काबुल का पतन - 2021

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल को तालिबान द्वारा कब्जा
(काबुल का पतन (2021) से अनुप्रेषित)

काबुल का पतन 2021 अफगानिस्तान की राजधानी काबुल को 15 अगस्त 2021 को एक इस्लामी कट्टरपंथी संगठन तालिबान द्वारा कब्जा कर लिया गया था। यह अफगान सरकार के खिलाफ 2021 में शुरू होने वाली एक सैन्य युद्ध की समाप्ति थी। राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश से भागने के बाद कब्जा हो गया। अफगानिस्तान की अधिकांश प्रांतीय राजधानियां अमेरिकी सेना की वापसी के बीच में एक के बाद एक तालिबान द्वारा कब्जा कर लिया गया। जिसके साथ तालिबान लड़ाकों ने राष्ट्रीय राजधानी काबुल और राष्ट्रपति भवन पर भी कब्जा कर लिया गया था।[1]

काबुल का पतन
अफगानिस्तान में युद्ध का भाग

तालिबान उग्रवादियों और नागरिकों के सामने काबुल अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र
तिथि 15 अगस्त 2021
स्थान काबुल, अफगानिस्तान
Status तालिबान की जीत
योद्धा
*तालिबान गैर-सैन्य समर्थन अफ़ग़ानिस्तान
सेनानायक
हिबतुल्लाह अखुंदज़ादा
अब्दुल गनी बरादर
सुहैल शाहीन
 अफ़ग़ानिस्तान अशरफ गनी
 संयुक्त राज्य जो बाइडन
 संयुक्त राज्य मार्क मिले (सेना नायक)
 यूनाइटेड किंगडम बोरिस जॉनसन
 यूनाइटेड किंगडम निक कार्टर (सेना नायक)

तालिबान के लड़ाकों ने 1 मई 2021 को अफगानिस्तान से अधिकांश अमेरिकी सैनिकों की वापसी के साथ-साथ व्यापक आक्रमण शुरू किया। देश भर में अपनी तीव्र हार के बाद, अफ़ग़ान राष्ट्रीय सेना ने बिना लड़े आत्मसमर्पण कर दिया था, और अगस्त के मध्य तक केवल दो इकाइयाँ चालू रहीं: 201 वीं कोर और 111 वीं डिवीजन, दोनों काबुल में स्थित थीं। तालिबान बलों द्वारा मिहतरलम, शरणा, गरदेज़, असदाबाद, और अन्य शहरों के साथ-साथ पूर्व के जिलों पर कब्जा करने के बाद राजधानी शहर को ही घेर लिया गया था। जिसके बाद तालिबानियों ने काबुल प्रवेश कर हबाई अड्डे के अलावा पूरी राजधानी काबुल पर नियंत्रण कर लिया जिसके साथ काबुल और अमरीकी समर्थित या कठपुतली अफगान सरकार का पतन हो गया था.[2].[3]

जीत के योद्धा

संपादित करें
 
काबुल में गश्त करते तालिबान लड़ाके, 17 अगस्त 2021

संयुक्त राज्य अमेरिका के अनुरोध पर तीन साल से भी कम समय पहले पाकिस्तान की जेल से रिहा हुआ तालिबान नेता अब्दुल गनी बरादर अफगानिस्तान में 20 साल से चल रहे युद्ध के निर्विवाद विजेता के रूप में उभर कर सामने आया है, जबकि हैबतुल्लाह अखुंदजादा तालिबान आन्दोलन के समग्र नेता हैं, बरादर इसका राजनीतिक प्रमुख और इसका सबसे बड़ा सार्वजनिक चेहरा है। 1968 में अफ़ग़ानिस्तान के उरुजगान प्रांत में जन्मे अब्दुल गनी बरादर ने 1980 के दशक में सोवियत संघ के खिलाफ अफगान मुजाहिदीन में लड़ाई लड़ी। 1992 में रूसियों को बाहर निकालने के बाद और देश में प्रतिद्वंद्वी गुटों के युद्ध के बीच बरादर ने अपने पूर्व कमांडर और बहनोई, मोहम्मद उमर के साथ कंधार में एक मदरसा स्थापित किया। दोनों ने मिलकर तालिबान की स्थापना की, जो देश के धार्मिक शुद्धिकरण और एक अमीरात के निर्माण के लिए समर्पित युवा इस्लामी विद्वानों के नेतृत्व में एक आंदोलन था।[4][5] हैबतुल्लाह अखुंदजादा कंधार के एक कट्टर धार्मिक नेता हैं, जो 1980 के दशक में, अफगानिस्तान में सोवियत सैन्य अभियान के खिलाफ इस्लामी अभियान चलाया था। अखुंदज़ादा तालिबान के सर्वोच्च नेता के तौर पर विख्यात है, जो राजनीतिक, धार्मिक और सैन्य मामलों पर अंतिम अधिकार रखता है। अखुंदज़ादा को इस्लामिक कानून का विद्वान माना जाता है। वर्ष 2016 में अमेरिका ने एक ड्रोन हमले में तालिबान के प्रमुख अख्तर मंसूर को मार गिराया था। इसके बाद अखुंदज़ादा को मंसूर का उत्तराधिकारी बनाने का ऐलान किया गया। आजकल तालिबान संगठन का तीसरा प्रमुख चेहरा है सुहैल शाहीन, जो तालिबानी संगठन के प्रवक्ता हैं।[6] इसके अलावा सिराजुद्दीन हक्कानी और मुल्ला याकबू तालिबान संगठन के प्रमुख चेहरा हैं।

इन्हें भी देखें

संपादित करें
  1. Missy Ryan; Karen DeYoung (13 April 2021). "Biden will withdraw all U.S. forces from Afghanistan by Sept. 11, 2021". The Washington Post (English में). मूल से 16 August 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 August 2021.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  2. "Taliban expected to reach Afghan capital Kabul 'in seven days', ITV News learns". ITV News. 13 August 2021. मूल से 14 August 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 August 2021.
  3. "Afghan forces surrender Bagram air base to Taliban". The Economic Times. मूल से 15 August 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 August 2021.
  4. वापसी: अफगानिस्तान लौटा मुल्ला अब्दुल गनी बरादर, तालिबान के नेताओं से चर्चा के लिए गया था दोहा
  5. मुल्ला बरादर से हिब्तुल्लाह तक, ये 4 चेहरे संभालते हैं तालिबान का सामरिक-राजनीतिक नेतृत्व
  6. हमसे खतरा नहीं'; तालिबान ने अफगान में भारत के काम को सराहा, कहा- मगर सेना आई तो...