कभी हाँ कभी ना

1993 की कुंदन शाह की फ़िल्म
(कभी हाँ कभी ना (फ़िल्म) से अनुप्रेषित)

कभी हाँ कभी ना 1994 की कुंदन शाह द्वारा निर्देशित हिन्दी भाषा की हास्य फिल्म है। शाहरुख खान, सुचित्रा कृष्णमूर्ति और दीपक तिजोरी मुख्य अभिनेता हैं। इसे व्यापक रूप से शाहरुख खान के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनों में से एक माना जाता है। शाहरुख खान ने अपने बैनर रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट के तहत फिल्म के अधिकार खरीदे हैं।

कभी हाँ कभी ना

कभी हाँ कभी ना का पोस्टर
निर्देशक कुंदन शाह
पटकथा पंकज आडवाणी
कुंदन शाह
कहानी पंकज आडवाणी
कुंदन शाह
निर्माता विक्रम मेहरोत्रा
अभिनेता शाहरुख़ ख़ान,
दीपक तिजोरी,
सुचित्रा कृष्णमूर्ति
छायाकार वीरेन्द्र सैनी
संपादक रेणु सलुजा
संगीतकार जतिन-ललित
प्रदर्शन तिथियाँ
25 फरवरी, 1994
देश भारत
भाषा हिन्दी

फिल्म का नायक सुनील (शाहरुख खान) बचपन से अपनी दोस्त आना (सुचित्रा कृष्णमूर्ति) से बहुत प्यार करता है। पर आना उसे सिर्फ सच्चा दोस्त समझती है। हांलाकि सुनील अपने प्यार का इज़हार कर चुका है पर आना को लगता है सुनील कभी गंभीर नहीं हो सकता। क्योंकि वो ज़िंदादिली से जीने वाला इंसान है। उसे संगीत बहुत पसंद है और वह अपने दोस्तों के साथ एक बैंड में काम करता है। उसके बाकी सभी दोस्त भी जानते हैं कि सुनील झूठा और लापरवाह इंसान है। फिर भी उससे सभी प्यार करते हैं।

फिर सुनील को जब लगता है आना और क्रिस (दीपक तिजोरी) एक दूसरे के करीब आ रहे हैं। तो वो दोनों तरफ से झूठी अफवाह फैलाता है ताकि दोनों के बीच ग़लतफ़हमी हो और आना सिर्फ सुनील से प्यार करें। हांलाकि सुनील कोई गलत काम नहीं करना चाहता पर शायद यही पर उससे एक बड़ी भूल हो जाती है। वो क्रिस को आना के बारे में ऐसी बात बोल जाता है जो उसे नहीं बोलनी चाहिए थी। पर क्रिस को ये पता चल जाता है कि सुनील झूठ बोल रहा था। वह आना को भी ये बात बता देता है। आना सुनील से नाराज हो जाती है। यहाँ तक की बैंड के सारे दोस्त भी। सुनील सबको मनाने की कोशिश करता है पर नाकामी हाथ लगती है। सुनील की दोस्ती तब फिर से शुरू होती है जब सुनील अपने बैंड के दोस्तों को होटल में खतरे में देखता है।

सुनील जो कई सालों से पेपर में फेल होता था जब वो इस साल भी फेल होता है तब कहानी में मोड़ आता है। तब आना को भी एहसास होता है सुनील उसे बेहद प्यार करता है। इधर क्रिस की शादी की बात किसी और से चल रही होती है तो आना जज्बाती होकर सुनील से शादी करने जाती है। पर सुनील तो अपना जिन्दादिली इंसान है भाई। अंत में वो ही करता है जो आना चाहती है। इसलिये वो उसकी शादी क्रिस से करा देता है। शादी के ठीक बाद, सुनील फुटपाथ पर निराश बैठा होता है। अचानक एक लड़की (जूही चावला), जो रास्ता खो चुकी है और दिशा-निर्देश मांग रही है, सुनील से संपर्क करती है।

मुख्य कलाकार

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फ़िल्म का संगीत जतिन-ललित द्वारा दिया गया है और बोल मजरुह सुल्तानपुरी द्वारा दिये गए हैं।

क्र॰शीर्षकगायकअवधि
1."ऐ काश के हम"कुमार सानु5:10
2."आना मेरे प्यार को तुम"कुमार सानु & अलका याज्ञनिक3:59
3."दीवाना दिल दीवाना"अमित कुमार & उदित नारायण7:37
4."वो तो है अलबेला"कुमार सानु & देवकी पंडित5:09
5."सच्ची ये कहानी है"अमित कुमार, उदित नारायण & विजयता पंडित6:30
6."क्यों न हम मिलके प्यार"अमित कुमार, उदित नारायण & विजयता पंडित4:21

नामांकन और पुरस्कार

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शाहरुख ख़ान और कुंदन शाह ने क्रमशः सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिये फिल्मफेयर में आलोचकों का पुरस्कार जीता था।

बाहरी कड़ियाँ

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