भारतीय किसान
भारत संरचनात्मक दृष्टि से गांवो का देश है ,और सभी ग्रामीण समुदायों में अधिक मात्रा में कृषि कार्य किया जाता है इसी लिए भारत को भारत कृषि प्रधान देश की संज्ञा भी मिली हुई है। लगभग 70% भारतीय लोग किसान हैं। वे भारत देश के रीढ़ की हड्डी के समान है। खाद्य फसलों और तिलहन का उत्पादन करते हैं। वे वाणिज्यिक फसलों के उत्पादक है। वे हमारे उद्योगों के लिए कुछ कच्चे माल का उत्पादन करते इसलिए वे हमारे राष्ट्र के जीवन रक्त है। भारत अपने लोगों की लगभग 60 % कृषि पर प्रत्यक्ष या पपरोक्ष रूप से निर्भर भारतीय किसान पूरे दिन और रात काम करते है। वह बीज बोते है और रात में फसलों पर नजर रखते भी है। वह आवारा मवेशियों के खिलाफ फसलों की रखवाली करते। वह अपने बैलों का ख्याल रखते है। आजकल, कई राज्यों में बैलों की मदद से खेती करने कि संख्या लगभग खत्म हो गई हैं और ट्रैक्टर की मदद् से खेती कि जाती है। उनकी पत्नीय़ॉ और बच्चों उनके काम में उनकी मदद करते है।
किसानों की हालत
संपादित करेंभारतीय किसान गरीब है। उनकी गरीबी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। किसान को दो वक्त का खाना भी नसीब नहीं हो पाता। उन्हें मोटे कपड़े का एक टुकड़ा नसीब नही हो पाता है। वह अपने बच्चों को शिक्षा भी नहीं दे पाते। वह अपने बेटे और बेटियों को अच्छी पोशाक तक खरीद कर नहीं दे पाते। वह अपनी पत्नी को गहने पहऩऩे का सुख नहीं दे पाते। किसान की पत्नी कपड़े के कुछ टुकड़े के साथ प्रबंधित करने के लिए है। वह भी घर पर और क्षेत्र में काम करती है। वह गौशाला साफ करती, गाय के गोबर बनाकर दिवारो पर चिपकाती और उन्हें धूप में सूखाती। वह गीले मानसून के महीनों के दौरान ईंधन के रूप में उपयोग होता। भारतीय किसान को गांव के दलालों द्वारा परेशान किया जाता है। वह साहूकार और कर संग्राहकों से परेशान रहते इसलिए वह अपने ही उपज का आनंद नहीं कर पाते हैं। भारतीय किसान के पास उपयुक्त निवास करने के लिए घर नहीं होता। वह भूसे फूस की झोपड़ी में रहते है। उसका कमरा बहुत छोटा है और डार होता। जबकी बड़े किसानों का बहुत सुधार हुआ है, छोटे भूमि धारकों और सीमांत किसानों की हालत अब भी संतोषजनक से भी कम है।
पुराने किसानों की अधिकांश अनपढ़ आदि ज्यादा पढी-लिखी नहीं थी लेकिन नई पीढ़ी के अधिकतर किसान शिक्षित हैं। उनके शिक्षित होने के नाते उन्हें बहुत मदद मिलती है। वे प्रयोगशाला में अपने खेतों की मिट्टी का परीक्षण करवा लेते है। इस प्रकार, वे समझ जाते की उनके क्षेत्रों में सबसे ज्यादा फसल किसकी होगी। भारतीय किसान सरल संभव तरीके से सामाजिक समारोह मनाता है। वह हर साल त्योहार धूम से मनाते है। वह अपने बेटे और बेटियों की शादी का जश्न भी धूम से मनाते। वह अपने परिजनों और दोस्तों और पड़ोसियों के मनोरंजन भी करने में कसर नहीं छोडते।
जीवन सुधारने के उपाय
संपादित करेंकिसानों की मॉग मुफ्त बिजली और पानी नहीं है, बल्कि बिजली की निर्बाध आपूर्ति के लिए हैं जिसके लिये वे भुगतान करने के लिए तैयार है। पंजाब जैसे राज्यों में, पहली बार में हरित क्रांति से किसानों को बहुत मदद मिली लेकिन कम कीमतों मैं बम्पर फसलों की उपज के कारण उनके काम मैं बधाओ ने आना शुरु कर दिया। भारतीय किसानों की हालत में सुधार किया जाना चाहिए। उन्हे खेती की आधुनिक विधि सिखाया जाना चाहिए। उन्हे साक्षर बनाया जाना चाहिए। उनको पढा लिखा बनाना चाहिए। वह हर संभव तरीके में सरकार द्वारा सहायता प्रदान की जानी चाहिए। छोटे किसानों ने भी कुछ कुटीर उद्योग शुरू करने का निर्णय ले लिया। फसल चक्र प्रणाली और अनुबंध फसल प्रणाली कुछ राज्यों में शुरू कर दिया गया। इस तरह के कदम किसानो को सही दिशा में ले जाते और लंबे समय तक किसानी करने में मदद करते। भारत का कल्याण किसानो पर ही निर्भर करता है।