ओजोन थेरेपी
ओजोन थेरेपी में ओजोन और ऑक्सीजन के मिश्रण को मनुष्य के शरीर के लाभ हेतु प्रयोग किया जाता है। ओजोन एंटीऑक्सीडेंट प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में सक्षम है, इसलिए यह ऑक्सीडेटिव मानसिक तनाव को कम कर सकता है। ओजोन का यह एंटीऑक्सीडेंट प्रतिरोधक तंत्र विकिरण और कीमोथेरेपी के दौरान पैदा होने वाले रेडिकल्स को संतुलित करता है।[1] चाहे शरीर में शीघ्र थकान होने की शिकायत हो, सुस्ती अनुभव होती हो, छाती में दर्द की समस्या हो या उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्राल वृद्धि, मधुमेह आदि की चिंता हो, या कैंसर से लेकर एचआईवी जैसे घातक रोगों में, ओजोन थेरेपी इन सभी में वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के रूप में समान रूप से सहायक हो सकती है।[2] यह अल्पजीवी गैस शरीर के अंदर जाकर ऑक्सीकरण प्रक्रिया को तेज करने के साथ-साथ ऑक्सीजन को फेफड़ों से लेकर शरीर की सभी कोशिकाओं तक ले जाने की क्षमता बढ़ा देती है। इससे शरीर द्वारा बनाये गए अफल विषैले तत्वों को बाहर निकालने एवं क्षय हो रही ऊर्जा के पुनर्संचय में मदद मिलती है।[3]
इतिहास
चिकित्सा विज्ञान में ओजोन का प्रयोग १९वीं शताब्दी के आरंभ में किया गया था। अमेरिका में वैधानिक रूप में इसका प्रयोग १९२० और १९३० के दशक में प्रयोग शुरू हुआ था। जर्मनी, इटली, फ्रांस, रूस और लैटिन अमेरिकी देशों ब्राजील, मैक्सिको, क्यूबा और एशियाई देश मलेशिया, आदि कई देशों में ओजोन का प्रयोग होता है। ओज़ोन का प्रयोग स्वास्थ्य की दृष्टि से भी सुरक्षित होता है। १९८० में लगभग चार लाख लोगों पर हुए परीक्षण में मात्र ४० लोगों पर इसके दुष्प्रभाव दिखाई दिये थे, जिससे सिद्ध होता है कि यह लगभग पूरी तरह से सुरक्षित है।[1] कैंसर के रोगियों के लिए ओजोन थेरेपी एक दर्द रहित उपचार होता है।
प्रक्रिया
ओजोन थेरेपी इंजेक्शन के रूप में घुटने के आसपास की जाती है और इस प्रक्रिया को १०-१५ बार तक आवश्यकतानुसा दोहराया जाता है। दूसरी तरह से इंजेक्शन घुटने के अंदर दिया जाता है, इसे ३-५ बार दोहराना होता है।[1] ओजोन तेल और इसके विभिन्न उत्पादों का प्रयोग त्वचा के विभिन्न रोगों को दूर करने में भी किया जाता है और ओज़ोनयुक्त जैतून तेल (ओजोनेटेड ऑलिव ऑयल) को मल्हम के रूप में भी प्रयोग करते हैं। ओजोन शरीर के अंदर एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव उत्पन्न कर इसकी सक्रियता में वृद्धि कर देता है। शक्तिशाली ऑक्सीडेंट होने के कारण यह शरीर में पेरॉक्सीडेज, ग्लूटाथियोन और केटालेज जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स को उत्तेजित करता है। ओजोन के प्रयोग के साथ एक समस्या रहती है। इसे ऑक्सीजन आदि गैसों की भांति संचित करके नहीं रखा सकते हैं। अतएव इसे उपयोग से कुछ समय पूर्व ही ताजा तैयार करके जल, वाष्प आदि माध्यमों से शरीर में प्रवेश करवाया जाता है।
वायु प्रदूषण द्वारा लाल रक्त कोशिकाओं में आक्सीजन के अलावा कार्बन मोनोऑक्साइड एवं नाइट्रोजन के ऑक्साइड जैसे अवांछित तत्व भी भारी मात्रा में मिलते जाते हैं। इससे लाल रक्त कोशिकाओं की ऑक्सीजन धारक क्षमता का ह्रास होने लगती है। ओजोन रक्त कोशिकाओं में जाकर इन विषैले तत्वों को निकालती है और साथ ही श्वेत रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में भी वृद्धि करती है। इससे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती और एचआईवी, कैंसर, मधुमेह जैसे घातक रोगों की आशंका कम होती है।[3] शरीर पर अभी तक ओजोन का किसी दुष्प्रभाव सीधे ज्ञात नहीं हो पाया है किन्तु इस औषधि को श्वास तंत्र के रास्ते गैस के रूप में रोगी को देना उसे असहज कर सकता है, इसलिए इसके अन्य विधियों से प्रयोग के लिए नए तरीके अभी शोध के अधीन हैं।[1] ऐसा करने से खांसी, उल्टी या उबकाई की समस्या हो सकती है। यह थेरेपी अत्यंत सस्ती भी है।[3]
