कम्पनी सचिव (Company Secretary)[1] निजी क्षेत्र की कम्पनियों तथा सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थान का एक उच्च पद है। यह प्रायः प्रबन्धक या उससे भी ऊँचा पद है। (जिसमें ceo और cfo यह दो पद आते है.) कम्पनी सचिव का दायित्व कम्पनी का दक्षतापूर्वक प्रबन्धन करना है किन्तु उसका मुख्य दायित्व यह सुनिश्चित करना है कि संस्था कम्पनी कानूनों का पालन करते हुए प्रगति करे। निदेशक मण्डल द्वारा लिए गये निर्णयों को लागू किए जाय - यह सुनिश्चित करना भी उसका दायित्व है।[2]

भारत में कम्पनी अधिनियम के तहत न्यूनतम 5 करोड़ लागत वाली कम्पनी को कम्पनी सचिव (सी एस) रखना अनिवार्य है। सी एस को किसी कम्पनी के प्रधान अफसरों में से एक माना जाता है। ट्रेनिंग के दौरान सीखे हुए क्षेत्र के अनुसार वह अपना कार्य विभिन्न क्षेत्रों में दक्षतापूर्वक करता है जैसे फाइनेंस, आकउन्टस्, लीगल एडमिनिस्ट्रेषन एवं निजी डिविजन इत्यादि। अन्य कार्य क्षेत्र में सम्मिलित है- विधि सम्बन्धी जानकारी एवं कम्पनी सम्बन्धी सभी कार्य। ‘बोर्ड ऑफ डायरेक्टर’ की मीटिंग सम्बन्धि जानकारी, मीटिंग को आयोजित करने से लेकर सारे रिकार्ड तक सारी जिम्मेदारी सी एस की होती है। कम्पनी के आवश्यकतानुसार केन्द्र / राज्य सेल्स टेक्स, एक्साइज, लेबर एवं कार्परेट सम्बन्धी सभी तथ्य सी एस की जिम्मेदारियों में शामिल हैं। संस्था निवेश, प्रोजेक्ट स्वीकृति, लाइसेन्स एवं परमिट उपलब्ध करना, एम आर टी पी (मोनोपाली एण्ड रेस्ट्रिक्टिव ट्रेड प्रेक्टिस एक्ट) और फेरा (फॉरिन एक्सचेंज रेगुलेषन एक्ट) से सम्बन्धी कार्य भी सी एस के कार्य क्षेत्र में आता है। कम्पनी के वार्षिक रिटर्न भी कम्पनी सचिव को ही भरने पड़ते हैं।

वैयक्तिक सहायक या निजी सचिव एक संगठन की रीढ़ की हड्डी होता/होती है। निजी सचिव एक कार्यपालक सहायक होता है जिसे कार्यालयी कौशलों में प्रवीणता प्राप्त होती है, उसमें बिना प्रत्यक्ष पर्यवेक्षण के उत्तरदायित्वों को वहन करने की क्षमता होती है तथा उसे सौंपे गए दायित्वों के भीतर पहल करने तथा निर्णय लेने की क्षमता होती है।

सचिव के कार्य में सृजनात्मकता की आवश्यकता होती है क्योंकि उसे अपने कार्यपालक की ओर से नियमित रुप से अनेक निर्णय लेने होते हैं।

महत्व एवं उत्तरदायित्व

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आज के युग में एक वैयक्तिक सहायक/निजी सचिव की रुपरेखा में अत्यधिक परिवर्तन आ गया है। निजी सचिव को व्यापक स्तर पर विविध प्रकार के कार्य करने होते हैं। निजी सचिव को अनेक प्रकार के कार्य करने होते हैं जैसे कार्यालयी पत्राचार, रिपोर्ट लिखना तथा जनसंपर्क अधिकारी के रुप में कार्य करना। निजी सचिव की नियुक्ति संगठन में कार्यपालकों को सहयोग देने के लिए की जाती है ताकि संगठन की कार्यप्रणाली के सफलतापूर्वक संचालन के लिए कार्यपालक बेहतर ढंग से प्रबन्धकीय कार्यों तथा अन्य पहलुओं पर ध्यान केन्द्रित कर सके। निजी सचिव अध्यक्ष, प्रबंध निदेशक, प्रमुख प्रबंधक, अनुभाग/विभाग प्रमुख आदि के लिए कार्य करता है।

