कानन-कुसुम (कविता-संग्रह)

जयशंकर प्रसाद का कविता-संग्रह (1913)
(कानन कुसुम (काव्य) से अनुप्रेषित)

कानन कुसुम हिन्दी भाषा के कवि, लेखक और उपन्यासकार जयशंकर प्रसाद की एक काव्य कृति है। इसका प्रथम संस्करण १९१३ ई॰ में प्रकाशित हुआ था जिसमें ब्रजभाषा की कविताएँ भी मिश्रित थीं। सन् १९१८ ई॰ में इसका दूसरा परिवर्धित संस्करण प्रकाशित हुआ। इसका संशोधित-परिमार्जित तीसरा संस्करण १९२९ ई॰ में प्रकाशित हुआ, जिसमें खड़ीबोली की कविताएँ ही रखी गयीं।[1]

कानन कुसुम
लेखकजयशंकर प्रसाद
मूल शीर्षककानन कुसुम
भाषाहिन्दी (खड़ीबोली)
शृंखलासाहित्य सुमनमाला सीरीज
शैलीकविता
प्रकाशकपुस्तक भंडार, लहेरियासराय (तृतीय संस्करण)
प्रकाशन तिथि१९१३ ई॰, १९१८ ई॰, १९२९ ई॰
प्रकाशन स्थानभारत
मीडिया प्रकारमुद्रित
इससे पहलेप्रेम-पथिक 
इसके बादचित्राधार 

प्रथम संस्करण

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'कानन कुसुम' का प्रथम संस्करण 'साहित्य सुमनमाला सीरीज' के अन्तर्गत प्रकाशित हुआ था। इसके प्रथम संस्करण में प्रकाशन वर्ष का उल्लेख नहीं किया गया था। इसके तृतीय संस्करण में तीनों संस्करणों के प्रकाशन वर्ष का उल्लेख है, जिसके अनुसार इसका प्रथम संस्करण सन् १९१२ में प्रकाशित हुआ था; परन्तु इसके प्रथम संस्करण में तृतीय आवरण पृष्ठ पर अप्रैल १९१३ का उल्लेख है, जिससे यह सिद्ध होता है कि 'कानन कुसुम' का प्रथम संस्करण १९१२ में नहीं बल्कि सन् १९१३ में अप्रैल के बाद किसी महीने में प्रकाशित हुआ था।[2]

कानन कुसुम के प्रथम संस्करण की पृष्ठ संख्या ६६ थीं। इसमें ४० कविताएँ स्वतंत्र रूप से संकलित थीं तथा 'पराग' शीर्षक के अंतर्गत २० कविताएँ संकलित थीं।[2]

द्वितीय संस्करण

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'कानन कुसुम' का द्वितीय संस्करण सन् १९१८ ई॰ में प्रकाशित हुआ, लेकिन यह संस्करण स्वतंत्र रूप से प्रकाशित नहीं होकर 'चित्राधार' के प्रथम संस्करण में सम्मिलित था। अर्थात् इस बार 'कानन कुसुम' स्वतंत्र पुस्तक के रूप में नहीं बल्कि 'चित्राधार' पुस्तक के एक अन्तर्वती खण्ड के रूप में प्रकाशित हुई थी। इस संस्करण अर्थात् 'चित्राधार' के खण्ड रूप में 'कानन कुसुम' के अंतर्गत इसके प्रथम संस्करण को ज्यों का त्यों रखते हुए उसके बाद उसी क्रम में बाद में लिखी गयी स्फुट कविताएँ संकलित कर दी गयी थीं।[3] इस संस्करण में शामिल इन नवीन कविताओं की संख्या २२ थीं तथा इसके बाद मकरंद बिंदु के अंतर्गत २८ छोटी-छोटी कविताएँ भी संकलित थीं।

आख्यानक कविताएँ

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'कानून कुसम' के द्वितीय संस्करण में जो नवीन कविताएँ जोड़ी गयीं, उनमें कुछ महत्त्वपूर्ण आख्यानक कविताएँ भी थीं। 'सत्यव्रत' (तृतीय संस्करण में संशोधित रूप में शीर्षक 'चित्रकूट'), 'भरत', 'शिल्प सौंदर्य', कुरुक्षेत्र, 'वीर बालक' और 'श्रीकृष्ण जयन्ती' ऐसी ही आख्यानक कविताएँ हैं। इन कविताओं के सन्दर्भ में डॉ॰ सत्यप्रकाश मिश्र ने लिखा है :

"इन आख्यानों का प्रयोग प्रसाद ने अपने समय के महत्त्वपूर्ण सामाजिक-सांस्कृतिक प्रश्नों के स्वानुभूत उत्तरों के लिए किया है। हर प्रकार की पराधीनता से मुक्त कैसे हो, इस प्रकार का प्रश्न सर्वप्रमुख है।"[4]

