केतकी
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केतकी एक छोटा सुवासित झाड़। इसकी पत्तियाँ लंबी, नुकीली, चपटी, कोमल और चिकनी होती हैं जिसके किनारे और पीठ पर छोटे छोटे काँटे होते हैं। यह दो प्रकार की होती है। एक सफेद, दूसरी पीली। सफेद केतकी को लोग प्राय: 'केवड़ा' के नाम से जानते और पहचानते हैं और पीली अर्थात् सुवर्ण केतकी को ही केतकी कहते हैं।
बरसात में इसमें फूल लगते हैं जो लंबे और सफेद होते है और उसमें तीव्र सुगंध होती है। इसका फूल बाल की तरह होता है और ऊपर से लंबी पत्तियों से ढका रहता है। इसके फूल से इत्र बनाया और जल सुगंधित किया जाता है। इससे कत्थे को भी सुवासित करते हैं। केवड़े का प्रयोग केशों के दुर्गंध दूर करने के लिए किया जाता है। प्रवाद है कि इसके फूल पर भ्रमर नहीं बैठते और शिव पर नहीं चढ़ाया जाता। इसकी पत्तियों की चटाइयाँ, छाते और टोपियाँ बनती हैं। इसके तने से बोतल बंद करने वाला कॉक बनाए जाते हैं। कहीं कहीं लोग इसकी नरम पत्तियों का साग भी बनाकर खाते हैं। वैद्यक में इसके शाक को कफनाशक बताया गया है।
केतकी के अन्य नाम:
संपादित करेंइसका मूल नाम केतकी संस्कृत भाषा से आया है। तमिल में इसे कैथाई और ताई कहा जाता है
केतकी के फूल के उपयोग
संपादित करेंकेतकी का यह फूल काफी सुगन्धित होता है।केतकी के फूल से खासकर फैंसी परफ्यूम बनाए जाते हैं,
(2) संगीत स
संबंधित एक रागिनी का नाम।
केतकी फूल का महत्व
संपादित करेंयह एक सुगंधित फूल है जिसका इस्तेमाल अक्सर समारोहों और धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है और इस हिसाब से केतकी फूल Archived 2023-10-02 at the वेबैक मशीन का निम्नलिखित महत्व है:
धार्मिक महत्व: हिंदी धर्म में केतकी फूल को एक पवित्र फूल माना जाता है। इस फूल को सरस्वती और माता लक्ष्मी का प्रतीक हैं।
औषधीय महत्व: इस फूल में कुछ औषधीय गुण भी पाए जाते हैं इसलिए केतकी फूल का उपयोग औषधीय में भी किया जाता हैं।