विश्वव्यापी प्रयोग
चिकित्सक वर्ग और जैवरासायनज्ञों सहित कई लोगों का ये विचार है कि ओज़ोन में उल्लेखनीय स्वास्थ्यवर्धक गुण होते हैं।[4][5][6] कई अन्य लोगों ने इसके विरोध में बहस भी की है कि ये तथ्य अवैज्ञानिक है और इसके कोई प्रमाणित लाभ नहीं है।[7][8][9][10] कई वर्षों तक ओज़ोन के चिकित्सकीय गुण या अवगुणों की चर्चा विवाद का विषय रहे हैं।[11]
चिकित्सकीय ओज़ोन उत्पादक जनित्रों के आगमन से हाल ही में ओज़ोन की विषाक्तता के आकलन, तरीकों और संबंधित क्रियाओं आदि का अध्ययन क्लीनिकल प्रयोगों द्वारा संभव हो पाया है।[12] ओज़ोन में कार्बनिक यौगिकों को ऑक्सीकृत करने की क्षमता,[13] और स्मॉग में उपस्थित रहने पर श्वसन तंत्र पर ज्ञात विषाक्त प्रभाव होते हैं।[14][15] चिकित्सकीय प्रयोगों में चिकित्सा स्तरीय ऑक्सीजन से उत्पादित गैस का प्रभाव औषध मात्रा में किया जाता है, किन्तु श्वास द्वारा कदापि नहीं किया जाता है।[16]
आयुर्विज्ञान में ओज़ोन के प्रयोग को स्वास्थ्य विशेषज्ञों या आयुर्विज्ञान संघों द्वारा किसी अंग्रेज़ी देश में समर्थन नहीं मिल पाया है, बल्कि अधिकांश अमरीकी राज्यों ने ओज़ोन जनित्रों के विक्रय पार निषेध, उनके चिकित्सकीय प्रयोग और यहां तक की उन पर शोधों या ओज़ोन थेरेपी के क्लीनिकल परीक्षणों पर प्रतिबंध तक लगाया हुआ है। इस कारण डॉक्टरों को ओज़ोन थेरेपी के प्रयोग, निर्धारण, सुझाव, आदि करने पर अपने अनुमति पत्र (लाइसेंस) जब्त होने का भी भय बना रहता है। ओज़ोन थेरेपी के प्रयोग से कई प्रकार के रोगों में राहत मिलने के किस्से कहानियां ही सुनने में आते हैं, किंतु इनमें से मात्र कुछ ही प्रमाणित हो पाये हैं।[17] इसके अलावा ओजोन थेरेपी नाइट्रिक ऑक्साइड सिन्थेस को इन्ड्यूस करके अंतर्जात स्टेम कोशिका को जुटाने मे सहायक हो सकता है, जिससे संभवत: इस्कीमिक ऊतकों के उत्थान को बढ़ावा मिलने की संभावना मिल सकती है। इस बारे में विस्तृत ब्यौरे, ओजोन की कार्य विधि और एक औषधि के रूप में चिकित्सकीय सीमा के भीतर उसको विकिसित करने, विलोई बोकोई की पुस्तक में दिया है। यह शोधकर्ताओं, चिकित्सकों और ओज़ोनथेरेपिस्ट्स के लिये ओज़ोन के औषध प्रयोग के समर्थन में सहायक है।[18]
वैसे भारत में ओज़ोन थेरेपी पर निषेध नहीं है। मुंबई के बॉम्बे हॉस्पिटल सहित कई अस्पतालों में इसके नियमित पाठ्यक्रम भी चलाये जा रहे हैं।[3][19] भारत मे ओजोन अभि तक होम्योपैथी की किसी भी पोटेन्सी मे उपलब्ध नही है। इस दिशा में संभव है होम्योपैथिक दवा उद्योग से जुड़ी दो प्रमुख कंपनियां बोएरॉन इंडिया और शवाबे इंडिया ओज़ोन औषधि निकालें।[18]
सन्दर्भ
- ↑ अ आ इ ई ओज़ोन थेरेपी। हिन्दुस्तान लाइव। ९ मई २०१०
- ↑ बॉम्बे हास्पिटल के ओजोनोलाजिस्ट डॉ॰ आशीष कुमार तिवारी के अनुसार
- ↑ अ आ इ ई कई रोगों को दूर भगाएगी… [मृत कड़ियाँ]। याहू जागरण। १५ अप्रैल २०१०
- ↑ "ओज़ोन थेरेपी एडिटोरियल रिव्यु". इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ऑर्गैन्स २००४. मूल से 10 नवंबर 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 मई 2010.
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