने का मौका मिला, किंतु इंग्लैंड इस फॉलो-ऑन का लाभ नहीं उठा सका और मैच ड्रॉ हो गया।[93] दूसरे टेस्ट में 16 रन पर पैड से लग कर दूसरी स्लिप में गई गेंद पर विवादास्पद ढंग से आउट होने से पहले स्ट्रॉस ने इंग्लैंड की दोनों पारियों में दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाए थे।[94][95] तीसरे टेस्ट मैच में उन्होंने एक और अर्द्धशतक दर्ज किया, हालांकि यह 134 रन से हार को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं था।[96] एक बार फिर खेल के लघु रूप के लिए स्ट्रॉस को कप्तानी की पेशकश की गई, उन्होंने श्रीलंका से दो रन की हार वाले तनावयुक्त मैच में इंग्लैंड टीम का नेतृत्व किया, जहां उन्होंने ट्रेस्कोथिक के साथ 59 रन की सलामी साझेदारी की थी।[97] स्ट्रॉस की कप्तानी में इंग्लैंड को पांच मैचों में धुलाई सहन करनी पड़ी, जहां स्ट्रॉस 50 रन भी नहीं जुटा सके,[98] हालांकि यह स्वीकार किया गया कि टीम, विशेषकर टीम का गेंदबाजी पक्ष कमजोर था।[99]

जब इंग्लैंड अपने ऐशेज से लेकर विश्वकप तक का व्यस्त अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किया, तो एक दिवसीय में धुलाई होने के बावजूद, स्ट्रॉस पर भरोसा जताते हुए उन्हें पाकिस्तान के ग्रीष्मकालीन दौरे के लिए कार्यवाहक के स्थान पर औपचारिक कप्तान बना दिया गया,[100] टेस्ट कप्तानी को देखते हुए, पहला मैच उनके पसंदीदा लॉर्ड्स मैदान पर हुआ जिसमें उन्होंने एक और शतक दर्ज किया, इस बार 128 दूसरी पारी में,[101] लेकिन उनकी इस बात के लिए आलोचना हुई कि उन्होंने जीत के लिए अपने गेंदबाजों को सिर्फ 80 ओवर दिए थे, जिसे वे हासिल नहीं कर पाए.[102] दूसरे टेस्ट में उन्होंने चुस्त क्षेत्ररक्षण के द्वारा स्थिति में जबर्दस्त परिवर्तन किया जिसने पाकिस्तान को दोनों पारियों में 250 के नीचे सीमित कर दिया और इंग्लैंड के तेज गति से बने 461 के स्कोर में उनका योगदान 42 का था, इससे उन्हें मात्र तीन दिन में एक पारी से प्रभावशाली जीत मिली। [103] हालांकि तीसरा टेस्ट मैच इतना जोरदार नहीं रहा, तब भी दूसरी पारी में अन्य तीन पारियों की भांति कोई शतक नहीं लगने देकर तथा खुद एक शतक, 116 लगा कर जीत हासिल की और श्रृंखला में अपराजोय बढ़त प्राप्त कर ली। [104] स्ट्रॉस की कप्तानी में पहली टेस्ट सीरीज ओवल पर कुछ विवादों के साथ समाप्त हुई, इसे कमेंटेटरों द्वारा ओवलगेट का नाम दिया गया, दूसरी पारी के दौरान अंपायर डेरेल हेयर और बिली डोक्ट्रोव ने गेंद का निरीक्षण किया और निश्चय लया कि गेंद के साथ छेड़छाड़ की गई थी। आरोप से अपमानित पाकिस्तान टीम विरोध प्रकट करते हुए चाय के बाद मैदान पर नहीं उतरी, परिणामस्वरूप अंपायर को मैच को रद्द घोषित करना पड़ा. पाकिस्तान ने बाद में मैदान पर आने की कोशिश की, लेकिन अंपायर ने अपने निर्णय को सही ठहराया.[105] दो साल बाद पाकिस्तान की याचिका के बाद इस निर्णय को ड्रॉ में बदल दिया गया था,[106] लेकिन फरवरी 2009 में इन आलोचनाओं के बीच कि ऐसी इतिहासात्मकता से गलत मिसाल कायम होगी मूल निर्णय को ही पुनर्स्थापित कर दिया गया।[107] इस प्रकार श्रृंखला इंग्लैंड के पक्ष में 3-0 से समाप्त हो गई, जिसमें स्ट्रॉस को मोहम्मद यूनुस के बाद इंग्लैंड की ओर से सर्वाधिक रन बनाने के कारण श्रृंखला का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी[108] घोषित किया गया।[109]

स्ट्रॉस की सीमित ओवरों वाली टीम की कप्तानी जारी है। एक मात्र ट्वंटी20 अंतर्राष्ट्रीय में वे अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके, शून्य पर ही आउट हो गए और पाकिस्तान ने दो ओवर शोष रहते ही मैच जीत लिया,[110] और जब एक दिवसीय श्रृंखला आरंभ हुई तब भी उनका भाग्य वैसा ही रहा। दो कम स्कोरों के बाद[46] तीसरे मैच में उन्होंने 50 का स्कोर किया, तब भी उनकी टीम यह मैच हार गई,[111] हालांकि चौथे मैच में उनके 78 रनं ने उन्हें आठ विकेट से जीत दिला दी[112] और फिर 35 के उनके सर्वोच्च स्कोर के साथ इंग्लैंड ने 2-2 से श्रृंखला बराबर कर ली। [113] अगले महीने इंग्लैंड भारत में चैंपियंस ट्रॉफी के लिए उपमहाद्वीप में लौट आया। स्ट्रॉस ने तीन मैचों में दो अर्द्ध शतक बनाए[46], लेकिन समग्र रूप से टीम बुरी तरह खेली और केवल एक जीत वेस्ट इंडीज के विरुद्ध प्राप्त कर सकी। [114]

