फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन

(एफ बी आई से अनुप्रेषित)

फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) संयुक्त राज्य अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस की एक एजेंसी है जो एक संघीय आपराधिक जाँच निकाय और एक आंतरिक खुफिया एजेंसी दोनों के रूप में कार्य करती है। एफबीआई के पास संघीय अपराध की 200 से अधिक श्रेणियों के उल्लंघन की जाँच का अधिकार है।[3] इसका नारा (मोटो) एफबीआई का बैक्रोनिम, "ईमानदारी, बहादुरी, अखंडता" है।

Federal Bureau of Investigation
लघुनाम FBI
चित्र:File:US-FBI-ShadedSeal.svg
Federal Bureau of Investigation's seal
चित्र:File:Badge of the Federal Bureau of Investigation.png
FBI special agent badge
चित्र:File:Flag of the Federal Bureau of Investigation.svg
Flag of the Federal Bureau of Investigation
आदर्श वाक्य Fidelity, Bravery, Integrity
संस्था जानकारी
स्थापना July 26, 1908 (as the Bureau of Investigation)
कर्मचारी 35,104[1] (October 31, 2014)
वार्षिक बजट US$9.6 billion (FY 2019)[2]
वैधानिक वयक्तित्व सरकारी : सरकारी संस्था
अधिकार क्षेत्र
संघीय संस्था United States
सामान्य प्रकृति
प्रचालन ढांचा
मुख्यालय J. Edgar Hoover Building
Washington, D.C., U.S.
संस्था के कार्यपालक
मातृ संस्था Department of Justice
Office of the Director of National Intelligence
जालस्थल
fbi.gov

एफबीआई का मुख्यालय जे. एडगर हूवर बिल्डिंग वॉशिंगटन, डी.सी. में स्थित है। संपूर्ण संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रमुख शहरों में इसके छप्पन क्षेत्रीय कार्यालय स्थित हैं, साथ ही देश भर के सभी छोटे शहरों और नगरों में इसकी 400 से अधिक स्थानिक एजेंसियां मौजूद हैं। "लीगल अटैचीज" कहे जाने वाले 50 से अधिक अंतरराष्ट्रीय कार्यालय दुनिया भर के अमेरिकी दूतावासों में मौजूद हैं।

मिशन और प्राथमिकताएं

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वित्तीय वर्ष 2010 में एफबीआई का कुल बजट लगभग 7.9 बिलियन डॉलर था जिसमें 618 मिलियन डॉलर की राशि आतंकवाद का मुकाबला करने, कंप्यूटर घुसपैठों, निगरानी, सामूहिक विनाश के हथियारों, सफ़ेदपोश अपराध और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए शामिल थी।[4]

फेडरल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टीगेशन जिसे लघुरूप में एफ.बी.आई भी कहा जाता है, संयुक्त राज्य अमेरिका के न्याय विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस) का प्राथमिक अंग है।[२] ये संस्था अपराध जांच (क्रिमिनल इंवेस्टीगेटिव बॉडी) और घरेलू खुफिया एजेंसी, दोनों के ही काम करती है। इसका मुख्यालय जे.एडगर हूवर बिल्डिंग, वाशिंगटन डीसी में स्थित है। मुख्यालय के अलावा अमेरिका के कई बड़े शहरों में इसके ५६ अन्य कार्यालय तथा ४०० स्थानीय कार्यालय अमेरिका में कई अन्य स्थानों में हैं। यह संस्था अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर काम करती है। एफबीआई की स्थापना २६ जुलाई १९०८ में तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति थियोडोर रूज़वेल्ट के कार्यकाल में की गई थी। तब इसका नाम ब्यूरो ऑफ इंवेस्टीगेशन हुआ करता था।[२] १९३२ में इसका नाम बदलकर यूनाइटेड स्टेट्स ब्यूरो ऑफ इंवेस्टीगेशन कर दिया गया और अंतत: १९३५ में इसका वर्तमान नाम फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन यानि एफबीआई रखा गया। एफबीआई के सबसे पहले निदेशक जे एडगर हूवर थे, जिन्होंने इस पद पर ४८ वर्षों तक कार्य किया। उनकी मृत्यु के बाद यह निर्णय लिया गया कि एफबीआई के निदेशक के कार्यकाल की निश्चित समय सीमा तय हो। इसके बाद एक प्रस्ताव प्रस्तुत कर एफबीआई के निदेशक के पद का कार्यकाल दस वर्ष निर्धारित कर दिया गया। १९३० के दौरान वॉर ऑन क्राइम अभियान के तहत एफबीआई ने कई अपराधों पर लगाम लगाने में सफलता पाई थी। १९३२ में साइंटफिक क्राइम डिटेक्शन लैबोरेटरी या एफबीआई लैबोरेटरी की स्थापना की गई।[२] एफबीआई के निदेशक की नियुक्ति अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और उनके नाम की स्वीकृति सीनेट प्रदान करती है। एफबीआई के वर्तमान निदेशक रॉबर्ट मुलर हैं।

एफबीआई की स्थापना 1898 में ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (बीओआई) के रूप में की गयी थी। 1935 में इसका नाम बदलकर फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) कर दिया गया।

एफबीआई का प्रमुख लक्ष्य आतंकवादी और विदेशी खुफिया खतरों के खिलाफ संयुक्त राज्य अमेरिका की सुरक्षा और बचाव करना, संयुक्त राज्य अमेरिका के आपराधिक कानूनों का पालन करना और उन्हें लागू करना और संघीय, राज्य, नगर निगम और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों एवं भागीदारों को नेतृत्व और आपराधिक न्याय सेवाएं प्रदान करना है।[3]

वर्तमान में एफबीआई की जाँच संबंधी शीर्ष प्राथमिकताएं हैं:[5]

  1. आतंकवादी हमलों से संयुक्त राज्य अमेरिका की रक्षा करना (देखें काउंटर-टेररिज्म);
  2. विदेशी खुफिया गतिविधियों और जासूसी के खिलाफ संयुक्त राज्य अमेरिका की रक्षा करना (देखें काउंटर-इंटेलिजेंस);
  3. साइबर-आधारित हमलों और उच्च-तकनीकी अपराधों के खिलाफ संयुक्त राज्य अमेरिका की रक्षा करना (देखें साइबर-वारफेयर);
  4. सभी स्तरों पर सार्वजनिक भ्रष्टाचार से लड़ना;
  5. नागरिक अधिकारों की रक्षा करना;
  6. अंतरराष्ट्रीय/राष्ट्रीय आपराधिक संगठनों और उद्यमों से लड़ना (देखें ऑर्गेनाइज्ड क्राइम);
  7. प्रमुख सफ़ेदपोश अपराधों से लड़ना;
  8. व्यापक हिंसक अपराधों से लड़ना;
  9. संघीय, राज्य, स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय भागीदारों को सहयोग देना;
  10. एफबीआई के मिशन की सफल कार्य कुशलता के लिए प्रौद्योगिकी उन्नयन.

अगस्त 2007 में एफबीआई जाँचों के परिणाम स्वरूप प्रमुख आपराधिक आरोपों की शीर्ष श्रेणियां थीं:[6]

  1. बैंक डकैती और इससे जुड़े अपराध (107 आरोप)
  2. नशीली दवाएं (104 आरोप)
  3. प्रयास और षड्यंत्र (81 आरोप)
  4. नाबालिगों के यौन शोषण से संबंधित सामग्री (53 आरोप)
  5. पत्राचार संबंधी धोखाधड़ी - धोखाधड़ी और ठगी (51 आरोप)
  6. बैंक धोखाधड़ी (31 आरोप)
  7. अवैध जुआ व्यवसायों पर रोक लगाना (22 आरोप)
  8. तार, रेडियो, या टेलीविजन के जरिये जालसाज़ी (20 आरोप)
  9. हॉब्स एक्ट (अंतरराज्यीय व्यापार को प्रभावित करने वाली डकैती और जबरन वसूली) (17 आरोप)
  10. रैकेटियर इन्फ्लुएंस्ड एंड करप्ट ऑर्गेनाइजेशंस एक्ट (आरआईसीओ) - निषिद्ध गतिविधियाँ (17 आरोप)

भारतीय आरक्षण

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भारतीय आरक्षणों के मामले में गंभीर अपराधों की जाँच करना[7] और मुकदमा चलाना संघीय सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है।[8]

"इंडियन कंट्री" क्राइम्स एक्ट (टाइटल 18, यूनाइटेड स्टेट्स कोड, सेक्शन 1152), द इंडियन कंट्री मेजर क्राइम्स एक्ट (टाइटल 18, यूनाइटेड स्टेट्स कोड, सेक्शन 1153) और एडमिनिस्ट्रेटिव क्राइम्स एक्ट (टाइटल 18, यूनाइटेड स्टेट्स कोड, सेक्शन 13) के तहत एफबीआई का "इंडियन कंट्री" (कार्यक्रम के लिए आधिकारिक नाम) में प्रमुख अपराधों के लिए अपना आपराधिक क्षेत्राधिकार है। 1994 के अपराध अधिनियम ने इंडियन कंट्री के बंदूकों, हिंसक किशोरों, नशीली दवाओं और घरेलू हिंसा जैसे क्षेत्रों में संघीय आपराधिक क्षेत्राधिकार का विस्तार किया। इंडियन गेमिंग रेगुलेटरी एक्ट (भारतीय गेमिंग विनियामक अधिनियम) के तहत एफबीआई का क्षेत्राधिकार कैसीनो गेमिंग से सीधे तौर पर संबंधित किसी भी आपराधिक गतिविधि पर है। एफबीआई "इंडियन कंट्री" (भारतीय देश) में होने वाले नागरिक अधिकारों के उल्लंघन, पर्यावरण संबंधी अपराधों, सार्वजनिक भ्रष्टाचार और सरकारी धोखाधड़ी की भी जांच करता है।"[9]