निजी सचिव के कार्य तथा दायित्व संगठन की प्रकृति के अनुसार भिन्न-भिन्न होते हैं। इस क्षेत्र में पदानुक्रम इस प्रकार है - आशुलिपिक, वैयक्तिक सचिव, वरिष्ठ वैयक्तिक सचिव, तथा निजी सचिव।

इस क्षेत्र में आरंभिक स्तर या कनिष्ठ स्तर के कर्मचारियों को नेमी कार्य करने होते हैं जैसे अधिकारियों से डिक्टेशन लेना, इसे टाइप करके स्वच्छ रुप में प्रस्तुत करना, डाक की व्यवस्था करना, रिकार्ड प्रबंधन, टेलीफोन कॉलों को सुनना तथा आगंतुकों की व्यवस्था करना आदि। वरिष्ठ कार्यपालकों के साथ तैनात निजी सचिवों को वे कार्य करने होते हैं जिनमें अधिक सचिवीय कौशल की आवश्यकता होती है तथा वे संगठन की कुशल एवं प्रभावपूर्ण कार्य व्यवस्था के लिए पहल करते हैं। वरिष्ठ स्तर पर एक निजी सचिव कार्यपालक के दाहिने हाथ अर्थात महत्वपूर्ण व्यक्ति के रुप में कार्य करता है और इसके लिए उसे न केवल नेमी कार्य करने होते हैं बल्कि उसे सूचनाएं एकत्र करने, मसौदा रिपोर्ट तैयार करने, बैठकों/सम्मेलनों में शामिल होने तथा उनकी व्यवस्था करने तथा भावी संदर्भो के लिए रिकार्ड प्रक्रिया संबंधी कार्यों का करना होता है। उसमें कार्यपालक की अनुपस्थिति में महत्वपूर्ण निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए। आज के युग में एक निजी सचिव एक विशेषज्ञता प्राप्त व्यक्ति तथा कार्यालय दल का एक सुप्रशिक्षित सदस्य होता है।

सचिवों के प्रकार

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सचिव विभिन्न प्रकार के होते हैं, इनका विवरण निम्नानुसार है: वैयक्तिक सचिव या निजी सचिव इनके संबंध में आगामी पैराग्राफों में वर्णन किया गया है।

क्लब या संगठन का सचिव एक क्लब जैसे खेलकूद क्लब, नृत्य क्लब, कल्याण संगठन तथा व्यापारी संघ आदि के सचिवों की नियुक्ति या चयन क्लब या संगठन की गतिविधियों के संचालन के लिए किया जाता है। क्लब या संगठन का सचिव अवैतनिक या वैतनिक कर्मचारी हो सकता है।

स्थानीय निकाय का सचिव स्थानीय निकाय पंचायत का सचिव स्थानीय निकाय का कार्यपालक अधिकारी होता है और उसके द्वारा कार्यालय की सभी गतिविधियों का समन्वय पर्यवेक्षण किया जाता है।

मंत्रालय के सचिव एक मंत्रालय में तैनात सिवल सर्वैट विभाग के मुख्य कार्यपालक के रुप में कार्य करता है जैसे सचिव, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, सचिव, वित्त मंत्रालय। राज्य तथा केन्द्र सरकार में सचिव सरकारी विभाग के प्रभारी मंत्री के प्रमुख सलाहकार के रुप में कार्य करता है।

संसदीय सचिव संसदीय सचिव या सचिवों की नियुक्ति संसद द्वारा की जाती है। संसदीय सचिव संसदीय बैठकों के संचालन में सहयोग करते हैं। इनके कर्तव्यों का निर्धारण भी संसद द्वारा किया जाता है।

श्रमिक संघों के सचिव ट्रेड यूनियनों के सचिव ट्रेड यूनियनों की बैठकों के आयोजन, प्रक्रिया को रिकार्ड करने तथा ट्रेड यूनियनों की कुशल तथा प्रभावपूर्ण कार्यप्रणाली के लिए सभी प्रकार के पत्राचार का कार्य करते हैं। ट्रेड यूनियनों के सचिव अवैतनिक या वैतनिक कर्मचारी हो सकते हैं।