प्रदर्शन में गिरावट (2006-07) संपादित करें

चैंपियंस ट्रॉफी के बाद जैसे ही एंड्र्यू फ्लिंटॉफ को मैच के लिए फिट घोषित किया गया, कप्तानी वापस उनके पास आ गई।[115] स्ट्रॉस ने इस दौरे की बेहद खराब शुरुआत की, पूरी टीम के ही आम तौर पर लचर प्रदर्शन में उन्होंने चार पारियों में मात्र 71 रन बनाए। पहले दोनों टेस्ट गंवा देने के बाद, विभाजित ड्रेसिंग रूम के बारे में प्रश्न खड़े होने लगे, क्योंकि स्ट्रॉस और फ्लिंटॉफ के बीच कप्तानी बार-बार हस्तांतरित हो रही थी, लेकिन स्ट्रॉस ने इन आरोपों को कोई महत्त्व नहीं दिया। [116] इसके बाद एक आभ्यास मैच में उन्होंने 88 रन बनाए,[117] लेकिन अगले टेस्ट में वे दोनों पारियों में संदिग्ध निर्णयों के कारण आउट हुए, 42 पर लपके गए और शून्य पर पगबाधा दिए गए, रिप्ले से ऐसा लगा कि दोनों ही निर्णय कठोर थे।[118] मुक्केबाजी दिवस टेस्ट में स्ट्रॉस ने अपने इस दौरे की एक मात्र पहचान[119] सुरक्षित की जब उन्होंने 50 रन बनाए, हालांकि उन्हें यह शेन वॉर्न के 700वें टेस्ट शिकार के रूप में अधिक याद रहेगा, जो ऑस्ट्रेलियन स्पिनर ने अपने जीवन के अंतिम टेस्ट, जब तक ऐशेज उनके हाथ से जा चुका थी, से पूर्व के मैच में लिया था।[119][120] जैसे मानो पांच मैच में धुलाई ही पर्याप्त नहीं थी, श्रृंखला की अंतिम पारी में स्ट्रॉस के सिर में ब्रेट ली का बाउंसर लगने से आउट होने के बाद उन्हें अस्पताल जाना पड़ा था।[121] श्रृंखला के बाद टेस्ट टीम के कोच डंकन फ्लेचर ने स्ट्रॉस और पॉल कॉलिंगवुड दोनों में आत्मविश्वास की कमी पर खेद व्यक्त किया, जिन्हें वे शेष टीम के लिए एक आदर्श के रूप में प्रोत्साहित करना चाहते थे।[122] वर्ष के अंत में उनके प्रदर्शन में गिरावट के बावजूद, खराब अंपायरिंग निर्णयों को ध्यान में रखते हुए स्ट्रॉस को 2006 विज्डन चालीस में चुन लिया गया।[123]

टेस्ट श्रृंखला के बाद, इंग्लैंड ने राष्ट्रमंडल बैंक त्रिकोणीय श्रृंखला के अभ्यास के लिए एक मात्र ट्वंटी20 अंतर्राष्ट्रीय खेला। स्ट्रॉस को ट्वेंटी -20 मैच से बाहर रखा गया था लेकिन वे एक दिवसीय श्रृंखला में जरूर खेले। हालांकि इंग्लैंड की खेल के लघु प्रारूप की तुलना में दीर्घ प्रापीप में बेहतर करने की प्रवृत्ति है, उन्होंने आरंभिक पराजयों के बाद रफ्तार पकड़ ली और न्यूजीलैंड को पराजित कर दिया, जैसा कि होता है ग्रुप स्तर पर चाहे हारे हों लेकिन जो अंत में जीत गया वही विजेता होता है,[124] स्ट्रॉस के 55 रन ही उनका एक मात्र उल्लेखनीय स्कोर था।[46] इस समय तक, फ्लेचर के यह स्वीकार करने के साथ ही कि उन्हें उथले बल्लेबाजी विकल्पों के कारण ही अधिकतर टीम में लिया गया था, एक दिवसीय में स्ट्रॉस की खराब फार्म उजागर हो चुकी थी।[125] हालांकि एस अर्द्धशतक ने उनके आत्मविश्वास के लिए कुछ नहीं किया क्योंकि पहले फाइनल में वे शून्य पर आउट हो गए[46] और दूसरे में छः पर, हालांकि उन्होंने पॉन्टिंग और माइक हसी, दोनों को इकाई अंक के स्कोर पर सामीत रख कर डकवर्थ-लुईस प्रभावित स्कोर का उपयोग इंग्लैंड के जीतने के लिए किया जा सकता था ताकि तीसरे मैच की जरूरत ही न पड़े.[126] अपने खराब प्रदर्शन स्तर के कारण उन्हें विश्व कप के ग्रुप स्तर तक टीम से बाहर रहना पड़ा और कमेंटेटरों द्वारा सुपर आठ में श्रीलंका के विरुद्ध[127] उनकी वापसी की उम्मीद के बावजूद पुराने प्रतिद्वंद्वी ऑस्ट्रेलिया के मुकाबले खेलने के लिए बुलाए जाने तक इंतजार करना पड़ा, जहां उन्होंने मात्र 7 रन बनाए और उनकी पॉन्टिंग को रन आउट करने की अपील को टीवी रिप्ले के बाद ठुकरा दिया गया।[46][128] जब तक इंग्लैंड नॉक आउट में बाहर न हो गया तब तक वे शेष सभी मैचों में इंग्लैंड की ओर से खेले; अगले दो वर्ष तक फिर से वे इंग्लैंड के लिए एक दिवसीय क्रिकेट में नहीं खेले।[46]

