कुँवरपाल सिंह
प्रो॰ कुँवरपाल सिंह (१९३८ - ८ नवंबर २००९) हिन्दी के जाने माने विद्वान, संपादक, लेखक और साहित्यकार हैं। उनका जन्म हाथरस जिले के कैलोरा ग्राम के एक किसान परिवार में हुआ। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से १९५९ में बी.ए., १९६१ में एम॰ए॰ (हिंदी) तथा १९६९ में पी-एच.डी. उपाधि प्राप्त करने के उपरांत वे १९६६ में व्याख्याता पद पर नियुक्त हुए। १९७७ में रीडर तथा १९८५ में प्रोफ़ेसर पद पर उनकी प्रोन्नति हुई। अपनी सुदीर्घ सारस्वत-यात्रा के अनेक पड़ावों से गुज़रते हुए प्रो॰ सिंह ने अनेक प्रशासनिक पदों को सुशोभित किया। हिंदी विभाग के अध्यक्ष, कला संकाय के अधिष्ठाता पद के अतिरिक्त वे राजभाषा कार्यान्वयन समिति के उपाध्यक्ष भी रहे। एन.आर.एस.सी. के प्रोवोस्ट, एम्प्लॉयमेंट एवं गाइडेंस सेंटर के ब्यूरो प्रमुख, जनसंपर्क कार्यालय के प्रभारी तथा विश्वविद्यालय प्रसार व्याख्यान के समन्वयक के रूप में उन्होंने अपने दायित्वों का सफल निर्वाह किया। वे विश्वविद्यालय की विधिक संस्थाओं-एकेडेमिक काउंसिल, एक्ज़ीक्यूटिव काउंसिल तथा कोर्ट के सदस्य भी निर्वाचित हुए।[1]
कुँवरपाल सिंह | |
---|---|
जन्म | १९३८ कैलोरा ग्राम, हाथरस जिला, उ.प्र |
मौत | ८ नवंबर २००९ अलीगढ़, उ.प्र |
पेशा | विद्वान, संपादक, लेखक और साहित्यकार |
भाषा | हिन्दी |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
प्रो॰ सिंह इस विभाग से छात्र, शोधार्थी, अध्यापक एवं अध्यक्ष के तौर पर जुड़े रहे। एक अध्यापक के रूप में उन्होंने छात्रों के मन-मस्तिष्क पर अमिट छाप छोड़ी। विभागीय सहयोगियों के बीच उनकी छवि एक उदारमना अहैतुक साथी की थी। हिंदी विभाग के सर्वांगींण शैक्षिक विकास के लिए वे निरंतर सक्रिय रहे और अखिल भारतीय स्तर पर विभाग की छवि का निर्माण करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। साहित्य जगत में मार्क्सवादी आलोचना के विशिष्ट हस्ताक्षर प्रो॰ के.पी. सिंह ने ६ पुस्तकों के लेखन के साथ-साथ पुस्तकों का संपादन भी किया और साहित्य अकादमी के लिए राही मासूम रज़ा पर एक मोनोग्राफ़ भी लिखा। अपने अंतिम समय में वे राही मासूम रज़ा ग्रंथावली के संपादन का काम कर रहे थे। अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन एवं अतिथि संपादन करते हुए उन्होंने हिंदी के ख्यात साहित्यकारों पर संग्रहणीय विशेषांक निकाले। 'वर्तमान साहित्य' पत्रिका के यशस्वी संपादक तथा 'समय संवाद' स्तंभ के लेखक के रूप में वे सदैव याद किए जाएँगे।[2]
प्रकाशित कृतियाँ
- मार्क्सवादी सौंदर्यशास्त्र और हिन्दी उपन्यास
- नवजागरण और हिन्दी साहित्य
- सिरजे जिन ने सपने (संस्मरण)
- समय-संवाद
- संपादित कृतियाँ-
- यशपाल : पुनर्मूल्यांकन (शिल्पायन, शाहदरा, दिल्ली से प्रकाशित; वर्तमान साहित्य के यशपाल पर केन्द्रित महाविशेषांक, अक्टूबर-दिसंबर 2003, का पुस्तकीय रूप)
- राही और उनका रचना-संसार
- हिन्दी उपन्यास : जनवादी परम्परा (अजय बिसारिया के साथ)
- 1857 और जनप्रतिरोध (नमिता सिंह के साथ)
काफ़ी समय तक 'वर्तमान साहित्य' पत्रिका का नमिता सिंह के साथ संपादन।