एफबीआई भारतीय देश में होने वाले अपराधों को विशेष रूप से अपनी प्राथमिकताओं में से किसी एक के रूप में सूचीबद्ध नहीं करता है।[10] अक्सर गंभीर अपराधों की या तो अच्छी तरह से जाँच नहीं की गयी है या फिर मुकदमा चलाने में देरी की गयी है। आदिवासी अदालत केवल तीन साल तक की सजा दे सकती हैं और यहाँ तक कि कुछ ख़ास प्रतिबंधों के तहत ही ऐसा किया जा सकता है।[11][12]

भारतीय आरक्षण इसके आरक्षणों के लिए अपनी स्वयं की जाँच एजेंसी का उपयोग करते हैं, ब्यूरो ऑफ इंडियन अफेयर्स, जो अमेरिकी इंटीरियर डिपार्टमेंट की एक एजेंसी है।

कानूनी प्राधिकार

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एफबीआई की बैज (बिल्ला) और बंदूक

एफबीआई का आदेशपत्र यूनाइटेड स्टेट्स कोड (यू.एस. कोड), सेक्शन 533 के टाइटल 28 में व्यवस्थित है जो अटार्नी जनरल को "संयुक्त राज्य अमेरिका के खिलाफ अपराधों.... का पता लगाने के लिए अधिकारियों को नियुक्त करने" का अधिकार देता है।[13] अन्य संघीय क़ानून एफबीआई को विशिष्ट अपराधों की जाँच करने के अधिकार और जिम्मेदारी देते हैं।

जे. एडगर हूवर ने 1920 के दशक में निषेधाज्ञा के दौरान अवैध शराब उत्पादकों (बूटलेगर्स) की गिरफ्तारी के लिए वायर टैपिंग का इस्तेमाल करना शुरू किया था।[14] 1927 का एक मामला, जिसमें एक अवैध शराब उत्पादक (बूटलेगर) को टेलीफोन टैपिंग के माध्यम से पकड़ा गया था, संयुक्त राज्य अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में पहुँचा जिसने यह फैसला सुनाया कि एफबीआई (FBI) अपनी जाँच में वायरटैप का इस्तेमाल कर सकती है और जब तक कि एफबीआई (FBI) टैपिंग कार्य को पूरा करने के लिए किसी व्यक्ति के घर में प्रवेश नहीं करती है, इसे गैरकानूनी खोज और जब्ती के रूप में चौथे संशोधन का उल्लंघन नहीं समझा जायेगा.[14] निषेधाज्ञा के निरस्त होने के बाद, कांग्रेस ने 1934 के कम्युनिकेशंस एक्ट को पारित कर दिया, जिसने बिना सहमति फोन टैप किये जाने को गैरकानूनी बना दिया लेकिन बगिंग (माइक्रोफोन छिपाने) की अनुमति दे दी.[14] सुप्रीम कोर्ट के एक अन्य मामले में 1939 में अदालत ने यह फैसला सुनाया कि 1934 के कानून के कारण, फोन टैपिंग के जरिये एफबीआई ने जो सबूत हासिल किया था वह अदालत में स्वीकार्य नहीं था।[14] 1967 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने 1927 के मामले को पलटकर बगिंग की अनुमति दे दी, जिसके बाद कांग्रेस ने ओमनिबस क्राइम कंट्रोल एंड सेफ स्ट्रीट्स एक्ट को पारित कर दिया; इसके अनुसार जब तक सार्वजनिक अधिकारियों के पास पहले से प्राप्त किया गया वारंट मौजूद होगा, उनके पास जाँच के दौरान टेलीफोन टैप करने की अनुमति रहेगी.[14]

संगठित अपराध के खिलाफ एफबीआई का मुख्य उपकरण रैकेटियर इन्फ्लुएंस्ड एंड करप्ट ऑर्गेनाइजेशन (आरआईसीओ) एक्ट है। एफबीआई के पास 1964 के यूनाइटेड स्टेट्स सिविल राइट्स एक्ट के अनुपालन को लागू करने और इस अधिनियम के उल्लंघनों की जाँच के अतिरिक्त युनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस (डीओजे) के साथ उन उल्लंघनों पर मुकदमा चलाने की जिम्मेदारी भी है। एफबीआई 1970 के कंट्रोल्ड सब्सटांसेस एक्ट को लागू करने में ड्रग एनफ़ोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन (डीईए) के साथ समवर्ती अधिकार क्षेत्र को भी साझा करती है।

यूएसए पैट्रियट एक्ट ने विशेष रूप से वायरटैपिंग और इंटरनेट संबंधी गतिविधि की निगरानी के मामले में एफबीआई को आवंटित शक्तियों को बढ़ा दिया है। इस अधिनियम के सबसे विवादास्पद प्रावधानों में से एक है तथाकथित स्नीक एंड पीक (चोरी-छिपे झांकने का) प्रावधान, जो एफबीआई को किसी घर के निवासियों की गैर-हाजिरी में उसके घर की तलाशी की शक्ति प्रदान करता है और इसके लिए उन्हें कई हफ़्तों के बाद भी निवासियों को सूचित करने की कोई जरूरत नहीं होती है। पैट्रियट अधिनियम के प्रावधानों के तहत एफबीआई ने आतंकवाद के लिए संदेहास्पद व्यक्ति के लाइब्रेरी के रिकॉर्डों[15] की जाँच करने का अधिकार फिर से प्राप्त कर लिया (संभवतः जैसा इसने 1970 के दशक के बाद से नहीं किया था).

1980 के दशक की शुरुआत में एब्सकैम विवाद के मद्देनजर एफबीआई के अंडरकवर ऑपरेशनों की जाँच के लिए सीनेट की सुनवाई शुरू की गयी थी, जिसमें निर्वाचित अधिकारियों को फंसाने का आरोप लगाया गया था। इसके परिणाम स्वरूप आगामी सालों में एफबीआई की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए कई दिशानिर्देश जारी किये गए थे।

न्याय विभाग के इंस्पेक्टर जनरल की मार्च 2007 की एक रिपोर्ट में एफबीआई द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा पत्रों के "व्यापक और गंभीर दुरुपयोग" को व्यक्तियों के संबंध में रिकॉर्ड और डेटा की मांग के लिए इस्तेमाल किया गया एक तरह का प्रशासनिक सम्मन बताया गया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि 2003 और 2005 के बीच एफबीआई ने 140,000 से ज्यादा राष्ट्रीय सुरक्षा पत्र जारी किये थे, जिनमें से कई लोगों का आतंकवाद के साथ कोई स्पष्ट संबंध नहीं था।[16]

एक एफबीआई जाँच के माध्यम से प्राप्त सूचना को उपयुक्त यू.एस. अटॉर्नी या न्याय विभाग के अधिकारी के सामने प्रस्तुत किया जाता है जो यह फैसला लेते हैं कि मुकदमा चलाने की जरूरत है या अन्य कार्रवाई करने की.

एफबीआई अक्सर अन्य संघीय एजेंसियों के साथ मिलकर कार्य करती है जिनमें समुद्री बंदरगाह और हवाई अड्डे की सुरक्षा[17] में यू.एस. कोस्ट गार्ड (यूजीसीजी) और यू.एस. कस्टम्स एंड बोर्डर प्रोटेक्शन (सीबीपी) और विमान दुर्घटनाओं एवं अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं की जाँच में नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड शामिल हैं। इमिग्रेशन एंड कस्टम एन्फोर्समेंट (आईसीई) एकमात्र अन्य एजेंसी है जिसके पास इसकी सबसे करीबी मात्रा की जाँच शक्ति है। 11 सितंबर के हमलों के आलोक में एफबीआई ने ज्यादातर संघीय आपराधिक जाँच में अपनी एक भूमिका कायम रखी है।

शुरुआत: द ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन

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1886 में वैबाश, सेंट लुइस और पैसिफिक रेलवे कंपनी बनाम इलिनोइस के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि राज्यों के पास अंतरराज्यीय वाणिज्य को विनियमित करने का कोई अधिकार नहीं था। इसके परिणाम स्वरूप बने 1887 के अंतरराज्यीय वाणिज्य अधिनियम (इंटरस्टेट कॉमर्स एक्ट) ने अंतरराज्यीय कानून को लागू करने की एक संघीय जिम्मेदारी कायम कर दी. न्याय विभाग (जस्टिस डिपार्टमेंट) ने अपने कर्मचारियों की कमी को दूर करने के लिए सदी के बदलाव तक कोई प्रयास नहीं किया, जब एटॉर्नी जनरल चार्ल्स जोसेफ बोनापार्ट ने जाँचकर्ताओं की व्यवस्था के लिए सीक्रेट सर्विस सहित अन्य एजेंसियों से संपर्क किया। लेकिन कांग्रेस ने इस संदर्भ में 1908 में एक कानून पारित कर न्याय विभाग द्वारा राजस्व कर्मचारियों के इस तरह के प्रयोग से मना कर दिया. तब अटार्नी जनरल ने स्पेशल एजेंट्स के अपने खुद के कर्मचारियों से एक औपचारिक ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (बीओआई या बीआई) के गठन का काम पूरा करने का कदम उठाया. सीक्रेट सर्विस ने न्याय विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस) को 12 विशेष एजेंट प्रदान किये और ये एजेंट नए बीओआई के पहले एजेंट बन गए। इस प्रकार पहले एफबीआई एजेंट वास्तव में सीक्रेट सर्विस के एजेंट थे। इसका क्षेत्राधिकार 1887 के अंतरराज्यीय वाणिज्य अधिनियम (इंटरस्टेट कॉमर्स एक्ट) से उत्पन्न हुआ।[18][19] 26 जुलाई 1908 को गठित विशेष एजेंटों की इस शक्ति के साथ एफबीआई थिओडोर रूजवेल्ट के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान उभरकर सामने आयी। इसका पहला आधिकारिक कार्य 25 जून 1910 को पारित "व्हाईट स्लेव ट्रैफिक एक्ट" या मान एक्ट को लागू करने की तैयारी में वेश्यालयों में जाकर उनके घरों का सर्वेक्षण करना था। 1932 में इसका नया नाम युनाइटेड स्टेट्स ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन रखा गया। अगले वर्ष इसे ब्यूरो ऑफ प्रोहिबिशन से जोड़ दिया गया और अंत में 1935 में न्याय विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस) के अंदर एक स्वतंत्र सेवा बनने से पहले इसका एक बार फिर से डिविजन ऑफ इन्वेस्टिगेशन (डीओआई) के रूप में नामकरण किया गया।[18] उसी वर्ष आधिकारिक तौर पर इसका नाम डिविजन ऑफ इन्वेस्टिगेशन से बदलकर मौजूदा-समय का फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन या एफबीआई कर दिया गया।

निदेशक के रूप में जे. एडगर हूवर का कार्यकाल

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जे. एडगर हूवर, 1924 से 1972 तक एफबीआई के निदेशक रहे.