अंततः खेल के दोनों अंतरराष्ट्रीय स्वरूपों में खराब वर्ष के बाद, यहां तक कि उन्हें सिर्फ टेस्ट पर ही ध्यान केंद्रित करने की अनुमति दिए जाने के बावजूद, 43 टेस्ट मैच के बाद उन्हें टेस्ट टीम से हटा दिया गया।[129]

टीम से बाहर होना और न्यूजीलैंड में पुनरुत्थान संपादित करें

27 से कम तथा सर्वोच्च स्कोर 96 के साथ एक भी शतक लगाने में नाकामी के साथ स्ट्रॉस का खराब प्रदर्शन 2007 तक जारी रहा। [5] जबकि उन्होंने भारत और वेस्ट इंडीज के विरुद्ध टेस्ट मैच खेलना जारी रखा था, उन्हें ओडीआई (ODI) टीम से बाहर कर दिया गया। 2007 के अंत में, स्ट्रॉस को श्रीलंका के दौरे के लिए टीम में नहीं चुना गया था और माइकल वॉन को उनका सलामी बल्लेबाज वाला स्थान लेने के लिए चुना गया। स्ट्रॉस ने तब घोषणा की कि वे, जैसा कि उन्होंने वर्णित किया, "लंबे, थकाऊ और बेहद निराशाजनक 12 महीनों" के बाद क्रिकेट से अवकाश ले रहे हैं। हालांकि, वे टीम के लिए बैकअप के रूप में भारत की यात्रा के लिए सक्षम थे, यदि वे ऐसा चाहते.[5]

स्ट्रॉस को इस प्रकार इंग्लैंड के सर्दियों में क्रिकेट मैचों से हटा दिया गया था। वे न्यूजीलैंड दौरे के लिए टेस्ट टीम में लौटे, लेकिन खुद हिट विकेट होने से पूर्व एक अभ्यास मैच में उन्होंने मात्र चार रन बनाए। [130] इस तथ्य के बावजूद कि 25 टेस्ट पारियों से अब तक उन्होंने एक भी शतक नहीं लगाया था, स्ट्रॉस को ओवेस शाह (जिसने उसी अभ्यास मैच में 96 रन बनाए थे) पर तरजीह देते हुए दूसरे अभ्यास मैच में खेलने के लिए चुना गया, इससे ये अटकलें लगने लगी थीं कि उन्हें न्यूजीलैंड के विरुद्ध पहले टेस्ट मैच की टीम में स्थान मिल जाएगा.[131] जैसा कि श्रीलंका के विरुद्ध किया गया था वॉन और कुक को सलामी बल्लेबाजी के लिए छोड़ कर स्ट्रॉस को तीसरे क्रम पर बल्लेबाजी के लिए रखा गया।[131] पहली पारी में उनकी बल्लेबाजी खराब रही और उन्हें 5 रन पर आउट कर दिया गया। हालांकि दूसरी पारी में वे सलामी बल्लेबाज के स्थान पर लौटे और इयान बेल के साथ नाबाद 104 रन बनाए। [132]

पहले दो मैचों में स्ट्रॉस ने खराब खेलना जारी रखा था और तीसरे मैच की पहली पारी में शून्य पर आउट हो गए थे। दूसरी पारी में, तथापि, उन्होंने 226 गेंदों में, अपना सबसे धीमा लेकिन अगस्त 2006 के बाद से पहला शतक पूरा किया और आगे जाकर टेस्ट क्रिकेट का अपना सर्वोच्च स्कोर 177 बनाया। इस पारी से प्रतीत हुआ जैसे स्ट्रॉस ने अपनी चमक वापस प्राप्त कर ली थी, क्योंकि इसके बाद होने वाले इंग्लैंड के घरेलू सत्र के प्रथम भाग में उन्होंने मिडलसेक्स की तरफ से एक घरेलू एक दिवसीय मैच में पड़े सर्जनात्मक ढंग से 130 गेंदों पर 163 रन बनाए।

न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका का इंग्लैंड दौरा संपादित करें

उनके 177 के बाद, उसी प्रतिद्वंद्वी के विरुद्ध आगामी श्रृंखला के लिए टीम में स्ट्रॉस का स्थान सुरक्षित हो गया था। जबकि अभी भी एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय टीम के लिए उन पर ध्यान नहीं दिया गया थी, उन्हें उनका टेस्ट सलामी बल्लेबाज का स्थान अलिस्टेयर कुक के साथ वापस दिया गया और माइकल वॉन वापस तीसरे क्रम पर नीचे चले गए। लॉर्ड्स पर बारिश से प्रभावित मैच में उन्होंने अपनी फॉर्म जारी रखी और खेली गई इंग्लैंड की एक मात्र पारी में धीमे लेकिन नियमित 63 रन बनाए। दूसरे टेस्ट में आउट होने से पूर्व स्ट्रॉस ने एक और 60 रन बना कर इंग्लैंड को पहली पारी में अच्छी शुरुआत दी जिससे इंग्लैंड एक बड़ा स्कोर खड़ा कर सका। तब 294 का पीछा करते हुए उन्होंने बल्लेबाजी के लिए एक कठिन विकेट पर दूसरी पारी में 106 रन बनाए जिससे इंग्लैंड ने 6 विकेट से यह मैच जीत कर तीन मैचों की श्रृंखला में 1-0 की बढ़त प्राप्त कर ली। ओल्ड ट्रेफर्ड पर यह स्ट्रॉस का दूसरा टेस्ट शतक था (पहला ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2005 में लगाया था, तब भी उन्होंने 106 रन बनाए थे). ट्रेंट ब्रिज में तीसरे और अंतिम टेस्ट में उन्होंने इंग्लैंड की पहली और एकमात्र पारी में 37 रन बनाए और इंग्लैंड ने 2-0 से यह श्रृंखला जीत ली। उनके द्वारा 66.50 की औसत से बनाए गए 266 रनंं के लिए उन्हें इंग्लैंड का मैन ऑफ द सीरीज नामित किया गया था।[133]

