कुंवर दिग्विजय सिंह
कुंवर दिग्विजय सिंह या केडी सिंह बाबू (2 फ़रवरी 1922 -1978) हॉकी के प्रसिद्ध खिलाड़ी थे जो ड्रिबलिंग तथा विपक्षी खिलाड़ियों को छकाने की कला में माहिर थे। हॉकी को भारत में लोकप्रिय बनाने और पूरी दुनिया में इसकी पहचान बनाने में मुख्य भूमिका निभाने वालों में ध्यानचंद और पद्मश्री से सम्मानित केडी भी थे।
व्यक्तिगत जानकारी | ||||||||||||||||||
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जन्म |
2 फ़रवरी 1922 बाराबंकी, संयुक्त प्रान्त, भारत | |||||||||||||||||
मृत्यु |
27 मार्च 1978 लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत | (उम्र 56 वर्ष)|||||||||||||||||
खेलने का स्थान | Inside Right | |||||||||||||||||
राष्ट्रीय टीम | ||||||||||||||||||
1946-mid to late 1950s | India | 80+ | (175+) | |||||||||||||||
पदक की जानकारी
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जीवनी
संपादित करेंकुंवर दिग्विजय सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के शायपुरभगौली तीर्थ बाराबंकी में हुआ था। केडी बाबू ने 14 साल की उम्र से ही हॉकी का कौशल दिखाना शुरू कर दिया था। इसी उम्र में बाराबंकी के देवा में उन्होंने पहला टूर्नामेंट खेला। [1]
दो साल बाद लखनऊ में लखनऊ यंगमैन एसोसिएशन की टीम से खेलते हुए तो उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी थी। दिल्ली में हुए ट्रेडर्स कप में अपने स्टिक वर्क और ड्रिबलिंग से उन्होंने दर्शकों को भौंचक्का कर दिया। इसी ट्रेडर्स कप में लखनऊ की युवा टीम का मुकाबला दिल्ली की मानवदार टीम के साथ हुआ, जिसमें ओलिम्पिक खिलाड़ी हुसैन भी शामिल थे।
केडी को नहीं बताया गया कि प्रतिद्वंद्वी टीम में ओलिम्पिक खिलाड़ी हुसैन भी हैं ताकि उनका नैसर्गिक खेल प्रभावित नहीं हो। के.डी. ने पूरे मैच के दौरान हुसैन को दबाए रखा। हुसैन भी कम उम्र के इस लड़के के खेल कौशल से आश्चर्यचकित थे।
मैच के बाद लखनऊ टीम के कोच मुश्कउज्जमां ने के.डी.को हुसैन के बारे में बताया। हुसैन ने मैच के बाद कहा भी यह लडका हॉकी का महान खिलाड़ी बनेगा। बाबू ने सोलह साल तक उत्तरप्रदेश का प्रतिनिधित्व किया और भारतीय टीम के उपकप्तान भी बने। लंदन में 1948 में हुए ओलिम्पिक में वह भारतीय टीम के उपकप्तान थे तो 1952 में हेलसिंकी ओलिम्पिक में टीम की कप्तानी उनके हाथ थी। [1]
अन्य देशों के खिलाड़ी गोल करने की उनकी कला से काफी प्रभावित थे और समझ नहीं पाते थे कि इस तरह गोल कैसे किया जा सकता है। वह गेंद को पहले गोल पोस्ट पर मारते थे और वापस आने के बाद उसे जाल से उलझा देते थे।
केडी ने उत्तरप्रदेश में हॉकी को विकसित किया और खिलाड़ियों को आगे बढाया। इसी का नतीजा था कि इस राज्य ने हॉकी के कई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी देश को दिए। उनके नाम पर राज्य की राजधानी में स्टेडियम भी बने और खेल छात्रावास भी बनाया गया। लखनऊ का खेल छात्रावास 1972 में बना।
केडी के 1978 में निधन के बाद उनके छोड़े काम को आगे बढ़ाने का जिम्मा उनके प्रशंसक और ओलिम्पिक खिलाड़ी झमन लाल ने उठाया। युवा हॉकी खिलाड़ियों की प्रतिभा को निखारने के लिए बाबू के नाम से एक सोसायटी बनाई गई जो अभी तक अस्तित्व में है। केडी उत्तरप्रदेश खेल परिषद के पहले संगठन सचिव थे।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ अ आ "हुसैन बोले थे केडी एक दिन महान खिलाड़ी बनेगा". आई नेक्स्ट जागरण. 18 सितम्बर 2014. Archived from the original on 4 मार्च 2016. Retrieved 24 अक्टूबर 2014.
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