बीओआई के निदेशक जे. एडगर हूवर एफबीआई के पहले निदेशक बने और उन्होंने बीओआई, डीओआई और एफबीआई के साथ संयुक्त रूप से 48 वर्षों तक कार्य किया। हूवर की मृत्यु के बाद एफबीआई के भावी निदेशकों का कार्यकाल अधिकतम दस वर्षों तक के लिए सीमित करने का एक क़ानून पारित कर दिया गया। वैज्ञानिक अपराध जाँच प्रयोगशाला (साइंटिफिक क्राइम डिटेक्शन लैबोरेटरी) या एफबीआई लैबोरेटरी को आधिकारिक तौर पर 1932 में खोला गया जो काफी हद तक हूवर के प्रयासों का नतीजा था। हूवर के कार्यकाल में एफबीआई ने जिन योजनाओं पर काम किया उनमें हूवर की पर्याप्त भागीदारी थी।

1930 के दशक में "वार ऑन क्राइम" के दौरान एफबीआई के एजेंटों ने अनेकों ऐसे कुख्यात अपराधियों को गिरफ्तार किया या मार डाला था जिन्होंने देश भर में अपहरणों, डकैतियों और हत्याओं को अंजाम दिया था, इनमें जॉन डिलिंगर, "बेबी फेस" नेल्सन, केट "मा" बार्कर, एल्विन "क्रीपी" कार्पिस और जॉर्ज "मशीन गन" केली शामिल थे।

इसके प्रारंभिक दशकों की अन्य गतिविधियों में कू क्लक्स क्लान के प्रसार और प्रभाव को कम करने में इसकी एक निर्णायक भूमिका शामिल थी। इसके अतिरिक्त एडविन आथर्टन के कार्यों के माध्यम से एफबीआई ने 1920 के दशक में कैलिफोर्निया की सीमा पर मैक्सिकन नव-क्रांतिकारियों की पूरी सेना को पकड़ने में सफल होने का दावा किया।

 
लेस्टर जे. गिलिज़, "बेबी फेस" नेल्सन के रूप में भी जाने जाते हैं।

एफबीआई और राष्ट्रीय सुरक्षा

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1940 के दशक में शुरु होकर और 1970 के दशक में जारी रखते हुए ब्यूरो ने संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों के खिलाफ जासूसी के कई मामलों की जाँच की. अमेरिका के खिलाफ तोड़फोड़ की कार्यवाही को अंजाम देने की योजना बनाने वाले आठ नाज़ी एजेंटों को गिरफ्तार किया गया जिनमें से छह को फांसी दे दी गयी (एक्स पार्टे कुइरिन). इसी दौरान गुप्त कोड तोड़ने के अमेरिका/ब्रिटेन के एक संयुक्त प्रयास (वेनोना) के तहत - जिसमें एफबीआई गहन रूप से शामिल थी - सोवियत राजनयिक और खुफिया संचार के गुप्त कोड को तोड़ दिया गया, जिसने अमेरिकी और ब्रिटिश सरकारों को सोवियत संचार को पढ़ने में समर्थ बना दिया. इस प्रयास ने सोवियत खुफिया एजेंसी के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में काम कर रहे अमेरिकी नागरिकों के अस्तित्व की पुष्टि की.[20] हूवर इस परियोजना का प्रबंध कर रहा था, लेकिन 1952 तक वह इस बारे में सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसीसी आइ ए (सीआईए) को सूचित करने में असफल रहा. एक और उल्लेखनीय मामला 1957 में सोवियत जासूस रुडोल्फ एबेल की गिरफ्तारी का है।[21] अमेरिका में सक्रिय सोवियत जासूसों की खोज नें हूवर को अमेरिकी वामपंथियों से खतरा होने के विचार के अपने दीर्घकालिक जूनून का पीछा करने की वजह प्रदान की; यह खतरा कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ द युनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका (सीपीयूएसए) संघ के संगठनकर्ताओं से लेकर किसी तरह की क्रांतिकारी आकांक्षाएं न रखने वाले अमेरिकी उदारवादियों से भी हो सकता था।

एफबीआई और नागरिक-अधिकार आंदोलन

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1950 और 1960 के दशक के दौरान एफबीआई अधिकारी नागरिक अधिकारों के नेताओं के बढ़ते प्रभाव को लेकर काफी चिंतित थे। उदाहरण के लिए, 1956 में जॉर्ज डब्ल्यू. ली, एम्मेट टिल और दक्षिण में दूसरे अश्वेतों की हत्या का मामला सुलझाने में एफबीआई की निष्क्रियता की आलोचना करने वाले नागरिक अधिकार नेता, सर्जन और मिसिसिपी के अमीर उद्यमी डॉक्टर टी.आर.एम. होवार्ड को हूवर ने निंदा करने वाला एक खुला पत्र भेजने का एक दुर्लभ क़दम उठाया.[22] एफबीआई ने घरेलू स्तर पर निगरानी के लिए क्वाइंटेलप्रो (COINTELPRO) नाम का एक विवादास्पद ऑपरेशन चलाया, जो कि "काउंटर इंटेलिजेंस प्रोग्राम" ("CO unter-INTEL ligence PRO gram") का संक्षिप्त रूप था।[23] इसका उद्देश्य अमेरिका में मौजूद असंतुष्ट राजनैतिक संगठनों की जाँच करना और उनको अस्त-व्यस्त करना था, इन संगठनों में सदर्न क्रिश्चियन लीडरशिप कॉन्फ्रेंस समेत आतंकवादी और अहिंसक दोनों ही तरह के संगठन शामिल थे।[24]

मार्टिन लूथर किंग, जूनियर इस जाँच का नियमित निशाना थे। एफबीआई को किसी भी अपराध में शामिल होने का कोई सबूत नहीं मिला, लेकिन इसने किंग की यौन गतिविधि में संलिप्तता के टेप को ब्लैकमेल करने के लिए इस्तेमाल करने का प्रयास किया। वाशिंगटन पोस्ट के पत्रकार कार्ल रोवन ने 1991 के अपने संस्मरण में कहा था कि एफबीआई ने आत्महत्या के लिए प्रोत्साहित करने वाला कम से कम एक गुमनाम पत्र किंग को भेजा था।[25]

मार्च 1971 में पेंसिल्वेनिया स्थित एफबीआई का मीडिया संबंधी रेज़ीडेंट कार्यालय लूट लिया गया; चोर अपने साथ गुप्त फ़ाइलें ले गए और उन्हें हार्वर्ड क्रिमसन सहित अनेकों समाचार पत्रों को वितरित कर दिया.[26] फाइलों में एफबीआई के व्यापक क्वाइंटेलप्रो (COINTELPRO) कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी थी जिसमें पेंसिल्वेनिया सैन्य कॉलेज के एक अश्वेत छात्र समूह और विस्कॉन्सिन के कांग्रेसी कार्यकर्ता हेनरी रयूस की बेटी समेत आम नागरिकों की ज़िन्दगी की छान-बीन के विवरण शामिल थे।[26] इस खुलासे से पूरा देश "हिल" गया और एफबीआई के इन कार्यों की कांग्रेस के सदस्यों और सदन के बहुमत नेता हेल बोग्स द्वारा निंदा की गयी।[26] बोग्स सहित कांग्रेस के कुछ सदस्यों के कथित तौर पर फ़ोन टैप किये गए थे।[26]

एफबीआई और कैनेडी की हत्या

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जब राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी की गोली मरकर हत्या कर दी गई, इसकी जांच का जिम्मा स्थानीय पुलिस विभागों को दिया गया; बाद में राष्ट्रपति लिंडन बी. जॉनसन ने एफबीआई को जाँच का काम अपने हाथ में लेने के निर्देश दे दिए.[27] यह सुनिश्चित करने के लिए कि संघीय स्तर पर मानव हत्या की जाँच संभालने को लेकर आगे कोई भ्रम न हो, कांग्रेस ने एक कानून पारित किया जिसने संघीय अधिकारियों की मौतों की जांच को एफबीआई के क्षेत्राधिकार में दे दिया.