उनकी फॉर्म अब चयनकर्ताओं को प्रभावित कर रही थी, स्ट्रॉस को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दौरे पर अपना क्रम बरकरार रखने की अनुमति दे दी गई। उन्होंने औसत शुरुआत की जब उन्हें इंग्लैंड की पहले मैच की एक मात्र पारी में 44 रन पर आउट कर दिया गया। हालांकि हैडलिंग्ली में दूसरे टेस्ट मैच की पहली पारी में वे मात्र 27 रन तथा दूसरी में शून्य ही बना सके। तीसरे टेस्ट दक्षिण अफ्रीका के तेज गेंदबाजों के खिलाफ उन्होंने संघर्ष करना जारी रखा जिसका परिणाम दोनों पारियों में 20-20 रन ही बना पाए और इंग्लैंड को 0-2 से पिछड़ कर अंतिम टेस्ट में जाना पड़, इज्जत बचाने के लिए कम से कम एक जीत की जरूरत थी। स्ट्रॉस की पहली पारी में विफल रहे, सिर्फ छः रन पर आउट कर दिए गए। साथी गेंदबाजों की बदौलत इंग्लैंड के एक मैच जीतने की स्थिति में आने पर, स्ट्रॉस अच्छा खेले, कुक के साथ एक शतकीय सलामी साझेदारी निभाई और अंततः 58 पर आउट हुए. फिर भी, उनका स्थान फिर से दबाव में बना रहा।

2008 भारत का दौरा संपादित करें

स्ट्रॉस भारत दौरे के लिए अपनी जगह बनाने में कामयाब हुए और पहले टेस्ट मैच की पहली पारी में ही 123 रन बना कर चयनकर्ताओं को इसका सिला भी दे दिया, जबकि शेष बल्लेबाजी पिछड़ गई थी। इसके बाद जब इंग्लैंड की बल्लेबाजी ढहने लगी तो उन्होंने बल्लेबाजी का क्रम थामे रखा और 43-3 से पॉल कॉलिंगवुड के साथ 200 रन की साझेदारी की जिसमें स्ट्रॉस और कॉलिंगवुड दोनों ने 108 रन बनाए। वे एक ही टेस्ट की दोनों पारियों में शतक लगाने वाले इंग्लैंड के मात्र 10वें बल्लेबाज बन गए, जबकि पिछले 2004 में मार्कस ट्रेस्कोथिक थे।[134]

कप्तानी संपादित करें

पूर्व कप्तान केविन पीटरसन तथा पीटर मूर्स के बीच की दरार के सार्वजनिक होने के बाद 7 जनवरी 2009 को स्ट्रॉस को कप्तान नियुक्त किया गया। केवल 3 टेस्ट मैचों के बाद ही पीटरसन ने कप्तानी से इस्तीफा दे दिया, तथा मूर्स को निकाल दिया गया। यह भारत में 2008 की टेस्ट सीरीज़ में फार्म में वापसी के साथ आया, जिसमें इंग्लैंड हारा था और दो मैच बराबर छूटे थे।

सबीना पार्क पर वेस्टइंडीज़ के खिलाफ कप्तान के तौर पे अपने पहले मैच में, स्ट्रॉस और उनकी टीम विफल हो गयी, स्ट्रॉस के 7 और 9 रनं के रूप में इंग्लैंड एक पारी से हार के साथ दूसरी पारी में 51 रनं पर सिमट गयी थी।[135] रद्द टेस्ट मैच की असफलता के बाद, स्ट्रॉस की बल्ले के साथ एक उत्कृष्ट सीरीज रही थी, जिसमें बाकी बचे तीन टेस्ट मैचों में 169, 142, 142 स्कोरों के साथ 67.62 की औसत से सीरीज में कुल 541 रन बने थे,[136] लेकिन इंग्लैंड इन तीनो में से किसी भी मैच में जीत का दवाब डालने में असमर्थ था और फलस्वरूप 1-0 से सीरीज हार गया। पिछली वनडे सीरीज जिसे 2-2 से बराबर कराया गया था, में बतौर कप्तान गुयाना[137] में स्ट्रॉस ने 105 रन बनाये और किंग्स्टन ओवल पर 61 बोलों में 79 नाबाद रन बनाये। [138] इन्होने उस ट्वेंटी -20 टीम की कप्तानी भी की थी जो 6 विकेट से हारी थी।[139] स्ट्रॉस ने बीबीसी से कहा कि उन्हें आशा है कि 2009 की एशेज सीरीज में कप्तानी की पूरी असफलता समाप्त हो जायेगी.

