नेपाली साहित्य के मूर्धन्य भारतीय कथाकार और निबंधकर। 'बिर्सिए को संस्कृति' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार। कहानी संग्रह 'तीस्ता ब्ग्छ संघे जस्तो' से चर्चित। फिलहाल साहित्य अकादमी की कार्यकारिणी समिति के सदस्य और नेपाली सलहकर परिषद के सायोंजक।[1]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. उर्वीजा (अनियतकालिक पत्रिका), सीतामढ़ी, समकालीन नेपाली साहित्य पर केन्द्रित अंक, संपादक : रवीन्द्र प्रभात, पृष्ठ 91