एफबीआई और संगठित अपराध

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संगठित अपराध के जबाब में 25 अगस्त 1953 को टॉप हूडलम नामक एक प्रोग्राम बनाया गया। इसके तहत सभी क्षेत्र कार्यालयों से अपने क्षेत्रों के गुंडों की जानकारी एकत्रित करने के लिए और इनकी सूचना धूर्तों की केंद्रीकृत खुफिया जानकारी के संग्रहण के लिए नियमित रूप से वाशिंगटन भेजने को कहा गया।[28] रैकेटियर इन्फ्लुएंस्ड एंड करप्ट ऑर्गेनाइजेशन एक्ट या रिको एक्ट के अस्तित्त्व में आने के बाद एफबीआई ने पहले के उन निषेधित-संगठित समूहों की जाँच शुरू की जो प्रमुख शहरों और छोटे शहरों में भी अपराध का मोर्चे बन चुके थे। एफबीआई के सभी कामों को इन संगठनों के भीतर से ही रिको (आरआईसीओ) एक्ट में दिए गए प्रावधानों का उपयोग करते हुए ख़ुफ़िया तरीके से अंजाम दिया जाता था और जल्दी ही इन समूहों को ध्वस्त कर दिया गया। हालांकि शुरू में हूवर नें संयुक्त राज्य अमेरिका में एक नेशनल क्राइम सिंडीकेट के अस्तित्व से इनकार किया, लेकिन बाद में ब्यूरो ने सैम गिंकाना और जॉन गोटी के नेतृत्व वाले गिरोहों समेत कुख्यात संगठित अपराध गिरोहों और परिवारों के खिलाफ अभियान का संचालन किया। रिको एक्ट का प्रयोग आज भी सभी संगठित अपराधों और ऐसे किसी भी व्यक्ति के विरुद्ध किया जाता है जो इस अधिनियम के तहत आते हैं।

हालांकि 2003 में एक कांग्रेस समिति ने एफबीआई के संगठित अपराध सूचना (मुखबिरी) कार्यक्रम को "संघीय कानून प्रवर्तन के इतिहास में सबसे बड़ी विफलताओं में से एक" कहा. एक मुखबिर की रक्षा में मार्च 1965 में एफबीआई ने चार निर्दोष पुरुषों को हत्या का दोषी सिद्ध होने दिया. तीन लोगों की मौत की सजा सुनाई गयी (जिसे बाद में घटा कर आजीवन कारावास में बदल दिया गया). चौथे प्रतिवादी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी जिसमें उसने तीन दशक व्यतीत किये.[29] जुलाई 2007 में, बोस्टन में अमेरिका के जिला न्यायाधीश नैन्सी गर्टनर ने पाया कि ब्यूरो ने मार्च 1965 में एडवर्ड "टेड्डी" डीगन की गैंगलैंड में हुई हत्या के लिए चार लोगों को सज़ा दिलवानें में मदद की थी। अमेरिकी सरकार को चारों प्रतिवादियों को 100 मिलियन डॉलर के हर्जाने का भुगतान करने का आदेश दिया गया।[30]

हूवर के बाद उल्लेखनीय पुनर्गठन

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एफबीआई की विशेष टीमें

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1984 में एफबीआई ने 1984 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक्स में आने वाली संभावित समस्याओं, विशेषकर आतंकवाद और बड़े-अपराधों से निबटने में मदद के लिए एक एलीट इकाई[31] का गठन किया। टीम के गठन का विचार जर्मनी के म्यूनिख में आयोजित 1972 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक्स में आतंकवादियों द्वारा इजराइली एथलीटों की ह्त्या की घटना से उभरा था। इस टीम को होस्टेज रेस्क्यू टीम (एचआरटी) का नाम दिया गया और यह एक राष्ट्रीय स्वाट (एसडब्ल्यूएटी) के लिए संबंधित प्रक्रियाओं और सभी आतंकवाद विरोधी मामलों में एफबीई लीड के रूप में कार्य करती है। इसके अलावा 1984 में कंप्यूटर एनालिसिस एंड रिस्पांस टीम सीएआरटी (कार्ट) का भी गठन किया गया था।[32] 1980 के दशक के अंत में और 1990 के दशक के शुरुआती हिस्से में विदेशी खुफिया निरोधक जिम्मेदारियों से 300 से अधिक एजेंटों की पुनर्नियुक्ति हिंसक अपराध में की गयी और छठी राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में हिंसक अपराध का नामांकन किया गया। लेकिन अन्य सुव्यवस्थित विभागों में कम कटौती के कारण और क्योंकि शीत युद्ध (कोल्ड वार)[32] की समाप्ति के बाद आतंकवाद अब एक बड़ा खतरा नहीं माना जा रहा था, एफबीआई उन भगोड़ों की तलाश के लिए स्थानीय पुलिस बलों का उपकरण बन गयी जो देश की सीमाओं को पार गए थे, यह एक बड़ा अपराध था। एफबीआई की प्रयोगशाला ने डीएनए परीक्षण को विकसित करने में भी मदद की जो पहचान के लिए निरंतर एक प्रमुख भूमिका निभाती आ रही है, जिसने 1924 में अपनी फिंगरप्रिंटिंग प्रणाली के साथ शुरुआत की थी।

1990 के दशक में उल्लेखनीय प्रयास

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एक एफबीआई एजेंट 13 नवम्बर 1999 को दुर्घटना स्थल पर यूएसएस ग्रेपल (ARS 53) की डेक पर इजिप्टएयर 990 उड़ान के कॉकपिट वॉईस रिकॉर्डर को टैग करता हुआ।

1993 और 1996 के बीच एफबीआई ने न्यूयॉर्क में 1993 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की पहली बमबारी और 1995 में न्यूयॉर्क और ओकलाहोमा सिटी की बमबारी और 1996 में उनाबॉम्बर की गिरफ्तारी के आलोक में अपनी आतंकवाद-निरोधक भूमिका में वृद्धि की. तकनीकी खोज और एफबीआई प्रयोगशाला के विश्लेषकों की कार्यकुशलता ने यह सुनिश्चित करने में मदद की कि इनमें से सभी तीन मामलों में सफलतापूर्वक मुकदमा चलाया गया था लेकिन इस दौरान एफबीआई को जनता के कड़े विरोध का भी सामना करना पड़ा जो आज भी इसे परेशान करती है।[33] 1990 के दशक की शुरुआत और अंत में रूबी रिज और वाको की घटनाओं में एफबीआई की भूमिका ने हत्याओं पर भारी बखेड़ा खड़ा कर दिया. अटलांटा, जॉर्जिया में आयोजित 1996 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक्स के दौरान भी सेंटेनियल ओलंपिक पार्क की बमबारी की जाँच में एफबीआई की भूमिका के लिए इसकी आलोचना की गयी। इसने रिचर्ड जेवेल के साथ, जो आयोजन स्थल पर कुछ मीडिया संस्थानों[34] के साथ एक निजी सुरक्षा गार्ड था, जाँच के दौरान उसके नाम को लीक करने के संदर्भ में एक विवाद का निपटारा किया था। कांग्रेस द्वारा कम्युनिकेशन एसिस्टेंस फॉर लॉ एन्फोर्समेंट एक्ट (सीएएलईए, 1994), हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी एंड एकाउंटेबिलिटी एक्ट (एचआईपीएए, 1996) और इकोनोमिक एस्पियोनेज एक्ट (ईईए, 1996) को पारित किये जाने के बाद एफबीआई ने मुकदमे का पालन किया और 1998 में ठीक उसी तरह अपना तकनीकी उन्नयन किया जैसा इसने 1991 में सीएआरटी (कार्ट) के साथ किया था। इंटरनेट से संबंधित समस्याओं, जैसे कि कंप्यूटर वायरसों, वर्म्स और अन्य मैलिसियस प्रोग्राम, जो अमेरिका में कहर बरपा सकते थे, इनसे निबटने के लिए कंप्यूटर इन्वेस्टिगेशंस एंड इंफ्रास्ट्रक्चर थ्रेट एसेसमेंट सेंटर (सीआईटीएसी) और नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोटेक्शन सेंटर (एनआईपीसी) का गठन किया गया था। इन सुधारों के साथ एफबीआई ने दूरसंचार प्रगति द्वारा उन समस्याओं की प्रकृति में किये गए बदलावों को अपनाकर सार्वजनिक सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा जाँच में अपनी इलेक्ट्रॉनिक निगरानी क्षमता बढ़ा ली थी।

11 सितम्बर के हमले

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2001 में 11 सितंबर के हमलों के कुछ ही महीनों के अंदर हमलों के सिर्फ एक सप्ताह पहले शपथ ग्रहण करने वाले एफबीआई के निदेशक राबर्ट मुलर ने एफबीआई की संरचना और ऑपरेशनों के पुनर्व्यवास्थापन (री-इंजीनियरिंग) की मांग की. इसके बदले में उन्होंने प्रत्येक संघीय अपराध का मुकाबला करने को सर्वोच्च प्राथमिकता बना दिया जिसमें आतंकवाद को रोकना, विदेशी खुफिया गतिविधियों का जवाब देना, साइबर सुरक्षा संबंधी खतरों, अन्य हाई-टेक अपराधों से निबटना, नागरिक अधिकारों की रक्षा करना, सार्वजनिक भ्रष्टाचार, संगठित अपराध, सफेदपोश अपराध और हिंसक अपराध की बड़ी घटनाओं का मुकाबला करना शामिल है।[35]

फरवरी 2001 में रॉबर्ट हैनसेन को रूसियों को सूचनाएं बेचते हुए पकड़ा गया था। बाद में यह पता चला कि हैनसेन, जो एफबीआई के भीतर एक उच्च पद तक पहुँच गए थे, वे कम से कम 1979 की शुरुआत से ही खुफिया जानकारियाँ बेचने का काम करते आ रहे थे। उन्हें देशद्रोह का दोषी पाया गया और 2002 में उन्हें मौत की सजा दी गयी लेकिन इस घटना ने एफबीआई द्वारा प्रयुक्त सुरक्षा उपायों पर कई लोगों को सवालिया निशान लगाने का मौक़ा दिया. एक दावा यह भी किया गया कि रॉबर्ट हेनसेन का योगदान संभवतः उन सूचनाओं को बेचने में भी था जो 11 सितम्बर 2001 के हमलों के लिए कारण बने थे।[36]