अपने घर पर टेस्ट और वनडे दोनो में वेस्ट इंडीज पर 2-0 की जीत द्वारा स्ट्रॉस ने वेस्ट इंडीज से मिली हार का प्रायश्चित्त किया। उस श्रृंखला के बाद, स्ट्रॉस ने अंतरराष्ट्रीय दौरों से विश्राम लिया था जबकि विश्व ट्वेंटी -20 कार्यान्वयन अधीन था। एसेक्स के खिलाफ 97 रन से परे ये कम प्रभाव के लिये दो काउंटी चैम्पियनशिप मैचों में खेले।[140]

ऐशेज (2009) संपादित करें

इंग्लैंड ने 2007 में 5-0 से सफाये के बाद, एशेज़ को फिर से पाने के इरादे से सीरीज़ में वापस प्रवेश किया।

सोफिया उद्यान पर पहले टेस्ट में, स्ट्रॉस 30 और 17 रन बनाते हुए दो शुरुआतो को भुनाने में असफल हुए; उनकी दूसरी पारी की असफलता, नाथन हॉरिट्ज़ की गेंद पर बल्ले का ऊपरी किनारा लग कर लपका जाना, विशेष रूप से खराब थी।[उद्धरण चाहिए] एक अच्छे बल्लेबाजी विकेट पर साइमन कैटिच (122), रिकी पोंटिंग (150), मार्कस नॉर्थ (121) और ब्रैड हैडिन (125 नाबाद) के शतकों के साथ ऑस्ट्रेलिया ने 6 विकेट पर 674 रनं पर पारी घोषित करके शिकंजा कस दिया था। दूसरी पारी में, केवल 5¾ घंटे तक पॉल कॉलिंगवुड और पुछल्ले बल्लेबाजों के योगदान से इंग्लैंड ड्रॉ पर संतोष कर सका, जहां जेम्स एंडरसन तथा मॉन्टी पनेसर की अंतिम जोड़ी ने मैच के अंतिम 11½ ओवर तक पारी को रोके रखा था।[141]

इंग्लैंड ने लॉर्ड्स के दूसरे टेस्ट में प्रवेश किया, जहां वह 1934 एशेज में हेडली वेरिटी के मैच के बाद से एक भी एशेज टेस्ट नहीं जीता था। अपने घरेलू मैदान पर, स्ट्रॉस ने एलिस्टेयर कुक (95) के साथ 196 रनंं की साझेदारी निभाते हुए मैच के पहले दिन पूरे दिन बल्लेबाजी करते हुए 161 रन बनाये। हालांकि पिछली रात के स्कोर में बिना कुछ जोड़े स्ट्रॉस को अगले दिन की दूसरी ही गेंद पर बेन हिलफेनहास द्वारा बोल्ड किया गया था, उनकी पारी उस सीरीज के दौरान दोनो टीमों की तरफ से बनाया गया उच्चतम व्यक्तिगत स्कोर था, तथा 210 रन की पहली पारी की बढ़त स्थापित की थी। स्ट्रॉस ने इंग्लैंड की दूसरी पारी में 32 रन का योगदान दिया, जिससे ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिये 522 रनंं का लक्ष्य मिला था, जिसे अगर हांसिल कर लिया जाता तो वह एक रिकॉर्ड होता। हालांकि माइकल क्लार्क (136), ब्रैड हैडिन (80), मिशेल जॉनसन (63) ने कुछ ही समय में ही लक्ष्य को प्राप्त करने योग्य बनाया, एंड्र्यू फ्लिंटॉफ (5-92) और ग्रीम स्वान (4-87) ने इंग्लैंड की तरफ से गेंदबाजी करते हुए 115 रन की एक आरामदायक विजय दिला दी। [142]

एजबेस्टन के तीसरे टेस्ट मैच में, स्ट्रॉस ने आस्ट्रेलिया की पहली पारी के 263 रनं के जवाब में दूसरे दिन के खेल की समाप्ति पर 64 रन पर नाबाद रहकर जवाब दिया, अगले दिन बेन हिलफेनहास के द्वारा 69 रन के स्कोर पर वे आउट किये गये, इससे पहले इंग्लैंड के शक्तिशाली निचले मध्य क्रम ने 113 रनं की बढ़त के साथ टीम को आगे बढ़ाया. हालांकि मैच अनिर्णित कराने में ऑस्ट्रेलिया को कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, ऑस्ट्रेलिया ने डेढ़ दिन में केवल पांच विकेट खोए जिसका श्रेय माइकल क्लार्क (103 नाबाद) और मार्क्स नॉर्थ (96) को जाता है।[143]

हेडिंग्ले पर चौथे टेस्ट में, टीम चयन के मुद्दों ने खेल शुरू होने से पहले स्ट्रॉस को विचलित कर दिया था, साथ ही केविन पीटरसन और एंड्रयू फ्लिंटॉफ दोनों घायल हो गए, तथा मैट प्रायर की पीठ में ऐंठन के कारण खेल में दस मिनट की देरी हुई क्योंकि खेलने के लिये उनकी फिटनेस का पता लगाया गया था।[144] फायर अलार्म जो सुबह 5 बजे टीम के होटल में बजा था, या मीडिया साक्षात्कार जो उन्होंने बल्लेबाजी शुरु करने से ठीक पहले दिया था,[उद्धरण चाहिए] ने स्ट्रॉस की एकाग्रता को प्रभावित किया था, वे भाग्यशाली थे कि उन्हें मैच की पहली बॉल पर पगबाधा आउट नहीं दिया गया,[145] तथा कुछ देर बाद ही उन्हें 3 रन पर आउट कर दिया गया, परिणाम्स्वरूप इंग्लैंड स्टुअर्ट क्लार्क और पीटर सिडल के खिलाफ 102 रनं पर ढ़ेर हो गया। माइकल क्लार्क और मार्कस नार्थ के और रनंं ने ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 445 तक पहुंचा दिया। बेन हिलफेनहास द्वारा स्ट्रॉस को 32 रन पर आउट किये जाने से पहले स्ट्रॉस और एलेस्टर कुक ने 58 रनं की सलामी साझेदारी निभाते हुए जवाब दिया; इंग्लैंड ने इस समय हिलफेनहास और मिशेल जॉनसन के सामने आत्म समर्पण कर दिया जो इंग्लैंड को एक पारी की हार के मार्ग पर ले गये।[146]