सहकारी समिति के सचिव सहकारी समितिका सचिव सहकारी समिति की गतिविधियों का प्रबंधन करता है। सहकारी समिति के सचिव की नियुक्ति रजिस्ट्रार, सहकारी समिति द्वारा जारी नियमों के अनुसार की जाती है और सहकारी समिति एक नियत अवधि के लिए कार्य करती है।

कंपनी सचिव 25 लाख रुपए से अधिक की पूंजी वाली कंपनी में कंपनी सचिव की नियुक्ति की जाती है। कंपनी सचिव के कर्तव्य तथा दायित्व कंपनी अधिनियम में निर्धारित किए जाते हैं। यद्यपि उपरिलिखित अनेक प्रकार के सचिव होते हैं, किन्तु यहां वैयक्तिक सहायक या निजी सचिव के संबंध में 'सचिव' शब्द का प्रयोग किया गया है।

सचिव का महत्व

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निजी सचिव की व्यवसाय के आयोजन में अत्यंत महत्वपूर्ण तथा अद्वितीय भूमिका होती है। सचिव कार्यपालक के सभी नेमी कार्यों को पूरा करता है और कार्यपालक को अपने काम कुशलतापूर्वक करने में सहयोग प्रदान करते हैं। निजी सचिव द्वारा डाक की व्यवस्था करना, बैंक संबंधी संव्यवहार करना, बैठकों की व्यवस्था करना, तथा चर्चाओं के लिए सार आदि तैयार करना होता है। कार्यपालक की सफलता मुख्य रुप से निजी सचिव की सक्षमता पर निर्भर करती है। एक कार्यपालक की सफलता के पीछे हमेशा एक सक्षम सचिव होता है। सचिव न केवल बताए गए कार्यों को सफलतापूर्वक पूरा करता है बल्कि सौंपे गए कार्यों को उचित रुप से पूरा करने के लिए प्रत्येक अपेक्षित कार्य करता है। सचिव का कार्य न केवल कार्यपालक के अनुदेशों को पूरा करना है बल्कि विशेष अवसरों पर अपने कार्यपालक को विशेष सलाह भी देना है। अतः सचिव कार्यपालक के कान, आंख, मस्तिष्क तथा हाथ का कार्य करता है।

सचिव की अर्हताएं (कौशल)

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आत्मविश्वास तथा कुशलता के साथ सचिवीय कर्तव्यों का निष्पादिन करने के लिए एक निजी सचिव को वांछित औपचारिक तथा अनौपचारिक अर्हताओं को प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। इन अर्हताओं का ब्यौरा निम्नानुसार है:

(क) औपचारिक अर्हताएं (Formal Qualifications) सर्वांग रुप में, सचिव को सचिवीय पद्धति में डिप्लोमा या डिग्री सहित स्तानक होना चाहिए।

(ख) अनौपचारिक अर्हताएं अच्छा सामान्य ज्ञान कुशलता तथा प्रभावपूर्ण रुप से सचिवीय कर्तव्यों को पूरा करने के लिए एक सचिव को विभिन्न क्षेत्रों का व्यापक ज्ञान होना चाहिए। सचिव को राजनैतिक, आर्थिक तथा सामाजिक क्षेत्रों में अद्यतन गतिविधियों की जानकारी होनी चाहिए और उसे समाचारपत्रों, पत्र-पत्रिकाओं, जर्नलों, मैगजीन आदि के माध्यम से तथा टीवी चैनल व इंटरनेट के माध्यम से अद्यतन राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं के प्रति जागरुक होना चाहिए।

सचिव के कौशल

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कुशल सचिव बनने के लिए मात्र ज्ञान प्राप्त होना ही पर्याप्त नहीं है। जब तक सचिव को वांछित व्यावसायिक कौशल में प्रवीणता प्राप्त नहीं होगी, वह अच्छा सचिव नहीं बन पाएगा। सचिव के लिए अपेक्षित अनिवार्य कौशलों में निम्नलिखित कौशल सम्मिलित हैं-

