के२
के२ (K2, के-टू) विश्व का दूसरा सबसे ऊँचा पर्वत है। यह पाकिस्तान अधिकृत गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिनजिआंग प्रदेश की सीमा पर काराकोरम पर्वतमाला की बाल्तोरो मुज़ताग़ उपशृंखला में स्थित है। 8,611 मीटर (28,251 फ़ुट) की ऊँचाई वाली यह चोटी माउंट एवरेस्ट के बाद पृथ्वी की दूसरी उच्चतम पर्वत चोटी है।[2]
के२ / K2 | |
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![]() २००६ की गर्मियों में के-टू | |
उच्चतम बिंदु | |
ऊँचाई | 8,611 मी॰ (28,251 फीट) विश्व में २ (पाकिस्तान में प्रथम) |
उदग्रता | 4,017 मी॰ (13,179 फीट) |
एकाकी अवस्थिति | 1,316 कि॰मी॰ (4,318,000 फीट) ![]() |
सूचीयन | विश्व का द्वितीय सर्वोच्च पर्वत पाकिस्तान-नियंत्रित क्षेत्रों का सर्वोच्च शिखर एशिया का द्वितीय सर्वोच्च पर्वत |
निर्देशांक | 35°52′57″N 76°30′48″E / 35.88250°N 76.51333°Eनिर्देशांक: 35°52′57″N 76°30′48″E / 35.88250°N 76.51333°E [1] |
भूगोल | |
मातृ श्रेणी | काराकोरम |
आरोहण | |
प्रथम आरोहण | 31 जुलाई, 1954![]() ![]() |
सरलतम मार्ग | Abruzzi Spur |
इतिहाससंपादित करें
1856 में पहाड़ का पहली बार लडोन धवटिं ने सर्वेक्षण किया। थॉमस माउंट लमरी भी उसके साथ था उसने उसका नाम "टू" (अंग्रेज़ी में "दो" की संख्या) रखा क्योंकि काराकोरम पर्वतमाला में शीर्ष दूसरे नंबर पर थी।
के टू पर चढ़ने की पहली अभियान 1902 में हुआ जो विफल रहा। फिर 1909, 1934, 1938, 1939 और 1953 के प्रयास भी विफल रहे। 31 जुलाई 1954 के इतालवी अभियान अंततः सफल हुआ, जिसमें लाचेदेल्ली और कोम्पान्योनी नामक पर्वतारोही इसपर चढ़ने में सफल रहे। 23 साल बाद अगस्त 1977 में एक जापानी पर्वतारोही, इचिरो योशिज़ावा के-टू पर चढ़ने में सफल हुआ। उसके साथ अशरफ अमन पहला पाकिस्तानी था जो इस पर चढ़ा। 1978 में एक अमेरिकी दस्ता के-टू पर चढ़ने में सफल हुई।
के टू को माउंट एवरेस्ट की तुलना में अधिक कठिन और खतरनाक माना जाता है। के टू पर केवल 246 लोगों चढ़ चुके हैं जबकि माउंट एवरेस्ट पर 2238। के-टू पर आज तक (सन् २०१६ में सही तथ्य) कोई भी सर्दियों के मौसम में नहीं चढ़ पाया है।[3]
पहला प्रयाससंपादित करें
1902 में ब्रिटिश पर्वतारोही एलीस्टर क्रॉले और ऑस्कर एकिनस्टीन समेत 6 पर्वतारोहियों का अभियान दल के-2 पर चढ़ाई का सर्वप्रथम प्रयास करने पहुँचा। इस दल ने पर्वत पर 68 दिन बिताए जिसमें से चढ़ाई के लिए अनुकूल केवल 8 दिन ही मिल पाए। इनमें शिखर पर पहुँचने के 5 प्रयास किए गए। लेकिन ख़राब मौसम और तमाम प्रतिकूलताओं के कारण दल के सभी प्रयास विफल रहे और अंततः उन्हें हार माननी पड़ी।
पहली सफलतासंपादित करें
दो इतावली आरोही एचाईल कॉम्पेगनोनी और लिनो लासेडेली के-2 के शिखर तक पहुँचने वाले पहले इंसान हैं। उन्हें यह सफलता 19 जुलाई 1954 को मिली जिसे इटली में काफ़ी गर्व के साथ मनाया गया। लेकिन जब आर्डिटो डेसिओ के नेतृत्व वाली यह टीम स्वदेश लौटी तब टीम के ही वॉल्टर बोनाटी ने दोनों पर इल्ज़ाम लगाते हुए विवाद खड़ा कर दिया। लेकिन बाद में ये इल्ज़ाम झूठे और ग़लतफ़हमीजन्य साबित हुए। [1]
के टू पर फ़िल्मेंसंपादित करें
- वर्टिकल लिमिट
- के-टू
इन्हें भी देखेंसंपादित करें
बाहरी जोड़संपादित करें
सन्दर्भसंपादित करें
- ↑ "Northern Pakistan Places, Photos, 750+ Placemarks! – Google Earth Community". मूल से 4 फ़रवरी 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 फ़रवरी 2011.
- ↑ "EXPLAINER: K2's peak beckons the daring, but climbers rarely answer call in winter".
- ↑ Brummit, Chris (16 December 2011). "http://usatoday30.usatoday.com/news/world/story/2011-12-16/russian-team-winter-climb-K2-mountain/52010962/1 Archived 2016-04-08 at the Wayback Machine Russian team to try winter climb of world's 2nd-highest peak]". USA Today. Associated Press. Retrieved 26 September 2015.