22 जुलाई 2004 को आयी 9/11 आयोग की अंतिम रिपोर्ट में कहा गया कि एफबीआई और सेन्ट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए) दोनों आंशिक रूप से उन खुफिया रिपोर्टों पर अमल नहीं करने के दोषी हैं जिनसे 11 सितम्बर 2001 के हमलों से बचा जा सकता था। अपने सबसे अधिक आलोचनात्मक आकलन में रिपोर्ट ने यह निष्कर्ष निकाला कि दोनों एजेंसियों द्वारा देश की सेवा "बेहतर तरीके से नहीं की जा रही है" और इसने एफबीआई के भीतर बदलावों के लिए कई सुझावों को सूचीबद्ध भी किया।[37] हालांकि एफबीआई ने ज्यादातर सुझावों को मान लिया था जिसमें नए राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस) द्वारा निरीक्षण करना शामिल था, 9/11 आयोग के कुछ पूर्व सदस्यों ने अक्टूबर 2005 में एफबीआई की सार्वजनिक रूप से आलोचना की जिसमें यह दावा किया गया कि यह कई सार्थक बदलावों का विरोध कर रही थी।[38]

8 जुलाई 2007 को वॉशिंगटन पोस्ट ने यूसीएलए के प्रोफ़ेसर एमी ज़ेगार्ट की पुस्तक स्पाइंग ब्लाइंड: द सीआईए, द एफबीआई एंड द ओरिजिंस ऑफ 9/11 के कुछ अंशों को प्रकाशित किया।[39] आलेख में बताया गया था कि सरकारी दस्तावेजों से सीआईए और एफबीआई द्वारा 11 सितंबर 2001 के आतंकवादी हमलों को रोकने के 23 संभावित मौके चूक जाने का पता चलता है। इन नाकामियों के प्राथमिक कारणों में शामिल हैं: बदलाव और नए विचारों के प्रति एजेंसी का विरोधी रवैया; पदोन्नति के लिए अनुपयुक्त प्रोत्साहन और एफबीआई, सीआईए एवं संयुक्त राज्य अमेरिका के शेष खुफिया समुदाय के बीच आपसी सहयोग की कमी. आलेख में एफबीआई की विकेन्द्रीकृत संरचना को भी दोषी ठहराया गया जिसने एफबीआई के विभिन्न कार्यालयों के बीच प्रभावी संपर्क और समन्वय को रोक दिया था। आलेख में यह भी दावा किया गया था कि एफबीआई अभी भी एक प्रभावी आतंकवाद-निरोधक या खुफिया-प्रतिरोधक एजेंसी के रूप में विकसित नहीं हुई है, जिसका कारण काफी हद तक एफबीआई के अंदर गहराई तक जड़ें जमाये बैठा सांस्कृतिक प्रतिरोध था। उदाहरण के लिए, एफबीआई कर्मियों की प्रथाओं के अनुसार विशेष एजेंटों के अलावा अन्य कर्मचारियों को सहयोगी कर्मचारी माना जाता रहा है, जो खुफिया विशेषज्ञों को एफबीआई की स्वचालित मशीनों और दरबानों की श्रेणी में वर्गीकृत करती है।[40]

संगठनात्मक संरचना

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एफबीआई को पाँच कार्यात्मक शाखाओं और निदेशक कार्यालय में बांटा गया है, जिसमें सबसे अधिक प्रशासनिक कार्यालय मौजूद हैं। प्रत्येक शाखा का प्रबंधन एक कार्यकारी सहायक निदेशक द्वारा किया जाता है। शाखा के भीतर के प्रत्येक कार्यालय तथा विभाग का प्रबंधन एक सहायक निदेशक द्वारा किया जाता है।

  • निदेशक का कार्यालय
    • काँग्रेसी मामलों का कार्यालय
    • समान रोजगार अवसर मामलों का कार्यालय
    • जनरल काउंसिल का कार्यालय
    • इंटेग्रिटी (सत्यनिष्ठा) और कम्प्लायेंस (समर्पण) का कार्यालय
    • प्रशासनिक शिकायत जाँच अधिकारी का कार्यालय
    • पेशेवराना जिम्मेदारी का कार्यालय
    • सार्वजनिक मामलों का कार्यालय
    • इंस्पेक्शन डिवीजन
    • फेसिलिटीज और लॉजिस्टिक्स सर्विसेस डिवीजन
    • वित्त विभाग
    • रिकॉर्ड्स मैनेजमेंट डिविजन
    • रिसोर्स प्लानिंग ऑफिस
    • सुरक्षा विभाग
  • राष्ट्रीय सुरक्षा शाखा
    • प्रतिरोधक विभाग
    • आतंकवाद-निरोधक विभाग
    • खुफिया निदेशालय
    • सामूहिक विनाश के हथियारों का निदेशालय
  • आपराधिक, साइबर, प्रतिक्रिया और सेवा शाखा
    • आपराधिक जांच विभाग
    • साइबर विभाग (निर्देशक: गॉर्डन एम स्नो)
    • क्रिटिकल इंसिडेंट रेस्पोंस ग्रुप
    • अंतर्राष्ट्रीय ऑपरेशन्स (परिचालन) का कार्यालय (निर्देशक: जोसेफ़ एम. डेम्रेस्ट)
    • कानून प्रवर्तन कॉर्डिनेशन (समन्वय) का कार्यालय
  • मानव संसाधन शाखा
    • प्रशिक्षण विभाग
    • मानव संसाधन विभाग
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी शाखा
    • क्रिमिनल जस्टिस इन्फोर्मेशन सर्विसेस डिवीजन
    • प्रयोगशाला विभाग
    • परिचालन प्रौद्योगिकी विभाग
    • स्पेशल टेक्नोलॉजीज और एप्लीकेशंस ऑफिस
  • सूचना और प्रौद्योगिकी शाखा
    • सूचना प्रौद्योगिकी प्रचालन विभाग
    • आईटी नीति एवं योजना का कार्यालय
    • आईटी कार्यक्रम प्रबंधन का कार्यालय
    • आईटी सिस्टम्स विकास का कार्यालय
    • चीफ नॉलेज ऑफिसर का कार्यालय

आधारभूत सुविधाएं (इंफ्रास्ट्रक्चर)

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जे. एडगर हूवर भवन, एफबीआई का मुख्यालय
 
एफबीआई मोबाइल कमांड सेंटर, वाशिंगटन फील्ड कार्यालय

एफबीआई का मुख्यालय वाशिंगटन, डी.सी. में जे. एडगर हूवर बिल्डिंग में स्थित है जिसके 56 क्षेत्रीय कार्यालय[41] पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रमुख शहरों में मौजूद हैं। एफबीआई समूचे संयुक्त राज्य अमेरिका में 400 से अधिक रेजिडेंट एजेंसियों और अमेरिकी दूतावासों एवं वाणिज्य दूतावासों (कन्सुलेट्स) में 50 से अधिक लीगल अटैचेज को अपने साथ लेकर चलती है। एफबीआई की कई विशिष्ट गतिविधियाँ वर्जिनिया के क्वांटिको में और वेस्ट वर्जिनिया के क्लार्क्सबर्ग में मौजूद परिसरों से संचालित होती हैं। एफबीआई फ्रीडम ऑफ इन्फोर्मेशन एक्ट (एफओआईए) के आग्रहों पर कार्य करने वाले अपने रिकॉर्ड्स मैनेजमेंट डिविजन को वर्जिनिया के विनचेस्टर में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया में जुटी है।[42]

एफबीआई की प्रयोगशाला, जिसकी स्थापना बीओआई[43] के गठन के साथ की गयी थी, 1974 में जे. एडगर हूवर बिल्डिंग के बनकर तैयार होने तक यह इसमें नहीं आयी थी। यह प्रयोगशाला ज्यादातर डीएनए, जैविक और शारीरिक कार्य के लिए प्राथमिक प्रयोगशाला के रूप में काम करती है। एफबीआई मुख्यालयों के सार्वजनिक सफ़र को जे. एडगर हूवर बिल्डिंग में इसके स्थानांतरण से पहले एफबीआई प्रयोगशाला के कार्यस्थल के माध्यम से संचालित किया गया था। इस प्रयोगशाला से संचालित की जाने वाली सेवाओं में शामिल हैं रसायन, कम्बाइंड डीएनए इंडेक्स सिस्टम (सीओडीआईएस), कंप्यूटर एनालिसिस एंड रिस्पांस, डीएनए एनालिसिस, एविडेंस रिस्पांस, एक्सप्लोसिव्स, फायरआर्म्स एंड टूल मार्क्स, फोरेंसिक ऑडियो, फोरेंसिक वीडियो, इमेज एनालिसिस, फोरेंसिक साइंस रिसर्च, फोरेंसिक साइंस ट्रेनिंग, हेजार्डुअस मैटिरियल्स रिस्पांस, इन्वेस्टिगेटिव एंड प्रोस्पेक्टिव ग्राफिक्स, लेटेन्ट प्रिंट्स, मैटिरियल्स एनालिसिस, क्वेश्चंड डाक्युमेंट्स, रेकेटियरिंग रिकॉर्ड्स, स्पेशल फोटोग्राफिक एनालिसिस, स्ट्रक्चरल डिजाइन और ट्रेस एविडेंस .[44] एफबीआई प्रयोगशाला की सेवाओं का कई राज्य-स्तरीय, स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा निःशुल्क इस्तेमाल किया जाता है। प्रयोगशाला की एक दूसरी इकाई एफबीआई अकादमी में भी मौजूद है।

