कूमट (अकेशिया सेनेगल) मरु प्रदेशों में पाया जाने वाला एक बहु-उपयोगी वृक्ष है। इस पेड़ से एक गोंद निकलता है जिसका प्रयोग प्रसंस्कृत भोजन में स्टेबलाइजर के रूप में होता है। इसके अलावा, इसका प्रयोग छपाई, पेंट, सौन्दर्य प्रसाधन और कपड़ा उद्योगों में भी किया जाता है। कुमट के कुमटिया/हिलारिया का सब्जी में विशेष महत्व है। कूमट पेड़ केवल पौष्टिक बीजों के लिये ही नहीं जाना जाता। इससे प्राप्त होने वाला गोंद भी बहुत ही पौष्टिक होता है।

कूमट पश्चिमी सूडान, नाइजीरिया और अरब प्रायद्वीप में मूल रूप से पाया जाता है जहाँ से इसे मिस्र, ऑस्ट्रेलिया, पोर्टो रीको, वर्जिन आइलैंड और दक्षिण एशिया में उगाने के लिये ले जाया गया था। 15वीं शताब्दी में यूरोप के व्यापारी सेनेगल नदी के मुहाने के आस-पास के समुद्री तट पर जाकर इस गोंद को अरबों-बर्बर जनजातियों से खरीदते थे। इसी कारण यह समुद्र तट 'गम कोस्ट' कहा जाता था। सूडान आज भी इस गोंद का सबसे बड़ा निर्यातक है।

भारत के राजस्थान, पंजाब, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और हरियाणा प्रदेशों में यह पेड़ पाया जाता है, पर इनमें पर्याप्त मात्रा में गोंद नहीं निकलता। सेंट्रल एरिड जोन रिसर्च इंस्टीट्यूट, जोधपुर में इन पेड़ों से गोंद के उत्पादन को बढ़ाने और क्षेत्र में लोगों को आय का एक अतिरिक्त स्रोत प्रदान करने के लिये अनुसन्धान की गई है।

कुमटिया के बीज हृदय, वृक्क, यकृत (लिवर) को होने वाली समस्याओं को भी ठीक करते हैं। बीजों में एक तरह की वसा भी होता है जो दवाई बनाने के काम आता है। अफ्रीका में इस पेड़ की गोंद को भी दवाई की तरह प्रयोग में लाया जाता है और यह आँतों की लाइनिंग ठीक करने के काम आता है।

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