अतः इंग्लैंड ने सीरीज़ में 1-1 की बराबरी के साथ ओवल पर पांचवें टेस्ट में प्रवेश किया, यह जानते हुए कि केवल एक जीत एशेज घर वापस लाने के लिये पर्याप्त होगी, जैसे कि लंबे समय से यह रिवाज चला आ रहा है कि सीरीज़ के बराबर होने पर पिछली बार के विजेता द्वारा एशेज़ को रखा जाता है। स्ट्रॉस ने इंग्लैंड की पहली पारी के 332 रनं में 55 रन का योगदान दिया, इससे पहले स्टुअर्ट ब्रॉड (5-37) और ग्रीम स्वान (4-38) ने मिलकर अप्रत्याशित रूप से ऑस्ट्रेलिया को 160 रनं पर आउट कर दिया था। दूसरी पारी में स्ट्रॉस ने 75 रन बनाये और नवोदित जोनाथन ट्रॉट (119) के साथ 128 रनं की साझेदारी करके ऑस्ट्रेलिया के सामने 546 रनं का लक्ष्य रखा। सीरीज़ के अंतिम दिन, स्ट्रॉस ने लैग स्लिप से तेज फील्डिंग करते हुए माइकल क्लार्क को शून्य पर रन आउट किया, तथा एक कैच पकड़ने में भी योगदान दिया, जैसे कि ऑस्ट्रेलिया को 348 रन पर सिमटा दिया गया तथा इंग्लैंड के हाथों में 197 रन की जीत दी गयी, फलत: 2-1 से सीरीज़ और एशेज में जीत.

ऑस्ट्रेलियाई कोच टिम नील्सन द्वारा स्ट्रॉस को सीरीज़ के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के रूप में नामित किया गया; इन्होने 52.66 की औसत से कुल 474 रनं के साथ सीरीज समाप्त की (दोनों तरफ से बनाया गया सर्वाधिक; इंग्लैंड का कोई और खिलाड़ी 261 रनं से अधिक बनाने में कामयाब नहीं हुआ), (जोनाथन ट्रोट को छोड़कर जो केवल एक मैच में खेले थे, किसी और इंग्लिश खिलाड़ी की औसत 40 से अधिक नहीं थी). स्ट्रॉस का बल्ले से प्रभुत्व ऐसा था कि सीरीज़ में सबसे अधिक रन बनाने वाले 7 बल्लेबाजों में से 6 ऑस्ट्रेलिया के थे, इसके बावजूद वह सीरीज़ हारा.[147]

आने वाली 7 मैचों की वनडे सीरीज़ के दौरान, इंग्लैंड की बल्लेबाजी में इस सीमा तक योगदान था कि श्रृंखला के बाद एंड्र्यू मिलर ने टिप्पणी की थी कि “इंग्लैंड का मध्यक्रम इतना निष्कपट है कि जिसने, इन गर्मियों में अनगिनत बार, एंड्र्यू स्ट्रॉस का विकेट गिरने पर इस तरह मातम मनाया और दिशाहीन हुए जैसे चूजे अपनी मां को लोमड़ी द्वारा खा लिए जाने पर करते हैं”.[148] इन्होने सीरीज़ में 12, 47, 63, 63, 35, 0 और 47 रनं के साथ इंग्लैंड के बल्लेबाजी प्रयासों की अगुवाई की जो 4 सितम्बर से 20 सितम्बर तक की अवधि तक चला.[149] इन्होंने कई अवसरों पर कहा था, कि इनके योगदान के बावजूद, ये 6:1 की हार के दौरान इंग्लैंड के घटिया प्रदर्शन से विरक्त हुए थे।

2009-10 और 2010 संपादित करें

एशेज के बाद, इंग्लैंड ने 2009 में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में भाग लिया। वे श्रीलंका और दक्षिण अफ्रीका को हराकर अप्रत्याशित रूप से सेमीफाइनल में पहुंचे थे, हालांकि स्ट्रॉस केवल 25 रन का शीर्ष स्कोर बनाने में कामयाब रहे। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ एक दिवसीय शृंखला में ये काफी हद तक सफल नहीं हुए थे, जिसे इंग्लैंड ने 2-1 से जीता था। इंग्लैंड ने टेस्ट श्रृंखला को 1-1 से बराबर कराया, हालांकि स्ट्रॉस केवल एक बार ही 50 का स्कोर पार कर पाये थे।

दक्षिण अफ्रीका के दौरे के बाद, स्ट्रॉस को विवादास्पद तरीके से बांग्लादेश के बाद के दौरे के लिये विश्राम दिया। [150] इनकी जगह, एलेस्टर कुक को कप्तान बनाया गया तथा माइकल कारबेरी को एक प्रतिस्थापन सलामी बल्लेबाज के रूप में नियुक्त किया गया (हालांकि जोनाथन ट्रॉट को कारबेरी की जगह दूसरे टेस्ट के लिये सलामी बल्लेबाज की तरह प्रोत्साहित किया गया).

