लौह अयस्क को अधिक कार्बन वाले ईँधन (जैसे कोक के साथ प्रगलित करने पर जो माधयमिक उत्पाद (intermediate product) बनता है उसे कच्चा लोहा (Pig iron) कहते हैं। इसमें प्रायः चूने के पत्थर को फ्लक्स के रूप में प्रयोग करते हैं। ईंधन के रूप में चारकोल और एंथ्रासाइट भी प्रयोग किये जा सकते हैं। कच्चे लोहे में कार्बन की मात्रा बहुत अधिक होती है (प्रायः 3.5–4.5%)। इसके कारण कच्चा लोहा बहुत भंगुर (brittle) होता है। इसे वेल्ड भी नहीं किया जा सकता। अतः इसका सीधे तौर पर बहुत कम उपयोग होता है।

कच्चा लोहा या 'पिग आइरन'

वात्या भट्ठी से कच्चा लोहा ही निकलता है। वस्तुतः 'कच्चा लोहा' लौह, कार्बन, सिलिकन, मैंगनीज, फॉस्फोरस और गंधक की मिश्रधातु है। यह एक माध्यमिक उत्पाद है जिसकी और प्रसंस्करण करके अन्य उत्पाद बनाये जाते हैं। अन्य चीजें बनाने के लिए यह एक 'कच्चा माल' है इसी से इसका 'पिग आइरन' नाम पड़ा है।

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