सचिवीय पाठ्यक्रम

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निजी सचिव के लिए सचिवीय पद्धति में पाठ्यक्रम अत्यंत उपयोगी है। उन सचिवों को उच्चतर स्तर के सचिवीय पद तथा पदोन्नति प्राप्त हो जाती हैं जिन्होंने सचिवीय पद्धति में व्यावसायिक पाठ्यक्रम के अंतर्गत सामान्य शिक्षा प्राप्त की हो। आजकल विशिष्टता प्राप्त पाठ्यक्रमों जैसे व्यावसायिक संप्रेषण, कार्यालयी प्रक्रिया, व्यावसायिक संगठन आदि विषयों वाले पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। एक सचिव के लिए कम्प्यूटर एप्लीकेशन का ज्ञान अत्यंत आवश्यक है। एक निजी सचिव को कुछ मूलभूत कौशलों में पूर्ण परिपक्वता होनी चाहिए जो उसके व्यवसाय के महत्वपूर्ण अस्त्र हैं। उसे शीघ्रता तथा सटीकता से डिक्टेशन लेने और तत्काल उसे कम्प्यूटर में टाइप करने की क्षमता होनी चाहिए। सचिव द्वारा टाइप किए गए पत्र तथा अन्य सामग्री साफसुथरे तथा सुव्यवस्थित होने चाहिए। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसे भाषा में प्रवीणता प्राप्त करनी होगी जिससे उसकी आशुलिपि कौशलों को बेहतर बनाया जा सकता है। अन्य सचिवीय कौशलों में रिकार्ड प्रबंधन, लेखन तथा संप्रेषण कौशल, जन संपर्क कौशल, कार्यालयी मशीनों तथा उपकरणों के प्रयोग का ज्ञान आदि शामिल है।

संप्रेषण कौशल

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निजी सचिव का समय पत्राचार, नोटिस, कार्यसूची, कार्यवृत्त, रिपोर्ट तैयार करने तथा लोगों के साथ सम्पर्क (संप्रेषण) करने में निकल जाता है। इसलिए वह एक अच्छे सचिव के रुप में तभी सफल हो सकता है जब उसकी भाषा पर अच्छी पकड़ हो। अंग्रेजी एक सार्वभौमिक भाषा है। आज के युग में यह भाषा विभिन्न देशों के साथ तथा देश के भीतर विभिन्न क्षेत्रों में व्यवसायों को जोड़ने में सहायक है। इसलिए एक सचिव को अंग्रेजी भाषा का अच्छा ज्ञान होना चाहिए।

एक सचिव को क्षेत्रीय भाषा का भी ज्ञान होना चाहिए और यदि संगठन विदेशियों तथा विदेशी संस्थानों के साथ भी संव्यवहार करता है तो सचिव को एक या अधिक विदेशी भाषाओं का ज्ञान, उसके कार्य में सहायक होता है।

संगठनात्मक कौशल

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सचिव को अपनी फर्म या कंपनी या किसी अन्य संस्थान जिसके लिए वह कार्य करता है, के उद्देश्यों और प्रबंधन का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए। एक व्यक्ति को अपने संगठन का जितना अधिक ज्ञान होगा वह अपना कार्य उतने ही बेहतर ढंग से कर पाएगा। सचिव को संगठन की सभी गतिविधियों, उसके पदक्रम सारणी गतिविधियों के विशिष्ट क्षेत्र में प्रमख कार्मिकों, उस कार्यपालक के कर्त्तव्य और दायित्व जिसके साथ वह कार्यरत है तथा उसकी कार्यनिष्पादन, लक्ष्य और संगठन के समग्र उद्देश्यों के बीच के संबंध का ज्ञान होना चाहिए। संगठनात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने में सचिव कार्यपालक की ओर से विभिन्न गतिविधियों के संयोजक के रुप में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। कार्यपालक के संगठनात्मक कौशल हैं नियोजन, समन्वय, कार्यान्वयन, निर्णय निर्धारण तथा विभिन्न कार्यों से संबंधित लोगों को कुछ निर्देश देना। एक सफल संचालक होने के लिए उसे सर्वप्रथम एक अच्छा नियोजक होना चाहिए और तत्पश्चात उसे व्यवस्थित रुप से कार्यान्वित करना चाहिए।

सचिव के कर्तव्य

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सचिव अनेक कार्य करता है, जिन्हें निम्नानुसार वर्गीकृत किया जा सकता है :

नेमी सरकारी कार्य

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निजी सचिव को निम्नलिखित नेमी सरकारी कार्य करने होते हैं :

1. डिक्टेशन लेना तथा उसे कम्प्यूटर पर रुपान्तरित (ट्रांसक्राइव) करना।

2. कार्यपालक के अनुदेशों पर अन्य संगठनों के साथ पत्राचार करना तथा कार्यपालक को सूचना की जानकारी उपलब्ध कराना।

