कुणाल (बहुविकल्पी)

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  • (२) कुणाल पथरी मंदिर

धर्मशाला के पास हिमाँचल प्रदेश के काँगड़ा जिले की धौलाधर श्रँखला में स्थित पहाड़ी तीर्थ कुणाल पथरी मंदिर से भी कुणाल का ज़िक्र आता है। कहा जाता है कि वहाँ भगवान विष्णु के परम भक्त कुणाल रहा करते थे। यह कपालेश्वरी देवी का मंदिर है जिसमें देवी देवताओं के सुंदर छवियाँ उकेरी गयी हैं। कहते हैं देवी सती (दक्षायनी) की मृत्यु के से क्रुद्ध शिव जी का तांडव नृत्य बंद करने के लिये भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती के मृत शरीर के ५१ टुकड़े कर दिये थे जिसमें से उनका सर इस स्थान पर गिरा था।

  • (३) हिमालय की सात झीलों में एक

यह अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए अत्यंत प्रसिद्ध थी और बौद्ध संघ में शामिल शाक्य राजकुमारों को उनके पूर्वजीवन की स्त्री-सुख-लिप्साओं से विरत करने के लिए भगवान बुद्ध ने वहाँ कुणालजा तक का प्रवचन दिया था। बौद्ध कथाओं के अनुसार यहाँ के वन्य प्रदेशों में बोधिसत्व ने एक बार चित्रकोकिलों के राजा के रूप में जन्म ग्रहण किया था। उस बोधिसत्व का नाम भी कुणाल था।

  • (४) एक प्राचीन जनपद

जैन अनुश्रुतियों के अनुसार हिमालय से लगा एक प्रख्यात प्राचीन जनपद जिसकी राजधानी श्रावस्ती (आधुनिक सहेत महेत, जिला गोंडा) थी।

  • (५) पक्षी

कुणाल पक्षी जो अपनी सुंदर आँखों के लिए प्रसिद्ध है।