एकशरण धर्म (असमिया : একশৰণ ধৰ্ম) शंकरदेव के वैष्णव संप्रदाय का एक पन्थ है। इसे नववैष्णव धर्म भी कहते हैं। इस धर्म में मूर्तिपूजा की प्रधानता नहीं है। धार्मिक उत्सवों के समय केवल एक पवित्र ग्रंथ चौकी पर रख दिया जाता है, इसे ही नैवेद्य तथा भक्ति निवेदित की जाती है। इस संप्रदाय में दीक्षा की व्यवस्था नहीं है।

इस मत के अधिकांश अनुयायी असम में निवास करते हैं। इस धर्म में श्रवण-कीर्तन का अधिक महत्त्व है। इस धर्म को 'नववैष्णव धर्म' और 'महापुरुषीय धर्म' भी कहते हैं। इस धर्म का मूल मंत्र है -एक देव, एक सेव, एक बिने नाइ केव। इस धर्म में कोई जाति-भेद ऊँच-नीच, धनी-दुखिया का भेद नहीं है।