3. आवक तथा जावक डाक की व्यवस्था करना।

4. रिकार्ड प्रबंधन

5. कार्यालय मशीनों का प्रचालन तथा उनका अनुरक्षण।

6. विभिन्न स्रोतों जैसे रेलवे समय-सारणी, शब्दकोश, पर्यटक गाइड, रेडी रेकनर, डायरेक्ट्री, इंटरनेट आदि से सूचना एकत्र करना।

प्रतिदिन कुछ कार्य आते हैं और उनका प्रबंधन प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है। इन कार्यों की प्राथमिकता निर्धारित करने का सर्वोत्तम माध्यम यह है कि कार्यपालक के कार्यालय में आने के पश्चात इस संबंध में कार्यपालक से चर्चा की जाए। कार्यपालक द्वारा दिए गए डिक्टेशन का रुपान्तरण (ट्रांसक्रिप्शन) उसी दिन किया जाना चाहिए क्योंकि उससे संबंधित अनुदेश उस दिन याद रहते हैं। सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि समयबद्ध कार्य, जिनके लिए पहले से समय-सीमा निर्धारित की गई हो, उन्हें समय पर पूरा किया जाना चाहिए।

आगंतुकों की व्यवस्था

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निजी सचिव को उन आगंतुकों से भी संव्यवहार करना होता है जो कार्यपालक से मिलने आते हैं। उसे मुलाकात हायरी का अनुरक्षण भी करना होता है। आजकल मेमोरी सहायकों के रुप में इस क्षेत्र में अनेक इलैक्ट्रॉनिक उपकरण उपलब्ध हैं जैसे डिजीटल डायरी, कम्प्यूटरीकृत प्लानर आदि। एक कुशल वैयक्तिक सहायक/निजी सचिव को आगंतुकों से मिलने व उनका स्वागत करने की कला आनी चाहिए। लोगों के साथ संव्यवहार का तरीका कार्यपालक तथा संगठन की छवि को दर्शाता है। संगठन में आने वाले आगंतुकों पर अच्छा प्रभाव पड़ना चाहिए जिसके लिए विनम्रता की आवश्यकता होती है। निजी सचिव को अपने व्यवहार से आगंतुक पर प्रभाव डालना चाहिए व उसे संतुष्ट करना चाहिए। निजी सचिव टेलीफोन कॉलों को प्राप्त करता है तथा उन्हें कार्यपालक तक पहुंचाता है। उसे कार्यपालक की इंगेजमेंट डायरी को व्यवस्थित करना तथा अनुरक्षित रखना होता है। निजी सचिव को पूछताछ का उत्तर देना होता है और कुशलतापूर्वक पूछताछ करने वाले को संतुष्ट करना होता है।

बैठकों का आयोजन

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आधुनिक व्यावसायिक संगठनों में बैठकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। एक निजी सचिव को बैठक से पूर्व, बैठक के दौरान तथा बैठक के पश्चात अनेक कार्य करने होते हैं, जो निम्नानुसार हैं:

1. बैठक की सूचना तथा कार्यवृत्त तैयार करके जारी करना।

2. बैठने तथा जलपान की व्यवस्था करना।

3. बैठक के लिए अपेक्षित सभी दस्तावेजों को तैयार करना।

4. बैठक में उपस्थित सदस्यों की उपस्थिति रिकार्ड रखना।

5. बैठक के कार्यवृत्त को रिकार्ड करना।

6. कार्यवृत्त को टाइप करना तथा सदस्यों को निर्णय व संकल्प संप्रेषित करना।

विविध कार्य

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उपरिलिखित कार्यों के अतिरिक्त निजी सचिव को कुछ अन्य (विविध) कार्य भी करने होते हैं जिनका ब्यौरा निम्नानुसार हैं :

(१) कार्यपालक के लिए यात्रा की व्यवस्थाएं करना। निम्नलिखित सूचनाएं निजी सचिव को हमेशा अपने पास रखनी चाहिए :

  • नवीनतम रेलवे/एयरलाइन समय सारणी
  • निकटवर्ती रेलवे स्टेशन या हवाई अड्डे पर आने वाली तथा जाने वाली महत्वपूर्ण रेलगाडियां/उड़ानों का समय।

