कलिखो पुल (20 जुलाई 1969 – 9 अगस्त 2016) (अंग्रेजी: Kalikho Pul), एक भारतीय राजनेता व पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश के 8वें मुख्यमंत्री थे।[2] ये साढ़े चार महीने तक अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। इन्होंने फरवरी 2016 से जुलाई 2016 तक मुख्यमंत्री का पदभार संभाला। 13 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पुल को राज्य के मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा था। 9 अगस्त 2016 को कथित तौर पर ईटानगर स्थित अपने सरकारी आवास में आत्महत्या करने के कारण इनकी मृत्यु हो गयी।[1][3][4]

कलिखो पुल

पद बहाल
19 फरवरी 2016 – 13 जुलाई 2016
पूर्वा धिकारी नबाम टुकी
उत्तरा धिकारी पेमा खांडू
चुनाव-क्षेत्र हयूलियांग

जन्म 20 जुलाई 1969
मृत्यु 9 अगस्त 2016(2016-08-09) (उम्र 47)[1]
ईटानगर, अरुणाचल प्रदेश, भारत
राष्ट्रीयता भारत
राजनीतिक दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
निवास ईटानगर
पेशा राजनेता
धर्म एनिमिज़्म

प्रारंभिक जीवन संपादित करें

कलिखो पुल अरुणाचल के कमान मिशमी जातीय समूह से थे। यह समूह भारत-चीन सीमा के दोनों तरफ पाया जाता है। कलिखो जब सिर्फ ढाई साल के थे, तभी इनकी मां चल बसीं। 5 साल की उम्र में इन्होंने अपने पिता को भी खो दिया। इनका बचपन बेहद गरीबी और अभाव में गुजरा। कलिखो ने बताया कि ये आंटी के घर में पले-बढ़े। जंगल से लकड़ी लेकर आते थे, तो एक वक्त का खाना मिलता था। कलिखो ने बढ़ई का भी काम किया। इनका शुरुआती वेतन रोजाना डेढ़ रुपये था। इन्होंने रात में चौकीदार का भी काम किया जिसमें इन्हें 212 रुपये महीने का मेहनताना मिलता था। इन्हें स्कूल की पढ़ाई के दौरान ही ठेके पर छोटे-मोटे काम करने लगे थे। 9वीं क्लास में आते-आते यह 4 पुराने (सेकंड हैंड) ट्रक खरीदने में कामयाब रहे। पुल ने बाद में पढ़ाई पूरी की। इंदिरा गांधी गवर्नमेंट कॉलेज से बीए किया। स्नातक के तीसरे साल तक कलिखो ने 2.73 लाख रुपये में अपना एक घर बनाया। कॉलेज के दिनों में ये छात्र राजनीति में आए, जहाँ कांग्रेस ने इन्हें विधानसभा का टिकट दिया।[2]

राजनीतिक जीवन संपादित करें

कलिखो वर्ष 2003 से लेकर 2007 तक मुख्यमंत्री गेगांग अपांग के मंत्रालय में राज्य वित्त मंत्री रहे थे। उल्लेखनीय है कि राज्य में राजनीतिक संकट की शुरूवात दिसंबर, 2015 में तब हुई जब कांग्रेस के 47 विधायकों में से 21 ने बगावत कर दी और नबाम टुकी की अगुवाई वाली कांग्रेस की सरकार अल्पमत में आ गई। 26 जनवरी, 2016 को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। 16 फरवरी, 2016 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश के बाद राज्यपाल जे.पी. राजखोवा ने ईटानगर में राजभवन में आयोजित समारोह में उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। मुख्यमंत्री कलिखो पुल के साथ कांग्रेस के 19 बागी, बीजेपी के 11 और दो निर्दलीय विधायक थे।[5][6] कलिखो के नेतृत्व में गठित सरकार को कांग्रेस ने अवैध ठहराया था। इसके खिलाफ कांग्रेस उच्चतम न्यायालय पहुंची थी। कांग्रेस को हालांकि उच्चतम न्यायालय से उस समय कोई राहत नहीं मिली थी। इसके बाद जुलाई में अदालत की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद नबाम तुकी को दोबारा मुख्यमंत्री पद मिल गया। उच्चतम न्यायालय ने प्रदेश में लगाए गए राष्ट्रपति शासन को अवैध करार दिया था। राज्य विधानसभा में कांग्रेस को अपना विश्वास मत हासिल करना था। भाजपा को एक ओर जहां कलिखो पुल और बागी विधायकों पर पूरा भरोसा था, वहीं आखिरी समय में कांग्रेस ने राजनैतिक दांव खेलते हुए नबाम तुकी को हटाकर पेमा खांडू को मुख्यमंत्री बना दिया। अधिकतर बागी विधायक चूंकि तुकी से असंतुष्ट थे, ऐसे में उन्हें हटाए जाने का फैसला कांग्रेस के पक्ष में गया और उसने सदन में बहुमत साबित कर दिया। इससे ना केवल भाजपा को, बल्कि कलिखो पुल को भी काफी बड़ा धक्का पहुंचा था।[7]

