कनखल
कनखल, हरिद्वार शहर से बिलकुल सटा हुआ है। कनखल के विशेष आकर्षण प्रजापति मंदिर, सती कुंड एवं दक्ष महादेव मंदिर हैं। कनखल आश्रमों तथा विश्व प्रसिद्ध गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के लिए भी जाना जाता है।
कनखल कनखल | |
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town | |
Country | भारत |
राज्य | उत्तराखण्ड |
ज़िला | Haridwar |
ऊँचाई | 260 मी (850 फीट) |
Languages | |
• Official | हिन्दी |
समय मण्डल | IST (यूटीसी+5:30) |
पिन | 249408 |
टेलीफोन कोड | 01334 |
वेबसाइट | haridwar |
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कनखल गंगा के पश्चिमी किनारे पर स्थित है। नगर के दक्षिण में दक्ष प्रजापति का भव्य मंदिर है जिसके निकट सतीघाट के नाम से वह भूमि है जहाँ पुराणों (कूर्म २.३८ अ., लिंगपुराण १००.८) के अनुसार शिव ने सती के प्राणोत्सर्ग के पश्चात् दक्षयज्ञ का ध्वंस किया था। यह हिंदुओं का एक पुण्य तीर्थस्थल है जहाँ प्रति वर्ष लाखों तीर्थयात्री दर्शनार्थ आते हैं। कनखल में अनेक उद्यान हैं जिनमें केला, आलूबुखारा, लीची, आडू, चकई, लुकाट आदि फल भारी मात्रा में उत्पन्न होते हैं। यहाँ के अधिकांश निवासी ब्राह्मण हैं जिनका पेशा प्राय: हरिद्वार अथवा कनखल में पौरोहित्य या पंडगिरी है।
कनखल का पौराणिक महत्त्व
संपादित करेंमहाराजा दक्ष की राजधानी कनखल (हरिद्वार) में थी। एक बार दक्ष ने यज्ञ किया था जिसमें शिव को छोड़कर सभी राजाओं को बुलाया था। दक्ष की पुत्री और शिव की पत्नी सती बिना बुलाये ही वहां यज्ञ में पहुंची। वहां पर शिव का अपमान किया गया। यह अपमान सती सहन नहीं हुआ और वह हवनकुंड में कूद कर सती हो गई। शिव को जब पता लगा तो बहुत क्रोधित हुए। शिव ने वीरभद्र को बुलाया और कहा कि मेरी गण सेना का नेतृत्व करो और दक्ष का यज्ञ नष्ट कर दो. वीरभद्र शिव के गणों के साथ गए और यज्ञ को नष्ट कर दक्ष का सर काट डाला।