(२) निजी सचिव को कार्यपालक से मिलने आए आगंतुक के जलपान की व्यवस्था करनी होती

उच्चस्तरीय सचिवीय कर्त्तव्य

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निजी सचिव को कुछ उच्च स्तरीय सचिवीय कर्तव्य भी करने होते हैं। ये कार्य हैं :

  • साक्षात्कार आयोजित करने के लिए एक कार्यपालक को आवश्यक सूचना उपलब्ध कराना।
  • बैठकों तथा कार्यशालाओं आदि के लिए रिपोटे तथा भाषण तैयार करना।
  • कनिष्ठ कर्मचारियों का पर्यवेक्षण करना।
  • नियोक्ता तथा कर्मचारियों के बीच संपर्क अधिकारी के रुप में कार्य करना।
  • विभिन्न स्रोतों से विभिन्न विषयों पर सूचना एकत्रित करना।
  • कार्यालय मशीनों, उपकरणों तथा स्टेशनरी आदि की खरीद से संबंधित मुद्दों को कार्यपालक को सलाह देना।

सचिव के गुण

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अनुकूलनीयता

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निजी सचिव में हर प्रकार के व्यक्तियों, परिस्थितियों तथा समस्याओं के प्रति अनुकूलता (Adaptability) होनी चाहिए। एक सचिव में विभिन्न प्रकार के सचिवों के साथ समायोजन का कौशल होना चाहिए। कार्यालय में कभी बहुत ज्यादा तो कभी बहुत कम काम होता है। यदि व्यक्ति में अनुकूलन की योग्यताएं होती हैं तो वह हर प्रकार की परिस्थितियों के साथ समायोजन कर लेता है अन्यथा उसे कठिनाई का सामना करना पड़ता है।

सहयोग भावना

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सचिव को संगठन के सभी सदस्यों उच्चतर से निम्नतर स्तर तक के साथ सहयोग भावना के साथ कार्य करना चाहिए। एक संगठन में दलभावना अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। सहयोग भावना सचिव के सम्मान में भी वृद्धि करती है। सहयोग भावना में निष्ठापूर्वक युवा कार्मिकों को सहयोग प्रदान करना, उनके प्रति सहयोग की भावना रखना अन्य सचिवों या केन्द्रीकृत सेवा विभागों जैसे टाइपिंग पूल, रिप्रोग्राफिक विभाग के साथ मतभेद न रखना और अतिरिक्त दबाव के समय शांत रहना शामिल है। काम की तात्कालिकता के कारण सचिव को कार्यालय में देर तक रुकना तथा अवकाश के दिनों में कार्य करना पड़ सकता है।

शिष्टाचार

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सचिव को शिष्टाचारपूर्ण व्यवहार करना चाहिए तथा संगठन के सभी सदस्यों तथा बाहर से आने वाले आगंतुकों को उचित महत्व देना चाहिए। उसे किसी भी व्यक्ति को प्रताड़ित नहीं करना चाहिए तथा संगठन के प्रति किसी प्रकार की अप्रिय टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए। उसे कृपया तथा धन्यवाद जैसे शब्दों का सदैव ही प्रयोग करना चाहिए। प्रत्येक आगंतुक का स्वागत करते समय शिष्टाचारपूर्ण व्यवहार करना, उन्हें बैठने के लिए सीट देना तथा उनके जाते समय उन्हें अलविदा (गुड-बाय) आदि कहना चाहिए।

सचिवीय पद धारण करने के लिए निष्ठा (Loyalty) सर्वाधिक महत्वपूर्ण गुण है। निष्ठा से तात्पर्य सदैव ही अपने संगठन तथा नियोक्ता के प्रति ईमानदार रहना है। अपने कार्यपालक तथा कंपनी या फर्म या संस्थान, जिसके लिए वह कार्य कर रहा है, के प्रति निष्ठापूर्ण रहने के लिए सचिव को अपने कार्यपालक के उद्देश्यों तथा संगठन के लक्ष्यों का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए। उसे अपने कार्य के प्रति समर्पित होना चाहिए तथा ईमानदारी व पूर्ण निष्ठा के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वाहन करना चाहिए।

यह एक साधारण किन्तु अत्यंत महत्वपूर्ण गुण है जिसका पालन एक सचिव को करना चाहिए। उसे देर से काम आरंभ करने वाला या शीघ्र कार्य रोकने वाला नहीं होना चाहिए। एक कार्यपालक के लिए सबसे परेशानी तब उत्पन्न होती है जब कार्य की तात्कालिकता के बावजूद उसका सचिव अनुपस्थित हो।

