कालीघाट शक्तिपीठ
कालीघाट शक्तिपीठ (बांग्ला: কালীঘাট মন্দির) कोलकाता का एक क्षेत्र है, जो अपने काली माता के मंदिर के लिये प्रसिद्ध है। इस शक्तिपीठ में स्थित प्रतिमा की प्रतिष्ठा कामदेव ब्रह्मचारी (सन्यासपूर्व नाम जिया गंगोपाध्याय) ने की थी। सती के शरीर के अंग प्रत्यंग जहाँ भी गिरे वहाँ शक्तिपीठ बन गये। ब्रह्म रंध्र गिरने से हिंगलाज,शीश गिरने से शाकम्भरी देवी,विंध्यवासिनी,पुर्णगिरी,ज्वालामुखी,महाकाली आदि शक्तिपीठ बन गये। माँ सती के दाये पैर की कुछ अंगुलिया इसी जगह गिरी थी। आज यह जगह काली भक्तो के लिए सबसे बड़ा मंदिर है। माँ की प्रतिमा में जिव्हा सोने की है जो की बाहर तक निकली हुई है काली मंदिर में देवी काली के प्रचंड रूप की प्रतिमा स्थापित है। इस प्रतिमा में देवी काली भगवान शिव की छाती पर पैर रखी हुई है। उनके गले में नरमुंडो की माला है उनके हाथ में कुल्हाड़ी और कुछ नरमुंड है उनकी कमर में भी कुछ नरमुंड बंधे हुए है उनकी जीब निकली हुई है और उनकी जीब में से कुछ रक्त की बूंदे भी टपक रही है। कुछ अनुश्रुतियों के अनुसार इस मूर्ति के पीछे कुछ अनुश्रुतिया भी प्रचलित है। एक के अनुसार देवी किसी बात पर गुस्सा हो गयी थी उसके बाद उन्होंने नरसंघार करना शुरू कर दिया। उनके मार्ग में जो भी आता वो मारा जाता उनके क्रोध को शांत करने के लिए भगवान शिव उनके रास्ते में लेट गए। देवी ने गुस्से में उनकी छाती पर भी पैर रख दिया उसी समय उन्होंने भगवान शिव को पहचान लिया और उन्होंने फिर नरसंघार बंद कर दिया।
कालीघाट शक्तिपीठ | |
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![]() कालीघाट के मंदिर में देवी काली माता की मूर्ति | |
धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | हिंदू धर्म |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | आदि गंगा नदी के तट पर, कोलकाता |
वास्तु विवरण | |
प्रकार | मध्यकालीन बांग्ला स्थापत्य शैली |
यहां कोलकाता मेट्रो का स्टेशन भी है।
इन्हें भी देखेंसंपादित करें
बाहरी कड़ियाँसंपादित करें
- कालीघाट की काली (निओन्यूज)
- शक्तिपीठ कालीघाट (जागरण)
- कालीघाट शक्तिपीठ कोलकाता
- कालीघाट – देवी का प्रचंड रुप (दानापानी)