इंग्लैंड ने फिर पॉल कॉलिंगवुड के नेतृत्व में वेस्टइंडीज में आईसीसी 2010 विश्व ट्वेंटी-20 जीता।

स्ट्रॉस बांग्लादेश के खिलाफ घरेलू सीरीज में टेस्ट टीम में लौट आए। उन्होंने दो अर्द्ध शतक बनाये जिसके फलस्वरूप इंग्लैंड ने 2 मैचों की सीरीज़ को जीत लिया। टेस्ट और वनडे सीरीज़ के बीच, इंग्लैंड ऑस्ट्रेलिया के साथ पांच मैचों की वनडे सीरीज़ में खेला (यह जून के दौरान एशिया कप 2010 में बांग्लादेश की भागीदारी की वजह से था). स्ट्रॉस के दूसरे और तीसरे मैच में अर्द्ध शतक बनाने के साथ इंग्लैंड ने सीरीज़ जीती। जब बांग्लादेश वनडे सीरीज़ में वापस आया, स्ट्रॉस ने पहले मैच में अर्द्ध शतक लगाया और तीसरे मैच में अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ 154 रन, जिसमें इन्होने जोनाथन ट्रॉट जिन्होंने भी स्वयं शतक लगाया, के साथ मिलकर 250 रन की साझेदारी निभायी थी। इंग्लैंड ने तीन मैचों की श्रृंखला को 2-1 से जीता और स्ट्रॉस को सीरीज़ के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के रूप में नवाज़ा गया। 2 मार्च को पांच मैचों की संलग्न वनडे सीरीज़ में स्ट्रॉस ने 126 रन बनाये। [151]

पाकिस्तान के खिलाफ एक विवादास्पद सीरीज़ ने पीछा किया। सिर्फ एक अर्द्ध शतक के साथ, स्ट्रॉस ने टेस्ट सीरीज में फार्म के लिए संघर्ष किया, पाकिस्तान को तीन बार 100 के करीब आउट करते हुए इंग्लैंड 3-1 से जीता। 2010-11 एशेज़ सीरीज़ से पहले, इन्होने पांच मैचों की वनडे सीरीज़ में एक शतक और दो अर्द्ध शतक के साथ अपनी फार्म वापस पायी, फलस्वरूप इंग्लैंड ने अपनी अंतिम सीरीज़ को 3-2 से जीता।

ऐशेज (2010-11) संपादित करें

स्ट्रॉस ने 2010-11 की एशेज श्रृंखला का नेतृत्व किया और इंग्लैंड के कप्तानो माइक ब्रीअर्ले और लेन हटन जिन्होंने एशेज घर और बाहर दोनो जगह जीती है, में शामिल होने की उम्मीद कर रहे हैं। स्ट्रॉस ने द गाबा (ब्रिस्बेन) पर शुरुआती मैच में सुबह टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी तय की, हालांकि वह शून्य के स्कोर पर तीसरी गेंद पर गली में लपका गया। इंग्लैंड का पहली पारी का स्कोर 260 रन पर्याप्त नहीं था और ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 221 रनंं की बढ़त ली। इतनी बड़ी कमी के बावजूद, इंग्लैंड मैच में वापस आया; पहले विकेट के लिये स्ट्रॉस और कुक ने 188 रन बनाये। स्ट्रॉस ने अपना 19 वां टेस्ट शतक बनाया, अंततः अपने टेस्ट करियर में पहली बार 110 रन पर स्टम्प आउट हुआ। साथी ओपनर कुक और जोनाथन ट्रॉट दोनों ने नाबाद रहते हुए क्रमश: 235 और 135 रन बनाये, तथा इंग्लैंड ने 517-1 पर पारी समाप्ती की घोषणा की। मैच को अनिर्णित घोषित करने से पहले ऑस्ट्रेलिया ने अपनी दूसरी पारी में 107-1 रन बनाये। [152]

एडिलेड ओवल पर दूसरे टेस्ट मैच में रिकी पोंटिंग ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी चुनी लेकिन स्ट्रॉस के गेंदबाजों ने ऑस्ट्रेलियाई टीम को 245 पर धराशायी कर दिया, जेम्स एंडरसन को 51 रन पर चार विकेट लेने के लिये शुक्रिया. पारी समाप्ती की घोषणा करने से पहले इंग्लैड ने फिर 5 विकेट पर 620 रन बनाये लेकिन स्ट्रॉस उस पारी में एक रन पर आउट हुआ था। ग्रीम स्वान के 91 रनंं पर 5 विकेट लेने के साथ इंग्लैंड ने फिर ऑस्ट्रेलिया को 304 के स्कोर पर आउट कर दिया और मैच एक पारी और 71 रनंं से जीता।

पर्थ पर तीसरे टेस्ट मैच में स्ट्रॉस ने टॉस जीता और पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया। इंग्लैंड ने पहले दिन ऑस्ट्रेलिया को 268 पर आउट कर दिया और पहले दिन के खेल समाप्ति तक इंग्लैंड ने बिना नुकसान के 29 रन बनाये जिसमें स्ट्रॉस ने 12 रन नाबाद बनाये। स्ट्रॉस ने अच्छी शुरुआत की और दिन के एक घंटे के भीतर इंग्लैंड के स्कोर को 78-0 तक ले जाने में मदद की लेकिन बल्लेबाजों के पतन के कारण इंग्लैंड 187 रनं पर आउट हो गया, मिशेल जॉनसन को 38 रन पर 6 विकेट लेने के लिए धन्यवाद. इंग्लैंड ने वापस प्रभाव छोड़ा और तीन ऑस्ट्रेलियाई विकेट लिये लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने दूसरे दिन के खेल समाप्ति तक 199-3 बनाये। स्ट्रॉस टीम ने फिर ऑस्ट्रेलियाई टीम को 309 रनं पर आउट कर दिया, जिसका मतलब इंग्लैंड को जीत के लिये 391 रन बनाने थे लेकिन रेयान हैरिस के 49 रनं पर 6 विकेट लेने के साथ, खराब बल्लेबाजी के कारण महज़ 123 रनं पर आउट हो गया और इंग्लैंड 267 रनं से मैच हार गया।

