ऑपरेशन ओपेरा या ऑपरेशन बेबीलोन एक आकस्मिक इज़राइली हवाई हमला था जो ७ जून १९८१ को हुआ। इस हमलेमें बग़दाद के दक्षिण-पूर्व में १७ किलोमीटर पर स्थित इराक़ के परमाणु भट्ठी ओसिराक को नष्ट कर दिया गया। इस परमाणु भट्ठी के निर्माण में इराक की मदद फ्रांस ने की थी। ७०-मेगावाट की यूरेनियम संचालित भट्ठीका का निर्माण पुरा होने को था और इज़राइल के अनुसार हे जूलाई या सितम्बर में शुरू होनेवाली थी। इज़राइल के अनुसार इस परमाणु भट्ठी में परमाणु हथियार का निर्माण होनेवाला था और इन हथियारोंसे इज़राइली जनता को बचानेहेतु ये हमला किया गया था। हालांकि इराक़ और फ्रांस का दावा था कि ये हथियारोंके निर्माण के लिए नहीं थी।[1]

ऑपरेशन ओपेरा
अरब-इजराइल संघर्ष का भाग
तिथि ७ जून १९८१
स्थान बग़दाद, इराक़
33°12′30″N 44°31′30″E / 33.20833°N 44.52500°E / 33.20833; 44.52500
परिणाम परमाणु भट्ठी ओसिराक नष्ट हुइ
योद्धा
इज़राइल इराक़
सेनानायक
मेनाकेम बेगिन (प्रधानमन्त्री)
डेविड इवरी (वायु सेना के कमांडर)
सद्दाम हुसैन (राष्ट्रपति)
मृत्यु एवं हानि
-नहीं- १० इराकी सैनिक
१ फ्रांसीसी नागरिक

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और रणनिती संपादित करें

१९६० के दशक में इराक़ ने परमाणु कार्यक्रम स्थापित किया था, और १९७० के दशक के मध्य में इसका विस्तार करने इराक़ एक परमाणु भट्ठी के अधिग्रहण के सोच में था। फ्रांस के साथ कई बातचीत के बाद वे दोनो देशोंके बिच नवम्बर १९७५ में करार बना जिस में फ्रांस ने इराक़ को परमाणु भट्ठी बनाने में तकनीकी सहायता करने का फैसला हुआ। इराक परमाणु अप्रसार संधि में शामिल देश है और इस कारण इसके परमाणु कार्यक्रम अन्तर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा अभिकरण के सुरक्षा उपायोंके अंदर आते है।[2]

यित्झाक राबिन जब इज़राइल के प्रधानमन्त्री थे (१९७४-१९७७), तब से इराक़ ने परमाणु कार्यक्रम पर आंतरिक चर्चा चल रही थी। १९७७ में लिकुड पार्टी के मेनाकेम बेगिन प्रधानमन्त्री बने और इन परमाणु कार्यक्रमोंपर इज़राइल की कार्रवाईयां बढी। इराकी भट्ठी के एक पूर्ण पैमाने पर मॉडल के निर्माण को अधिकृत किया गया, जिसमें इजरायल के पायलट बमबारी का अभ्यास कर सकते थे। इस अभ्यास में तीन पायलट भी मारे गए। इज़राइल के विदेश मंत्री मोशे दयान ने फ्रांस, अमरिका और इटली से राजनयिक वार्ता में इराक़ ने परमाणु कार्यक्रम पर रोक लगाने की मांग की; पर कुछ हो ना सका। हालांकि इराक़ के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन हमेशा यही कहते रहे कि ये कार्यक्रम शांतिपूर्ण प्रयोजनोंसे है, पर इज़राइल इसे मानने को तैयार नही था।[3]

२२ सितम्बर १९८० को ईरान-इराक़ युद्ध शुरू हुआ और ऑपरेशन स्कॉर्च स्वॉर्ड के तेहत ईरान ने ओसिराक पर हवाइ हमला किया था लेकिन भट्ठीमें परमाणु पदार्थ होने की आशंका से उन्होंने पुरी तबाही नहीं मचाई। इज़राइली सैन्य खुफिया निदेशालय के निदेशक येहुशुआ सग्यू ने सार्वजनिक रूप से ईरानियों से भट्ठी पर बमबारी करने का आग्रह किया था।[4]