चातुर्य से तात्पर्य अपराध से बचने की कुशल कला है। यह कला सचिव को एक विशिष्ट समय या परिस्थितियों में कार्य करने की कुशलता प्रदान करती है। परिस्थितियों के अनुसार किसी कार्य के लिए हां कहना या उसे पूरा करना तथा विभिन्न परिस्थितियों में सही ढंग से कार्य करना व्यक्तिगत कौशल है। एक सचिव को अपने कर्मचारियों, सहकर्मियों तथा आगंतुकों आदि के साथ व्यवहार कुशल होना चाहिए। चातुर्य के लिए निर्णय निर्धारण और विभेदन अत्यंत आवश्यक है।

मोहक तथा मधुर वाणी

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सचिव की वाणी का स्वर हलका, सुनियंत्रित तथा मधुर होना चाहिए। एक मोहक तथा सुस्पष्ट वाणी आकर्षक होती है। एक तीव्र तथा कठोर वाणी आकर्षक नहीं होती। अत्यंत धीमी तथा थकी हुई आवाज संप्रेषण को कठिन बना देती है।

व्यक्तित्व तथा सन्तुलन

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व्यक्तित्व एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से भिन्न बनाता है। व्यक्तित्व का संबंध इस तथ्य से होता है कि व्यक्ति कौन है, वह क्या करता है और कैसे करता है। व्यक्ति का व्यक्तित्व दूसरों पर प्रभाव डालता है। यह आवश्यक नहीं है कि सचिव में क्या खूबियां है, महत्वपूर्ण यह है कि उन खूबियों की अभिव्यक्ति किस प्रकार की जाती है। सामंजस्य या संतुलन से तात्पर्य वरिष्ठता या कनिष्ठता की भावना को लाए बिना लोगों के साथ व्यवहार करना है। यह गुण व्यक्ति की क्षमताओं तथा सीमा के ज्ञान से प्राप्त होता है।

सचिव के लिए समय प्रबन्धन

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समय जीवन का एक अनिवार्य घटक है तथा कार्य के दौरान तथा बाहर समय का प्रबंधन अत्यन्त आवश्यक है। समय का प्रबंधन प्राथमिकताओं के व्यवस्थित नियोजन तथा निर्धारण से है। समय प्रबंधन से तात्पर्य इस तथ्य पर नियंत्रण रखना है कि समय को किस प्रकार व्यवस्थित किया जाए।

समय वह वस्तु है जिसे भंडारित नहीं किया जा सकता है और यह प्रत्येक व्यक्ति के लिए सीमित है। इसलिए, समय के बेहतर प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए समय का उचित प्रबंधन अनिवार्य है। समय बचाने व समय बर्बाद करने वाले महत्वपूर्ण कारकों को नीचे दर्शाया गया है-

समय बर्बाद करने वाले कारक

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  • कार्य की समय-सीमा निर्धारित न करना
  • धीमी गति से पढ़ना
  • अव्यवस्थित डैस्क
  • निर्णय लेने में अक्षम
  • समय पर योजना तथा बजट बनाने में असफलता
  • कार्य का अनुचित वितरण
  • नेमी कार्यों जैसे फाइलिंग, मेलिंग आदि को संचित करना।

बेहतर समय प्रबंधन (समय बचाने वाले कारक)

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  • अपने लक्ष्य तथा समय सीमा निर्धारित करें;
  • कार्य की योजना बनाएं;
  • महत्वपूर्ण कार्यों की सूची बनाएं और उन्हें प्राथमिकता दें;
  • बार-बार प्रयोग होने वाली सूचना व जानकारी को अपने पास उपलब्ध रखें जैसे टेलीफोन नंबर आदि;
  • फाइलिंग का काम रोजाना पूरा किया जाना चाहिए;
  • कार्य संबंधी नियम विकसित कर लें;
  • स्वयं को सुव्यवस्थित तथा साफ-सुथरा रखें;
  • पहले सोचें तब कार्य करें।

इन्हें भी देखें

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  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 7 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 जून 2020.
  2. "What is a Company Secretary?" (PDF). मूल (PDF) से 25 जनवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 अप्रैल 2014.

बाहरी कड़ियाँ

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