वर्जिनिया के क्वांटिको में स्थित एफबीआई अकादमी वही जगह है जिसकी दूरसंचार प्रणाली और कंप्यूटर प्रयोगशाला का एफबीआई द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। यहीं पर नए एजेंटों को प्रशिक्षण के लिए भी भेजा जाता है जो एफबीआई के विशेष एजेंट बनते हैं। इक्कीस सप्ताह के एक पाठ्यक्रम से होकर गुजरना प्रत्येक विशेष एजेंट के लिए आवश्यक होता है।[45] इसे वुडलैंड के 385 एकड़ (1.6 किमी²) पर पहली बार 1972 में इस्तेमाल के लिए खोला गया था। यह अकादमी उन राज्य-स्तरीय और स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए एक कक्षा के रूप में भी कार्य करती है जिन्हें प्रीमियर कानून प्रवर्तन प्रशिक्षण केंद्र पर आमंत्रित किया जाता है। क्वांटिको में स्थित एफबीआई की इकाइयाँ हैं फील्ड एंड पुलिस ट्रेनिंग यूनिट, फायरआर्म्स ट्रेनिंग यूनिट, फॉरेंसिक साइंस रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर, टेक्नोलॉजी सर्विसेस यूनिट (टीएसयू), इन्वेस्टिगेटिव ट्रेनिंग यूनिट, लॉ एन्फोर्समेंट कम्युनिकेशन यूनिट, लीडरशिप एंड मैनेजमेंट साइंस यूनिट्स (एलएसएमयू), फिजिकल ट्रेनिंग यूनिट, न्यू एजेंट्स ट्रेनिंग यूनिट (एनएटीयू), प्रैक्टिकल एप्लिकेशंस यूनिट (पीएयू), द इन्वेस्टिगेटिव कंप्यूटर ट्रेनिंग यूनिट और "कॉलेज ऑफ एनालिटिकल स्टडीज."

वर्ष 2000 में एफबीआई ने अपनी पुरानी पड़ चुकी सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) की बुनियादी संरचना के उन्नयन के लिए त्रयी परियोजना (ट्रायोलॉजी प्रोजेक्ट) शुरू की. यह परियोजना मूल रूप से नियत तीन वर्ष के समय और 380 मिलियन डॉलर के लगभग लागत से कहीं अधिक बजट और समय लेकर पूरी हुई.[46] आधुनिक कम्प्यूटरों और नेटवर्किंग उपकरण को तैनात करने के प्रयास आम तौर पर सफल रहे लेकिन साइंस एप्लीकेशंस इंटरनेशनल कॉरपोरेशन (एसएआईसी) से आउटसोर्स करके, तहकीकात करने के लिए एक नया सॉफ्टवेयर विकसित करने का प्रयास बुरी तरह असफल रहा. सॉफ्टवेयर, जिसे वर्चुअल केस फाइल या वीसीएफ के नाम से जाना जाता था, घटिया लक्ष्य निर्धारण और प्रबंधन में बार बार के बदलाव से ग्रसित था।[47] जनवरी 2005 में सॉफ्टवेयर के पूरा होने की योजना के लिए मूल रूप से निर्धारित समय से दो वर्ष अधिक होने के बाद एफबीआई ने आधिकारिक तौर पर इस परियोजना को छोड़ दिया. उस परियोजना पर कम से कम 100 मिलियन डॉलर (और कुछ अनुमानों में इससे कहीं अधिक) से अधिक खर्च किया गया जो कभी परिचालित ही नहीं हुई. एफबीआई को अपनी एक दशक पुरानी ऐसी स्वचालित परीक्षण सहायता प्रणाली के उपयोग जारी रखने को मजबूर होना पड़ा है जो आईटी विशेषज्ञों द्वारा बुरी तरह से अपर्याप्त मानी जाती है। मार्च 2005 में एफबीआई ने यह घोषणा की, कि वह ख़ुफ़िया-नाम सेंटिनेल नाम की एक नई, अधिक महत्वाकांक्षी सॉफ्टवेयर परियोजना की शुरुआत कर रही है जिसके 2009 तक पूरी होने की संभावना है।[48]

क्लिंटन प्रशासन के दौरान कार्निवोर, फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन द्वारा क्रियान्वित एक गुप्त रूप से बात सुनने वाली इलेक्ट्रॉनिक सॉफ्टवेयर प्रणाली थी, जिसे ईमेल और इलेक्ट्रॉनिक संचार पर नजर रखने के लिए बनाया गया था। लंबे समय तक प्रेस में नकारात्मक कवरेज के बाद एफबीआई ने अपनी प्रणाली का नाम बदलकर "कार्निवोर" से अधिक सौम्य ध्वनित होने वाला नाम "डीसीएस 1000" (DCS1000) कर दिया. सूचना है कि डीसीएस, "डिजिटल कलेक्शन सिस्टम" का प्रतीक है; यह प्रणाली पहले की ही तरह कार्य करती है। मध्य-जनवरी 2005 में एसोसिएटेड प्रेस ने यह सूचना दी कि एफबीआई ने व्यावसायिक रूप से उपलब्ध सॉफ्टवेयर जैसे नारुसइनसाइट (NarusInsight) के पक्ष में 2001 में अनिवार्य रूप से "कार्निवोर" का प्रयोग छोड़ दिया.

पश्चिम वर्जीनिया के क्लार्क्सबर्ग में स्थित द क्रिमिनल जस्टिस इन्फोर्मेशन सर्विसेस (सीजेआईएस) डिविजन[49]. यह एफबीआई का सबसे नया प्रभाग है जिसका गठन 1991 में ही किया गया है और इसकी शुरुआत 1995 में हुई. यह परिसर अपने आप में तीन फुटबॉल मैदानों की लंबाई के बराबर है। इसका उद्देश्य सूचना का एक प्रमुख स्रोत उपलब्ध करना है। सीजेआईएस (सीजेआईएस) के अंतर्गत नेशनल क्राइम इन्फॉर्मेशन सेंटर (एनसीआईसी), यूनिफ़ॉर्म क्राइम रिपोर्टिंग (यूसीआर), फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन, इंटिग्रेटेड ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आईडेंटिफिकेशन सिस्टम (आईएएफआईएस), एनसीआइसी 2000 और द नेशनल इन्सिडेंट-बेस्ड रिपोर्टिंग सिस्टम (एनआईबीआरएस) के कार्यक्रम हैं। कई राज्य और स्थानीय एजेंसियां अपने स्वयं की तहकीकात के लिए एक स्रोत के रूप में इन प्रणालियों का उपयोग करती हैं और सुरक्षित संचार का उपयोग करके डेटाबेस के लिए योगदान करती हैं। एफबीआई, परिष्कृत पहचान और सूचना सेवाओं के ये उपकरण स्थानीय, राज्य, संघीय और अंतरराष्ट्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों को उपलब्ध कराती है।

एफबीआई पर नेशनल वर्चुअल ट्रांसलेशन सेंटर का दायित्त्व है, जो खुफिया समुदाय के सभी तत्वों के लिए "विदेशी ख़ुफ़िया जानकारियों का समय पर और एकदम सटीक अनुवाद करता है।"

 
वाशिंगटन फील्ड कार्यालय के एफबीआई एजेंट, 2009 में राष्ट्रपति द्वारा उद्घाटन में इस्तेमाल होने वाले एक रणनीतिक वाहन के साथ

सबूत प्रक्रमण विवाद

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1990 के दशक में, यह पता चला कि एफबीआई अपराध प्रयोगशाला की फिंगरप्रिंट इकाई ने बार बार घटिया काम किया था। कुछ मामलों में तकनीशियनों नें संदिग्ध को वास्तव में दोषमुक्त करने वाले सबूत देने की बजाए ऐसी रिपोर्ट दी कि उसने संदिग्ध को अपराधी साबित कर दिया. जब इस तरह की ग़लतियों की बात खुली तब कई मामलों को दुबारा खोलना पड़ा.

गोली के सीसे के दोषपूर्ण विश्लेषण के साक्ष्य

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40 से अधिक वर्षों तक, क्वांटिको में एफबीआई अपराध प्रयोगशाला में यह विश्वास था की गोलियों के सीसे के एक विशिष्ट रासायनिक हस्ताक्षर होते हैं और यह कि सीसे को तोड़कर और उसका विश्लेषण करके गोलियों को न सिर्फ फैक्ट्री से निकलने वाले गोला-बारूद के बैच से पहचाना जा सकता था बल्कि उस अकेले डिब्बे को भी जाना जा सकता था जिसमें उन गोलियों को रखा गया था। नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस ने बुलेट और सीसे के तुलनात्मक विश्लेषण की 18 महीने तक स्वतंत्र समीक्षा संचालित की. 2003 में नेशनल रिसर्च काउंसिल ने एफबीआई प्रमाणों के 30 सालों पर प्रश्न खड़े करते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की. इसने पाया परिणामों के अनुमान के लिए एफबीआई द्वारा प्रयुक्त मॉडल गहन रूप से त्रुटिपूर्ण था और यह निष्कर्ष कि गोली के टुकड़ों का गोली-बारूद के डिब्बे से मिलान किया जा सकता है इतना ज्यादा अतिरंजित है कि यह साक्ष्य के नियमों के तहत भ्रामक है। एक साल बाद एफबीआई ने गोली सीसा विश्लेषण बंद करने का फैसला किया।

