काराकोरम
काराकोरम एक विशाल पर्वत शृंखला है जिसका विस्तार पाकिस्तान, भारत और चीन के क्रमश: गिलगित-बल्तिस्तान, लद्दाख़ और शिन्जियांग क्षेत्रों तक है। यह एशिया की विशाल पर्वतमालाओं में से एक है और हिमालय पर्वतमाला का एक हिस्सा है। काराकोरम किर्गिज़ भाषा का शब्द है जिस का मतलब है 'काली भुरभुरी मिट्टी'। पुराणों में इस पर्वतमाला का संस्कृत नाम कृष्णगिरि (काला पहाड़) दिया गया है।[1][2]
काराकोरम | |
पर्वतमाला | |
मध्य काराकोरम में बाल्तोरो हिमनद
| |
देश | Pakistan, भारत, चीन |
---|---|
क्षेत्र | गिलगित-बाल्तिस्तान, लद्दाख, झिंजियांग |
सीमायें | लद्दाख श्रेणी, पामीर, हिन्दु कुश |
उच्चतम बिंदु | के2 |
- ऊँचाई | 8,611 मी. (28,251 फीट) |
- निर्देशांक | 35°52′57″N 76°30′48″E / 35.88250°N 76.51333°E |
![]() अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केन्द्र से देखने पर काराकोरम के सर्वोच्च शिखर
|
विश्व के किसी भी स्थान की अपेक्षा, काराकोरम पर्वतमाला में पाँच मील से भी ऊँची सबसे अधिक चोटियाँ स्थित हैं (60 से ज़्यादा), जिनमें दुनिया की दूसरी सबसे ऊँची चोटी के2, (8611 मी / 28251 फुट) भी शामिल है। के2 की ऊँचाई विश्व के सर्वोच्च शिखर एवरेस्ट पर्वत (8848 मी / 29029 फुट) से सिर्फ 237 मीटर (778 फीट) कम है।
काराकोरम शृंखला का विस्तार 500 किमी (311 मील) तक है और ध्रुवीय क्षेत्रों को छोड़कर दुनिया के सबसे अधिक हिमनद इसी इलाके में हैं। ध्रुवीय क्षेत्रों से बाहर सियाचिन ग्लेशियर 70 कि॰मी॰ और बिआफो ग्लेशियर 63 कि॰मी॰ की लंबाई के साथ दुनिया के दूसरे और तीसरे सबसे लंबे हिमनद हैं।
काराकोरम, पूर्वोत्तर में तिब्बती पठार के किनारे और उत्तर में पामीर पर्वतों से घिरा है। काराकोरम की दक्षिणी सीमा, पश्चिम से पूर्व, गिलगित, सिंधु और श्योक नदियों से बनती है, जो इसे पश्चिमोत्तर हिमालय शृंखला के अंतिम किनारे से अलग कर दक्षिणपश्चिम दिशा में पाकिस्तान के मैदानी इलाकों की ओर बहती हैं।

सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Raza, Moonis; Ahmad, Aijazuddin; Mohammad, Ali (1978), The Valley of Kashmir: The land, Vikas Pub. House, p. 2, ISBN 978-0-7069-0525-0, 15 जुलाई 2019 को मूल से पुरालेखित, अभिगमन तिथि: 9 दिसंबर 2019
{{citation}}
: Check date values in:|access-date=
(help) - ↑ Chatterjee, Shiba Prasad (2004), Selected Works of Professor S.P. Chatterjee, Volume 1, National Atlas and Thematic Mapping Organisation, Department of Science and Technology, Government of India, p. 139, 12 जुलाई 2019 को मूल से पुरालेखित, अभिगमन तिथि: 9 दिसंबर 2019
{{citation}}
: Check date values in:|access-date=
(help)