आगे चलकर ईरान और इज़राइल ने इस कार्य में हात मिलालिए। ईरान ने इज़राइल को ओसिराक के छायाचित्र दिए जिसकी मदत से इज़राइली ऑपरेशन ओपेरा की तैयारी में जुट गए। इज़राइल के सैन्य ठिकानों और भट्ठी के बीच दूरी १६०० किमी (९९० मील) से अधिक थी। इज़राइल के हावई दल को अरब देश जॉर्डन या सउदी अरब या दोनों के हवाई क्षेत्रों से जाना होगा और इस कारण बिच राह ईंधन भरने की कोई सुविधा नही होगी। जनरल डायनामिक्स के एफ़-१६ए फ़ाइटिंग फ़ेलकन और मैकडोनेल डगलस के एफ़-१५ए इगल हवाई जहाजोंसे ये हमला करने का फैसला हुआ। ईरान-इराक़ युद्ध का फायदा उठाते हुए इज़राइल के हवाई जहाज इराक़ के दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्रों में हो आए और इराक़ को इसका पता नही चला। सिर्फ एक बार इराक़ का मिग विमान इज़राइली जहाज के पिछे पडा था पर ईंधन खतम होने कि वजह से वे वापिस चला गया। इस अभ्यास के दौरान सउदी अरब के क्षेत्र से हमाला करने का फैसला हुआ क्योंकि इराक़-सउदी अरब के अच्छे संबंधों के कारण यहा सुरक्षा कम थी।[4]

हमला संपादित करें

 
एफ़-१६ए विमान पर बना चिन्ह जो काले र्ंग मे एक भट्ठी दिखाता है और लाल-सफेद रंग में इराकी वायु सेना का प्रतीक

७ जून १९८१ को रविवार की दोपहर (१५:५५ इज़राइली समय) को हमला शूरु हुआ ताकी छुट्टी के समय भट्ठी के क्षेत्र में कोइ श्रमिक और विदेशी विशेषज्ञ न हो। आठ एफ़-१६ए विमान प्रत्येक में दो मार्क ८४ बम से सज्जित और छह एफ़-१५ए विमान हमले के लिए तबा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डेसे निकले। जॉर्डन के क्षेत्रमें इज़राइली दल ने रेडिओ पर सउदी अरबी उच्चारण शैली अपनाई और उन्हे बताया के वे सउदी अरबी विमान है जो अभ्यास करते हुए रास्ता खो गए थे। सउदी क्षेत्रमें उन्होंने जॉर्डनी सिग्नल और हवाई रचना प्रणाली अपनाई जिस कारण वे इराक तक किसी चुनौती के बिना पहुंच गए। इराकी समय शाम ६:३५ के आस-पास हर पाच सेकंड के अंतर पर मार्क ८४ बम गिराने लगे। सोलह बमोमेसे कमसे कम आठ बम मुख्य भट्ठी पर गिरे। बाद में पता चला कि इराकी सेना तब राडार बंद करके खाना खाने गई थी और इज़राइली दल सही सलामत वापस आ गए।[5][4]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "1981: Israel bombs Baghdad nuclear reactor" [बगदाद की परमाणु भट्ठी पर इज़राइल का हमला] (अंग्रेज़ी में). बीबीसी. मूल से 17 दिसंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १६ नवम्बर २०१७.
  2. उरी बार-जोसेफ, माइकल हैंडेल, आमोस पर्लमुटर (२००४). Two Minutes Over Baghdad [बग़दाद पर दो मिनीट] (अंग्रेज़ी में). रूटलेज. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781135760632. मूल से 17 नवंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 नवंबर 2017.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  3. गैरी डी सोलिस (२०१०). The Law of Armed Conflict: International Humanitarian Law in War [सशस्त्र संघर्ष का कानून: युद्ध में अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी कानून] (अंग्रेज़ी में). कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781139487115. मूल से 17 नवंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 नवंबर 2017.
  4. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  5. Karl P. Mueller, Jasen J. Castillo, Forrest E. Morgan, Negeen Pegahi, Brian Rosen (२००६). Striking First: Preemptive and Preventive Attack in U.S. National Security Policy. Rand Corporation. पपृ॰ २१४. मूल से 1 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 नवंबर 2017.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)