कारइक्काल अम्मई
कारइक्काल अम्मई तमिल सन्त लेखिका थीं।
कारइक्काल चोल तमिलनादड्ड के समुद्रि व्यापारिक शहर हे।धानथनथनार नामक सोदागर को जन्म हुआ था।बचपन से अम्माई बगवान की कठिन भक्त थी।कारइक्काल अम्माई ने बचपन मे शिवलिंग रेत के साथ बनाया।अम्माई ने पाँच पत्र मंत्र नमसिवाय बोले और भाग लिया शिव भक्तों कि जरुरतों के लिए।उसे बहुत ही कम उम्र में शिव परवाह एक माँ की तरह श्रद्धालुओं।अम्मई नागपटन कि एक धनि व्यापारी के बेटे के सत शादि हुआ था।शिव भक्तों जो उस्के घर का दोरा किया आराम से तंग आ चुके थे। एक दिन अम्मई के पति परमानथान दो आम उसके लिये लखा जाना करने केलिए कहा था।एक भुखा शिव भक्त उस दिन अम्मई के पास आया।और खाना का लंच तयार नही था।अम्मई ने दहि चावल और एक आम भी दिया।जब उनके पथि आये समय वो आम पुछा और वो परेशान लग गया।वो बापस कमरे मे अया और दो आम देखा।तब वो आश्चर्य होगया और भगवान शिव को प्रशंसा कीया।उन्की पति भगवान शिव कि बक्त नही था।और उनोने पेहेले विशवास नहीं किया हे कि ये आम भगवान से अये थे।और पति ने फिर भी आम पुछ्ने केलिये कहा।और फिर भी वो पुछा और फिर भी भगवान ने आम दिया।एस समय अम्मई की पति को विस्वास होगया।और वो भी भगवान शिव की कठिन भक्त बन गया। अम्मई मउंट कौलाश की यात्रा की ,और उल्टा उस्के सिर पर नीछे चढाई।वहान देवि पार्वती शिव की पत्नी अम्मैयर के बारे मेइन पूछा।
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संपादित करें- करैकल् - ६३ नायनमार
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