कृषक आन्दोलन
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कृषि नीति को बदलने के लिये किये गये आन्दोलन कृषक आन्दोलन (Peasant movement) कहलाते हैं।
कृषक आन्दोलन का इतिहास बहुत पुराना है और विश्व के सभी भागों में अलग-अलग समय पर किसानों ने कृषि नीति में परिवर्तन करने के लिये आन्दोलन किये हैं ताकि उनकी दशा सुधर सके। मोजुदा दौर में भारत में कृषक आंदोलन तेज गति से बढ़ रहे है इसका मुख्य कारण कृषक की आर्थिक हालत दिन प्रति दिन कमजोर हो रही है और वो कर्ज के मकड़ जाल में फंस रहा क्यों की मौजूद दौर में कृषि में लागत बढ़ रही है आमदनी घट रही है जिस कारण से किसानो में आत्म हत्या की घटनाए बढ़ रही है। दूसरी तरफ लोग कृषि निति बदलवाने के लिए संघर्ष कर रहे है। बर्ष 2017 में देश में छोटे बड़े सैकड़ो आंदोलन देश में हुए है सरकार को कृषि के सम्बन्ध में बोलने पर मजबूर किया है जिस में महारास्ट्र का जून 17 मेंगाँव बन्द हो चाहे नासिक से मुम्बई तक का मार्च हो राजस्थान में पानी व् बिजली के सवालो पर आंदोलन हरियाणा में 2015 में नरमें की फसल के खराबे पर मुअब्जे की मांग का आंदोलन हो तमिलनाडु के किसानो का महीनो तक संसद मार्ग पर धरना आदि मुख्यत रहे है ।२०२० से २०२१ तक तीन फार्म बिल्ज़ के ख़िलाफ़ आंदोलन चल रही है। [1]
इन्हें भी देखें
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संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "राकेश टिकैत कौन हैं? जिनके आँसू देख ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर उमड़ी भीड़". BBC News हिंदी. अभिगमन तिथि 2021-01-30.