मृत्यु संपादित करें

इन्होंने कथित तौर पर घर पर पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली। वह सीएम आवास में ही रह रहे थे और यहीं उन्होंने फांसी लगाकर ख़ुदकुशी कर ली। [3] कालिखो पुल कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में शामिल हुए थे और मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। बताया जाता है कि सत्ता जाने के बाद वह मानसिक यंत्रणा के दौर से गुजर रहे थे।[1] फ़रवरी २०१७ में उनकी पत्नी ने उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर पुल के द्वारा लिखे गए सुसाइड नोट को प्रमाण मानते हुए उनकी मौत की सी.बी.आई जांच कराने की मांग की। ऐसा माना जाता है कि सुसाइड नोट में पुल ने कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और उच्चतम न्यायलय के न्यायधीशों के ऊपर उन्हें परेशान करने का आरोप लगाया है | [8]

प्रतिक्रिया संपादित करें

अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नबाम तुकी ने कलिखो की मौत की खबर पर अफसोस जताते हुए कहा, 'यह बेहद दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है कि कलिखो पुल जैसे युवा नेता अब हमारे साथ नहीं हैं।'[7] अरुणाचल प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष तापर गोअव ने कहा कि हमें दुख है, हमें खेद है। वह एक अच्छे नेता थे। आज के अरुणाचल के नेताओं की स्थिति के लिए दिल्ली के कांग्रेस नेता जिम्मेदार हैं। मैं कांग्रेस को आरोपित करता हूं। कैसे हुआ, क्यूं हुआ ऐसा, ये तो धीरे धीरे पता चलेगा।[1]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. अरुणाचल के पूर्व सीएम कालिखो पुल ने फांसी लगाकर आत्महत्या की Archived 2016-08-14 at the वेबैक मशीन - आईबीएन 7 - 9 अगस्त 2016
  2. कलिखो पुल: 10 ऐसी बातें, जो शायद आप नहीं जानते Archived 2016-08-26 at the वेबैक मशीन - नवभारत टाइम्स - 9 अगस्त 2016
  3. अरुणाचल प्रदेश के पूर्व सीएम कलिखो पुल ने की खुदकुशी, घर में मिला शव Archived 2016-08-10 at the वेबैक मशीन - एनडीटीवी - 9 अगस्त 2016
  4. 28 दिन पहले तक अरुणाचल के CM रहे कलिखो पुल ने किया सुसाइड, घर में लटकी मिली बॉडी[मृत कड़ियाँ] - दैनिक भास्कर - 9 अगस्त 2016
  5. "Arunachal will see repeat of Kargil, warns minister" [मंत्री ने अरुणाचल में कारगिल दोहराने की चेतावनी दी]. टाइम्स ऑफ इंडिया. नयी दिल्ली. 29 अक्तूबर, 2014. मूल से 31 अक्तूबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 फ़रवरी 2016. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  6. "Congress rebel Kalikho Pul sworn in as Arunachal CM" [कांग्रेस के बागी कलिखो पुल ने अरुणाचल के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली]. दि हिन्दू. ईटा नगर. 20 फरवरी, 2016. मूल से 22 फ़रवरी 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 फ़रवरी 2016. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  7. अरुणाचल के पूर्व CM कलिखो पुल घर में मरे पाए गए Archived 2016-08-15 at the वेबैक मशीन - नवभारत टाइम्स - 9 अगस्त 2016
  8. http://www.thehindu.com/news/national/wife-of-former-arunachal-pradesh-cm-pul-demands-cbi-probe-into-his-death/article17321341.ece
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