कुरुविंद या कुरंड एक मणिभीय खनिज पत्थर है, जो संसार के विभिन्न स्थलों में पाया जाता है। इस पत्थर की दो विशेषाएँ हैं, एक तो यह कठोर होता है, दूसरे चमकदार। भारत में भी कुरुविंद प्राप्य है। असम की खासी और जयंतिया पहाड़ियों, झारखण्ड (हजारीबाग, सिंहभूम और मानभूम जिलों में), तमिलनाडु (सेलम जिले में), मध्यप्रदेश (पोहरा, भंडारा तथा रीवाँ), उड़ीसा तथा कर्नाटक प्रदेशों में यह पत्थर मिलता है। कर्नाटक, तमिलनाडु और कश्मीर में प्राप्त होनेवाली कुरुविंद अधोवर्ती वर्ग (लोवर कग्रेड) का है।

विभिन्न रंग-रूप के कुरुविन्द

सामान्य कुरुविंद में कोई आकर्षक रंग नहीं होता। यह साधारणतया धूसर, भूरा, नीला और काला होता है। कुछ रंगीन कुरु्व्राद विशिष्ट आकर्षक रंगों के होने के कारण रत्न के रूप में, माणिक, नीलम, याकूत आदि नामों से बिकते हैं। थोड़े अपद्रव्यों के कारण इसमें रंग होता है। ये अपद्रव्य धातुओं के आक्साइड, विशेषत: क्रोमियम और लोहे के आक्साइड होते हैं। कुरुविंद की कठोरता ९ है, जबकि हीरे की कठोरता १० होती है। इसका विशिष्ट घनत्व ३.९४ से ४.१० होता है। यह ऐल्यूमिनियम का प्राकृतिक आक्साइड (Al2 O3) है, जिसके मणिभ षट्कोणीय तथा कभी-कभी बेलन या मृदंग की आकृति के होते हैं।

अंगुठी में लगा हुआ कुरुविंद

कुरुविंद का अभियांत्रिकी उद्योगों में तथा अपघर्षकों (abrasives) और शणचक्रों (ग्राइंडिंग ह्वील) के निर्माण में अधिकतर प्रयोग किया जाता है। पारदर्शक कुरुविंद का प्रयोग बहुमूल्य पत्थर की भाँति होता है। आजकल कुरुविंद का स्थान एक नवीन पदार्थ कार्बोरंडम ने ले लिया है, जो भारत में विदेशों से आयात होता है।

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