तृतीय संस्करण

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सन् १९२९ में 'कानन कुसुम' का तृतीय संस्करण पुस्तक भंडार, लहेरियासराय से प्रकाशित हुआ। इस संस्करण की पृष्ठ संख्या ९४ थी। इस संस्करण में ब्रजभाषा की कविताएँ छोड़ दी गयी थीं और खड़ीबोली की कविताएँ ही रखी गयी थीं। ब्रजभाषा वाली अधिकांश कविताएँ इससे एक वर्ष पूर्व प्रकाशित 'चित्राधार' के द्वितीय संस्करण में रख ली गयी थीं। इसकी खड़ीबोली की भी कुछ कविताएँ 'झरना' के द्वितीय संस्करण (१९२७ ई॰) में संकलित कर ली गयी थीं।[5] खड़ीबोली की शेष कविताएँ 'कानन कुसुम' के तृतीय संस्करण के रूप में प्रकाशित हुईं। अब तक प्रसाद जी का रुझान खड़ीबोली में ही काव्य-लेखन की ओर सुदृढ़ हो चुका था और इसलिए इसके द्वितीय संस्करण में जो कहीं-कहीं खड़ी बोली कविताओं के बीच में भी ब्रजभाषा का प्रयोग था उसे (ब्रजभाषा वाले अंश को) तृतीय संस्करण में निकाल दिया गया था।[6] कुछ कविताएँ खड़ीबोली की होने पर भी छोड़ दी गयीं, जो किसी अन्य संग्रह में भी शामिल नहीं हुईं। ऐसी ही एक कविता थी 'भूल' जो कि ग़ज़ल की शैली में लिखी गयी थी।[7]

तृतीय संस्करण में द्वितीय संस्करण की कुछ कविताओं में परिवर्तन भी किया गया था। उदाहरण के लिए 'सत्यव्रत' शीर्षक कविता के बाद वाले अंश को इस संस्करण में छोड़ दिया गया और कविता का शीर्षक 'चित्रकूट' कर दिया गया।[8] ग़ज़ल शैली में लिखी गयी पूर्वोक्त 'भूल' शीर्षक कविता तथा 'सत्यव्रत' का छोड़ा गया यह अंश अब 'जयशंकर प्रसाद ग्रन्थावली' (सं॰ ओमप्रकाश सिंह) के द्वितीय खण्ड में प्रसाद जी की अन्य असंकलित कविताओं के साथ प्रकाशित हो गया है।[9]

इन्हें भी देखें

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  1. हिन्दी साहित्य कोश, भाग-२ सं॰ डॉ॰ धीरेन्द्र वर्मा एवं अन्य, ज्ञानमंडल लिमिटेड, वाराणसी, पुनर्मुद्रित संस्करण-२०११, पृष्ठ-२०९.
  2. प्रसाद की रचनाओं में संस्करणगत परिवर्तनों का अध्ययन (शोध प्रबंध), प्रस्तुतकर्ता- अनुप कुमार, हिन्दी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद, सन् १९७८ ई॰ पृष्ठ-४९.
  3. प्रसाद की रचनाओं में संस्करणगत परिवर्तनों का अध्ययन (शोध प्रबंध), प्रस्तुतकर्ता- अनुप कुमार, हिन्दी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद, सन् १९७८ ई॰ पृष्ठ-४९-५०.
  4. प्रसाद का सम्पूर्ण काव्य, संपादन एवं भूमिका- डॉ॰ सत्यप्रकाश मिश्र, लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद, तृतीय संस्करण-२००८, पृष्ठ-२६.
  5. प्रसाद की रचनाओं में संस्करणगत परिवर्तनों का अध्ययन (शोध प्रबंध), प्रस्तुतकर्ता- अनुप कुमार, हिन्दी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद, सन् १९७८ ई॰ पृष्ठ-५०.
  6. प्रसाद की रचनाओं में संस्करणगत परिवर्तनों का अध्ययन, पूर्ववत् , पृष्ठ-५८.
  7. प्रसाद की रचनाओं में संस्करणगत परिवर्तनों का अध्ययन, पूर्ववत् , पृष्ठ-५४-५५.
  8. प्रसाद की रचनाओं में संस्करणगत परिवर्तनों का अध्ययन, पूर्ववत् , पृष्ठ-५६.
  9. जयशंकर प्रसाद ग्रन्थावली, भाग-२, संपादक- ओमप्रकाश सिंह, प्रकाशन संस्थान, नयी दिल्ली, प्रथम संस्करण-२०१४, पृष्ठ-३२७-३२९ एवं ३३१.

बाहरी कड़ियाँ

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