कारखाना पद्धति या फैक्टरी पद्धति ( factory system) विनिर्माण की वह विधि है जो मशीनों के उपयोग एवं श्रम विभाजन पर आधारित है। चूंकि कारखाना के भवन के निर्माण एवं मशीनों की खरीद के लिए बहुत अधिक पूँजी लगती है, इसलिए अधिक धनी लोग ही कारखाना बैठा पाते थे। ये लोग कार्य करने के लिए लोगों को वेतन/मजदूरी पर रखते थे। मशीनों के उपयोग तथा श्रम के विभाजन के कारण काम करने वालों के लिए बहुत कुशल होने की आवश्यकता नहीं होती। इसके अलावा प्रति कार्यकर्ता कुल उत्पादन भी बढ़ जाता है।

स्लोवाकिया का एक कारखाना जो आजकल माचिस बनाने का कारखाना है। यह कारखाना मूलतः १९१५ में 'विटेनबर्ग ऐण्ड सन्स' नामक व्यापारिक फर्म के लिए बना था।

कारखाना प्रणाली सबसे पहले औद्योगिक क्रांति के समय (१८वीं शताब्दी के अन्तिम चरण में) ब्रिटेन में आयी और बाद में सारे संसार में फैली। कारखाना प्रणाली ने उस समय प्रचलित पारम्परिक घरेलू उत्पादन पद्धति (putting-out system (Domestic System)) का स्थान ले लिया। कारखाना पद्धति की मुख्य विशेषता मशीनों का उपयोग है। शुरू में ये मशीनें जलशक्ति से चलतीं थीं या भाप की शक्ति से। बाद में विद्युत से चलने वाली मशीनों का विकास हुआ। कारखाना प्रणाली की अन्य विशेषताएँ ये हैं- बड़े पैमाने का उत्पादन, कारखानों का एक ही क्षेत्र में आसपास स्थित होना, अवयवों (parts) का मानकीकरण, जिससे एक ही अवयव सभी कारखानों में लगाए जा सकते थे।

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