स्ट्रॉस ने एमसीजी पर टॉस जीता और बॉक्सिंग डे टेस्ट पर पहले गेंदबाजी लेने का फैसला किया। यह निर्णय एक प्रेरित करने वाला था क्योंकि इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया को 98 रनं पर आउट कर दिया था। जवाब में, स्ट्रॉस ने 6000 टेस्ट रन पार करने के साथ 69 रन पर लपके जाने से पहले, स्ट्रॉस और कुक ने 159 रन की शुरुआती साझेदारी निभायी. इंग्लैंड के 513 रन बनाने के बाद, उन्होंने ऑस्ट्रेलिया को 258 रन पर आउट कर दिया और मैच एक पारी और 157 रन से जीत लिया, फलत: एशेज को बनाये रखा है।

सिडनी में एससीजी पर पांचवें और अंतिम टेस्ट में, स्ट्रॉस टॉस हारा और घायल रिकी पोंटिंग के अभाव में चुने गये ऑस्ट्रेलियाई कप्तान माइकल क्लार्क ने पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया को 280 रनं पर आउट कर दिया। जवाब में स्ट्रॉस ने बेन हिलफेनहास द्वारा बोल्ड आउट होने से पहले मात्र 58 गेंदों पर 60 रन बनाये। इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलियाई ज़मीन पर अपना सबसे बड़ा स्कोर 644 रन बनाना ज़ारी रखा, एलेस्टर कुक, इयान बेल और मैट प्रायर के शतकों के लिये धन्यवाद. ऑस्ट्रेलिया अपनी दूसरी पारी में 281 रनं पर धराशायी हो गये, सीरीज़ में एक पारी से इंग्लैंड की तीसरी जीत और एक पूरी तरह से 3-1 से एशेज जीत.

आईसीसी विश्व कप 2011 संपादित करें

इंग्लैंड के नीदरलैंड के साथ आईसीसी विश्व कप 2011 के उद्घाटन मैच में, इंग्लैंड को एक अच्छी शुरुआत देने के लिये एंड्रयू स्ट्रॉस ने एक रन प्रति बॉल से बेहतर 88 रन की पारी खेली और 6 विकेट की जीत हासिल करने में उनकी मदद की।

एक प्रभावशाली 339 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए जिसे मेज़बान भारत ने उनके लिये स्थापित किया था, 145 गेंदों में 158 रन की एक आकर्षक पारी खेलते हुए उसने अगले मैच में भी बेहतरीन खेल बनाये रखा। मैच एक रोमांचक टाई के साथ समाप्त हुआ।[153] तीसरे मैच में स्ट्रॉस 37 गेंदों पर 34 रन बनाता है जबकि इंग्लैंड आयरलैंड के खिलाफ 327 का लक्ष्य रखती है। हालांकि इंग्लैंड यह मैच हार गया, छठे विकेट के लिये 162 रन की साझेदारी तथा 50 गेंदो पर 100 रन की पारी के लिये केविन ओ' ब्रायन को धन्यवाद.[154] चेन्नई में दक्षिण अफ्रीका को 165/10 पर सुरक्षित रखने के बाद इंग्लैंड ने एक रोमांच पैदा किया जबकि वे 6 मार्च को एक छोटे लक्ष्य 171 रन का पीछा कर रहे थे। स्टुअर्ट ब्रॉड ने 4 महत्वपूर्ण विकेट का दावा किया। अंग्रेजी गेंदबाजों ने दक्षिण अफ्रीका की मज़बूत बल्लेबाजी को पटरी से उतार दिया, एक वक्त उनका स्कोर बिना नुकसान के 63 रन था और उन्होंने 102 रनंं में अपने सभी विकेट खो दिये। [155]

उपलब्धियां संपादित करें

 
स्ट्रॉस के बल्लेबाजी करियर में पारी-दर-पारी गिरावट को दिखाया गया है, स्कोर किए गए रन (लाल स्तंभ) और पिछली दस पारियों का औसत (नीले स्तंभ)

प्रत्येक विरोधियों के खिलाफ टेस्ट रिकॉर्ड संपादित करें

प्रतिद्वंद्वी मैच पारियां नॉट आउट रन गेंद उच्च स्कोर 100 50 औसत स्ट्राइक रेट
  ऑस्ट्रेलिया 15 29 0 1,114 2,217 161 4 5 38.41 50.25
  बांग्लादेश 4 5 0 263 385 83 0 3 52.60 68.31
  भारत 8 16 1 700 1,595 128 3 2 46.66 43.88
  न्यूज़ीलैंड 9 16 0 813 1,728 177 3 4 50.81 47.04
  पाकिस्तान 8 15 1 595 1003 128 2 1 42.50 59.32
  दक्षिण अफ़्रीका 13 24 1 1006 2092 147 3 3 43.73 48.08
  श्रीलंका 3 5 0 156 341 55 0 1 31.20 45.74
  वेस्ट इंडीज़ 15 27 3 1082 2045 169 4 2 45.08 52.90
कुल 75 137 6 5,729 11,406 177 19 21 43.73 50.22

वार्षिक टेस्ट विश्लेषण संपादित करें

वर्ष मैच पारियां नॉट आउट रन उच्च स्कोर औसत स्ट्राइक रेट 100 50
2004 9 18 2 971 137 60.68 50.89 4 4
2005 12 22 0 789 147 35.86 52.18 3 1
2006 14 26 0 1031 128 39.65 49.95 3 3
2007 8 15 0 432 96 28.80 47.21 0 3
2008 12 21 1 972 177 48.60 43.54 4 3
2009 14 24 2 1172 169 53.27 54.13 4 4
2010 12 20 1 657 110 34.57 52.06 1 5

इन्हें भी देखें संपादित करें

  • एंड्रयू स्ट्रॉस द्वारा अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट शतक की सूची
  • दक्षिण अफ्रीकी मूल के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ी

सन्दर्भ संपादित करें

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