इस विश्लेषण का उपयोग करने वाले 2,500 से अधिक मामलों में संभवतः सैकड़ों या हजारों ऐसे हैं जहाँ एफबीआई प्रयोगशाला के तकनीशियनों नें आपराधी की सुनवाई में फोरेंसिक प्रमाण उपलब्ध करवाए. प्रत्येक मामले में प्रमाण ग़लत और भ्रामक थे। अमेरिकी सरकार का यह कानूनी दायित्त्व है कि बचाव पक्ष को ऐसी किसी भी जानकारी के बारे में सूचित करे जो उनको निर्दोष साबित करने में मदद कर सके, बावजूद इसके कि उन्हें दोषी सिद्ध किया जा चुका हो. केवल एफबीआई ही उन मामलों को पहचान सकती है जिनमें बुलेट-सीसा विश्लेषण को अंजाम दिया गया था, तब भी उसने इन सूचनाओं को सामने लाने या जारी करने का विरोध किया है।

नवम्बर 2007 में वाशिंगटन पोस्ट के 60 मिनट्स की जाँच के परिणामस्वरूप (दो साल बाद) ब्यूरो ने कहा कि वह सभी उचित मामलों की पहचान, समीक्षा और रिहाई करेगा और अभियोजन पक्ष को उन मामलों के बारे में जानकारी देगा जिनमें गलत प्रमाण दिए गए थे।[50]

कर्मचारी

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31 दिसम्बर 2009 तक एफबीआई के पास कुल मिलाकर 33,652 कर्मचारी थे। इसमें 13,412 विशेष एजेंट और 20,420 सहयोगी प्रोफेशनल जैसे कि खुफिया विश्लेषक, भाषा विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, सूचना प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ और अन्य पेशेवर व्यक्ति शामिल थे।[51]

द ऑफिसर डाउन मेमोरियल पेज, 1925 से लेकर 2009 तक ड्यूटी के दौरान मारे गए 57 एफबीआई अधिकारियों की जीवनी प्रस्तुत करता है।[52]

भर्ती प्रक्रिया

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एफबीआई अकादमी फायरिंग रेंज पर प्रशिक्षण लेते एजेंट

एक एफबीआई एजेंट बनने के लिए आवेदन करने के क्रम में आवेदक को 23 से 37 वर्ष की उम्र के बीच का होना चाहिए. हालांकि राबर्ट पी. इसाबेला बनाम डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट एंड ऑफिस ऑफ पर्सनल मैनेजमेंट, 2008 एम.एस.पी.बी. 146 के मामले में फैसले के कारण, अनुभवी और योग्य व्यक्ति 37 वर्ष की उम्र के बाद भी आवेदन कर सकते हैं। 2009 में ऑफिस ऑफ पर्सनल मैनेजमेंट ने इसाबेला मामले के फैसले पर कार्यान्वयन संबंधी दिशा निर्देश जारे किये: ओपीएम लेटर आवेदक के पास अनिवार्य रूप से अमेरिकी नागरिकता, एक साफ़-सुथरा रिकॉर्ड और चार साल की स्नातक की डिग्री भी होनी चाहिए. सभी एफबीआई कर्मचारियों को एक टॉप सीक्रेट (टीएस) सुरक्षा चालान की आवश्यकता होती है और कई मामलों में कर्मचारियों को एक उच्च-स्तरीय, टीएस/एससीआई चालान की जरूरत होती है।[53] सुरक्षा चालान प्राप्त करने के क्रम में सभी संभावित एफबीआई कर्मियों को सिंगल स्कोप बैकग्राउंड इन्वेस्टिगेशंस (एसएसबीआई) की एक श्रृंखला अनिवार्य रूप से उत्तीर्ण करनी होती है जिसे ऑफिस ऑफ पर्सनल मैनेजमेंट द्वारा आयोजित किया जाता है।[54] विशेष एजेंटों के उम्मीदवारों को भी एक फिजिकल फिटनेस टेस्ट (पीएफटी) पास करना जरूरी होता है जिसमें एक 300-मीटर की दौड़, एक मिनट की उठक-बैठक, अधिकतम पुश-अप और एक 1.5-मील (2.4 कि॰मी॰) दौड़ शामिल होती है। कर्मियों को एक पोलिग्राफी टेस्ट भी पास करना होता है जिसमें नशीली दवाओं के संभावित सेवन पर प्रश्न किये जाते हैं।

संभावित विशेष एजेंटों के उम्मीदवारों द्वारा सफलता पूर्वक टीएस क्लियरेंस की प्रक्रिया से गुजरने और फॉर्म एसएफ-312 गैर-प्रकटीकरण समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद उन्हें वर्जिनिया के मरीन कॉर्प्स बेस क्वांटिको में स्थित एफबीआई प्रशिक्षण स्थल पर भेजा जाता है। उम्मीदवार एफबीआई अकादमी में लगभग 21 सप्ताह का समय बिताते हैं जहाँ उन्हें प्रशिक्षण के लिए 500 से अधिक कक्षा के घंटे और क़ानून का उपयोग करने के 1,000 से अधिक कृत्रिम घंटे दिए जाते हैं। प्रशिक्षण (ग्रेजुएशन) के बाद एफबीआई के नए विशेष एजेंटों को उनकी विशेषज्ञता के क्षेत्र के आधार पर देश भर में और दुनिया भर में नियुक्त किया जाता है। पेशेवर सहयोगी कर्मचारी एफबीआई के पास मौजूद कई सहयोगी भवनों में से किसी एक में कार्य करते हैं। हालांकि किसी भी एजेंट या अन्य कर्मचारियों को, उनकी योग्यताओं को किसी एक क्षेत्रीय कार्यालय या एफबीआई के पास मौजूद 400 रेजिडेंट एजेंसियों में से किसी एक के लिए आवश्यक समझे जाने पर किसी भी स्थान पर कितने भी समय के लिए स्थानांतरित किया जा सकता है।

बीओआई और एफबीआई के निदेशक

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एफबीआई के निदेशकों को संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका की सीनेट द्वारा अनिवार्य रूप से उनकी पुष्टि की जाती है और यदि वे इस्तीफा नहीं देते हैं या उनके कार्यकाल के पूरा होने से पहले ही राष्ट्रपति द्वारा उन्हें हटाया नहीं जाता है, तो उनका कार्यकाल दस-वर्ष का होता है। कैल्विन कूलिज द्वारा 1924 में नियुक्त जे. एडगर हूवर अब तक के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले एफबीआई निदेशक थे जिन्होंने 1972 में अपनी मृत्यु तक अपनी सेवा प्रदान की. 1968 में कांग्रेस ने ओमनिबस क्राइम कंट्रोल एंड सेफ स्ट्रीट्स एक्ट Pub.L. 90-351, 19 जून 1968, 82 Stat. 197 के एक हिस्से के रूप में एक क़ानून पारित किया जिसमें एफबीआई के भावी निदेशकों और नियुक्त व्यक्तियों की सीनेट द्वारा आवश्यक पुष्टि के लिए 10-वर्ष का सीमित कार्यकाल निर्धारित किया गया था। एक अधिकारी के रूप में यह क़ानून हूवर पर नहीं लागू हुआ था, लेकिन यह उनके उत्तराधिकारियों पर होता है। एफबीआई के वर्तमान निदेशक राबर्ट मुलर हैं जिन्हें 2001 में जॉर्ज डब्ल्यू. बुश द्वारा नियुक्त किया गया था।

एफबीआई के निदेशक एफबीआई में होने वाली दैनिक गतिविधियों के लिए जिम्मेदार होते हैं। अपने सहायकों के साथ निदेशक यह सुनिश्चित करते हैं कि मामलों और ऑपरेशनों का संचालन सही तरीके से किया जा रहा है। निदेशक यह भी सुनिश्चित करने का अधिकार रखते हैं कि एफबीआई के किसी भी क्षेत्रीय कार्यालय में नेतृत्व के लिए सुयोग्य एजेंटों को नियुक्त किया जा रहा है। 11 सितंबर के हमलों के मद्देनजर इंटेलिजेंस रिफॉर्म एंड टेररिज्म प्रिवेंशन एक्ट (खुफिया सुधार और आतंकवाद निरोधक अधिनियम) को पारित किये जाने के पहले एफबीआई के भीतर उठने वाले किसी भी मुद्दे पर एफबीआई के निदेशक संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति को जानकारी देते थे। उसके बाद से निदेशक अब डाइरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस (डीएनआई) को रिपोर्ट करते हैं जो उनके बदले में राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट देते हैं।

एफबीआई अकादमी में सफलतापूर्वक अपना प्रशिक्षण पूरा कर लेने के बाद एफबीआई के विशेष एजेंट के लिए .40 एसएंडडब्ल्यू कैलिबर में एक ग्लौक मॉडल 22 पिस्टल जारी किया जाता है। .40 एसएंडडब्ल्यू कैलिबर में एक {0}ग्लौक{/0} {1}मॉडल 27{/1} एक सहायक हथियार के रूप में अधिकृत है। विशेष एजेंट .45 एसीपी कैलिबर में ग्लौक मॉडल 21 को खरीदने और ड्यूटी के समय इसे अपने साथ रखने के लिए अधिकृत हैं। एफबीआई एचआरटी (होस्टेज रेस्क्यू टीम) के विशेष एजेंटों को स्प्रिंगफील्ड मॉडल 1911A1 .45 एसीपी पिस्टल जारी किया जाता है। (देखें आलेख एफबीआई स्पेशल वीपन्स एंड टैक्टिक्स टीम)

