कुतर्क (अंग्रेजी : fallacy) एक बुरे या अमान्य तर्क को कहते हैं।[1][2] कुछ कुतर्क धोखे से यकीन दिलाने के लिए जानबूझकर किए जाते हैं, और कुछ लापरवाही या अज्ञानता के कारण अनजाने में होते हैं।

कुतर्क सामान्यतः दो प्रकार के होते हैं : "औपचारिक" और "अनौपचारिक"। औपचारिक कुतर्कों को प्रोपोसिशनल लॉजिक (अंग्रेजी : Propositional Logic), प्रेडीकेट लॉजिक (Predicate Logic) या किसी अन्य लॉजिक (Logic) में लिखा जा सकता है। अनौपचारिक कुतर्कों में गलती किसी अन्य कारण से होती है।[3]

औपचारिक कुतर्क

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एक औपचारिक कुतर्क को प्रोपोसिशनल लॉजिक, प्रेडीकेट लॉजिक या किसी अन्य लॉजिक में लिखा जा सकता है।[1] औपचारिक रूप से गलत तर्क का पता उसे किसी लॉजिक में लिखने से लग जाता है। एेसे तर्क को हर स्थिति में गलत माना जाता है। एक तर्क में औपचारिक कुतर्क होने से उसकी मान्यताओं या निष्कर्ष के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। मान्यताएँ और निष्कर्ष ठीक हो सकते हैं, हम केवल कह सकते हैं कि तर्क गलत है।

अरस्तु के कुतर्क

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अरस्तु कुतर्कों की एक व्यवस्थितन सूची बनाने वाले पहले व्यक्ति थे। उनकी पुस्तक सोफिस्टीकल रेैफ्यूटेशन्स (अंग्रेजी : Sophistical Refutations, यूनानी : De Sophisticis Elenchis) तेरह कुतर्कों के बारे में बताती है। उन्होंने कहा है कि कुतर्क दो प्रकार के होते हैं, भाषा पर निर्भर करने वाले और भाषा पर निर्भर न करने वाले।[4]

इन्हें भी देखें

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  1. Harry J. Gensler, The A to Z of Logic (2010:p74). Rowman & Littlefield, ISBN 9780810875968
  2. John Woods, The Death of Argument Archived 2015-09-27 at the वेबैक मशीन (2004). Applied Logic Series Volume 32, pp 3-23. ISBN 9789048167005
  3. "Informal Fallacies, Northern Kentucky University". मूल से 1 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2013-09-10.
  4. "Aristotle's original 13 fallacies". The Non Sequitur. मूल से 27 सितंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2013-05-28.