एफबीआई लॉ एन्फोर्समेंट कम्युनिकेशन यूनिट[55] द्वारा एफबीआई लॉ एन्फोर्समेंट बुलेटिन मासिक रूप से प्रकाशित किया जाता है जिसमें राज्य और स्थानीय क़ानून प्रवर्तन कर्मियों के हितों से जुड़े लेख प्रकाशित किये जाते हैं। फ्युजिटिव्स वांटेड बाइ पुलिस[56] के रूप में 1932 में पहली बार प्रकाशित[56] एफबीआई लॉ एन्फोर्समेंट बुलेटिन अपने अंकों में क़ानून प्रवर्तन तकनीक एवं मुद्दों जैसे कि क्राइम मैपिंग और सैन्य बलों के उपयोग के साथ-साथ हाल के आपराधिक न्याय संबंधी शोध और वांछित संदिग्धों एवं प्रमुख मामलों पर वी-कैप (Vi-CAP) एलर्ट्स जैसे विषयों को शामिल करता है।

एफबीआई कानून प्रवर्तन कर्मियों के साथ-साथ नागरिक संबंधी नियमित विषय-वस्तुओं दोनों के लिए कुछ रिपोर्ट भी प्रकाशित करती है जिनमें क़ानून प्रवर्तन, आतंकवाद, साइबर क्राइम, सफ़ेदपोश अपराध, हिंसक अपराध और सांख्यिकीय आंकड़े शामिल हैं।[57] हालांकि इन विषयों को कवर करने वाले संघीय सरकार के प्रकाशनों के काफी बड़े हिस्से को संयुक्त राज्य अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के ऑफिस ऑफ जस्टिस प्रोग्राम्स एजेंसियों द्वारा प्रकाशित किया जाता है और इन्हें नेशनल क्राइम जस्टिस रेफरेंस सर्विस के माध्यम से वितरित किया जाता है।

अपराध के आंकड़े

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1920 के दशक में एफबीआई ने स्थानीय पुलिस विभागों से जानकारियाँ जुटाकर अपराध के आंकड़े जारी करने की शुरुआत की थी।[58] 1960 और 1970 के दशक के दौरान इस प्रणाली में पायी गयी सीमाओं के कारण - पीड़ित अक्सर पहली बार सीधे पुलिस में अपनी रिपोर्ट दर्ज नहीं कराते थे - डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने अपराध के आकड़ों के मिलान के लिए पीड़ितों के सर्वेक्षण के रूप में एक वैकल्पिक तरीका विकसित किया।[58]

यूनिफॉर्म क्राइम रिपोर्ट

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यूनिफॉर्म क्राइम रिपोर्ट (यूसीआर) देश भर के 17,000 से अधिक कानून प्रवर्तन एजेंसियों से आंकड़ों का संकलन करती है। ये अपराधों की संख्या के संबंध में विस्तृत आंकड़े प्रदान करते हैं जिसमें गिरफ्तारी, चालान (या किसी मामले को बंद करना) और कानून प्रवर्तन अधिकारी की जानकारी शामिल है। यूसीआर अपने आंकड़ों के संग्रह में हिंसक अपराधों, घृणात्मक अपराधों और संपत्ति से जुड़े अपराधों पर ध्यान केंद्रित करता है।[57] 1920 के दशक में बनायी गयी यूसीआर प्रणाली अभी तक यूनिफॉर्म (एक समान) साबित नहीं हुई है जैसा कि इसके नाम का तात्पर्य है। यूसीआर के आंकड़े केवल संबंधित अपराधों के मामले में सबसे अधिक गंभीर अपराध को प्रतिबिंबित करते हैं और इसके पास बलात्कार की एक बहुत ही सीमित परिभाषा मौजूद है। चूंकि एफबीआई को प्रस्तुत किये जाने वाले आंकड़ों में से लगभग 93% इस प्रारूप में हैं, यूसीआर अपने प्रकाशन को उसी रूप में तैयार करती है जैसे कि ज्यादातर राज्यों को कानून प्रवर्तन एजेंसियों के पास जमा करने के लिए इन आंकड़ों की जरूरत होती है।

वर्ष 2006 के लिए प्रारंभिक वार्षिक यूनिफॉर्म क्राइम रिपोर्ट 4 जून 2006 को जारी की गयी थी। यह रिपोर्ट बताती है कि हिंसक अपराधों में 1.3% की वृद्धि हुई है लेकिन संपत्ति से जुड़े आपराधिक मामलों में 2005 की तुलना में 2.9% की कमी हुई है।[59]

राष्ट्रीय घटना आधारित रिपोर्टिंग प्रणाली

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राष्ट्रीय घटना आधारित रिपोर्टिंग प्रणाली (नेशनल इन्सिडेंट बेस्ड रिपोर्टिंग सिस्टम) (एनआईबीआरएस) संबंधी आपराधिक आंकड़ों की प्रणाली यूसीआर डेटा में निहित सीमाओं पर ध्यान देने का लक्ष्य रखती है। यह प्रणाली संयुक्त राज्य अमेरिका में कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा अपराधों से संबंधित आंकड़े जुटाने और उनका रिपोर्ट तैयार करने के लिए इस्तेमाल की जाती है। स्थानीय, राज्य-स्तरीय और संघीय एजेंसियाँ अपनी रिकॉर्ड्स प्रबंधन प्रणालियों से एनआईबीआरएस आंकड़े करती हैं। आंकड़ों का संग्रह ग्रुप ए अपराध श्रेणी में प्रत्येक घटना और गिरफ्तारी के आधार पर किया जाता है। ग्रुप ए अपराध 22 अपराध श्रेणियों में वर्गीकृत 46 विशिष्ट अपराध हैं। इन अपराधों के बारे में विशिष्ट तथ्यों को एनआईबीआरएस प्रणाली में इकट्ठा किया जाता है और रिपोर्ट किया जाता है। ग्रुप ए अपराधों के अलावा, ग्यारह ग्रुप बी अपराधों को केवल गिरफ्तारी की जानकारी के साथ सूचित किया जाता है। एनआईबीआरएस प्रणाली सारांश आधारित यूसीआर प्रणाली की तुलना में काफी हद तक अधिक विस्तृत होती है। 2004 तक 5,271 कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने एनआईबीआरएस आंकड़े प्रस्तुत किये थे। यह संख्या संयुक्त राज्य अमेरिका की आबादी के 20% और एफबीआई द्वारा जुटाए गए अपराध संबंधी आंकड़ों के 16% का प्रतिनिधित्व करती है।

विशिष्ट व्यक्तियों पर एफबीआई की फाइलें

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अमेरिकी फ्रीडम ऑफ इन्फोर्मेशन एक्ट के माध्यम से अपनी, किसी जीवित व्यक्ति के बारे में जो आपको इसकी स्वीकृति देता है, या किसी मृत व्यक्ति के बारे में एफबीआई फ़ाइल की एक प्रतिलिपि प्राप्त करना संभव है। एफबीआई ने कई हस्तियों पर फाइलें तैयार की हैं जिनमें एल्विस प्रेस्ली, फ्रैंक सिनात्रा, जॉन डेनवर, जॉन लेनन, जेन फोंडा, ग्रूको मार्क्स, चार्ली चैपलिन, एमसी5, लो कॉस्टेलो, सोनी बोनो, बॉब डाइलन, माइकल जैक्सन, मिकी मेंटल और जीन औट्रे शामिल हैं।[60] एफबीआई ने 1988 में जैक द रिपर की प्रोफाइल भी तैयार की थी लेकिन आज भी उसकी पहचान साबित नहीं हो पायी है।[61] हॉवर्ड जिन की टिपण्णी है, "यदि मुझे पता चलता है कि एफबीआई के पास मेरे बारे में कोई भी डोजियर मौजूद नहीं है, यह अत्यंत शर्मनाक होता और मैं अपने दोस्तों से नजरें नहीं मिला पाता."[62]

मीडिया में चित्रण

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एफबीआई को 1930 के दशक के बाद से अक्सर लोकप्रिय मीडिया में दिखाया जाता रहा है। ब्यूरो ने विभिन्न स्तरों पर इसमें भाग लिया है; जिसमें एफबीआई का एक अनुकूल चित्रण प्रस्तुत करने के क्रम में रचनात्मक प्रक्रिया में सीधे तौर पर भाग लेने से लेकर ऑपरेशनों और बंद हुए मामलों पर परामर्श देना शामिल है।[63]

उल्लेखनीय व्यक्ति

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  • एडविन आर्थटन
  • एड बिथयून
  • जे. एडगर हूवर
  • रिचर्ड मिलर
  • लॉय एफ. वीवर
  • विलियम मार्क फेल्ट
  • जॉन पी. ओ'नील
  • मेल्विन पर्विस
  • जोसेफ डी. पिस्टन
  • सू थॉमस

इन्हें भी देखें

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  • अल्कोहल ब्यूरो, तम्बाकू, फायरआर्मस और विस्फोटक (एटीएफ)
  • ड्रग एनफ़ोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन (डीईए)
  • एफबीआई ऑनरी मेडल्स
  • संयुक्त राज्य अमेरिका में संघीय कानून प्रवर्तन
  • इमिग्रेशन एंड कस्टम इन्फोर्समेंट (आईसीई)
  • संयुक्त राज्य अमेरिका में कानून प्रवर्तन
  • स्टेट ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन
  • संयुक्त राज्य अमेरिका की मार्शल सर्विस
  • संयुक्त राज्य अमेरिका की सीक्रेट सर्विस (यूएसएसएस)
  • अमेरिकी डिप्लोमेटिक सिक्योरिटी सर्विस (डीएसएस)
  • एफबीआई विक्टिम्स आइडेंटिफिकेशन प्रोजेक्ट (पीड़ितों की पहचान परियोजना)
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अग्रिम पठन

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बाहरी कड़ियाँ

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निर्देशांक: 38°53′40″N 77°01′28″W / 38.894465°N 77.024503°W / 38.894465; -77.024503{{#coordinates:}}: cannot have more than one primary tag per page

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