केरल स्कूल कलोलसवम
केरल स्कूल कलोलसवम एक वार्षिक स्कूली प्रतियोगिता है। यह भारत के केरल राज्य के स्कूलों में आयोजित की जाती है। इसमें केरल के उच्च विद्यालय और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के छात्रों के लिए कई कला प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं। इसका आयोजन मूल रूप से वहाँ की सरकार के द्वारा किया जाता है। इस वार्षिक कार्यक्रम की शुरुआत 1956 में हुई थी और 2022 तक इसे केरल राज्य स्कूल युवा महोत्सव के नाम से जाना जाता था। इस कार्यक्रम के प्रतिभागी कक्षा 8वीं से 12वीं तक के छात्र होते हैं। इस कार्यक्रम के एक विशेष आयोजन के तहत विभिन्न राजस्व जिलों के विजेता प्रतिभागी आगे चलकर राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में प्रतिस्पर्धा करते हैं। इस कार्यक्रम का आयोजन आमतौर पर साल के दिसंबर से जनवरी महीने के मध्य में किया जाता है और इसे एशिया का सबसे बड़ा सांस्कृतिक कार्यक्रम कहा जाता है। केरल स्कूल कलोलसवम का 61वां संस्करण 2022-23 कोझिकोड में निर्धारित किया गया है।[1][2]
केरल स्कूल कलोलसवम | |
---|---|
अवस्था | सक्रिय |
शैली | युवा उत्सव |
आवृत्ति | वार्षिक |
स्थल | केरल |
देश | भारत |
स्थापना | 1956 |
संस्थापक | डॉ॰ सी॰ एस॰ वेंकटेश्वरन |
प्रतिभागी | 12000 |
क्षेत्रफल | माध्यमिक विद्यालय के छात्र (कक्षा 8 से 12) |
संयोजन कर्ता | केरल सरकार |
प्रायोजक | आई.टी@स्कूल |
इतिहास
संपादित करेंकेरल स्कूल कलोलसवम अपनी संरचना और संगठन में अद्वितीय त्योहार माना जाता है। कलोलसवम के संचालन के लिए इस क्षेत्र के स्कूल स्तर से राज्य स्तर तक के शिक्षा विभाग के द्वारा एक संगठनात्मक ढांचे का निर्माण किया जाता है। सारे कार्यक्रम का आयोजन इसी संगठन की देख-रेख में किया जाता है। पिछले 53 वर्षों के स्कूल कलोलसवम के इतिहास पर नज़र डालने से पता चलता है कि समय-समय पर कलोलसवम में कई आधुनिक परिवर्तन हुए हैं। इसमें विद्यार्थियों को विद्यालय स्तर पर, उप जिला स्तर पर, जिला स्तर पर और अंत में राज्य स्तर पर अपनी प्रतिभा व्यक्त करने का अवसर मिलता है।
1956-57 में जब यह कार्यक्रम स्कूलों में युवजनोलसवम नाम से शुरू हुआ था तब से अब तक यह जिस विविधता, धूमधाम और विशाल कैनवास तक पहुंच गया है, उसके आसपास भी अब तक कोई कार्यक्रम नहीं पहुँच पाया है। डॉ॰ सी॰ एस॰ वेंकटेश्वरन जो 1956 में लोक शिक्षण संचनालय में कार्यरत थें, उन्होंने ही दिल्ली के अंतर-विश्वविद्यालय उत्सव से प्रेरित होकर 1956 में एर्नाकुलम एसआरवी हाई स्कूल में कलोलसवम का सर्वप्रथम आयोजन करवाया था। यह कार्यक्रम एक दिन के लिए निर्धारित किया गया था और इसमें 200 प्रतिभागी शामिल हुए थें। यह कार्यक्रम उस वक्त विद्यालय स्तर तक ही सीमित था परन्तु साल-दर-साल इसके स्वरूप का विस्तार होता गया और कलोलसवम के क्षेत्र और स्तर में वृद्धि होती गई और आज प्रतिभागियों की संख्या बढ़कर दस हजार हो गई है। आज कलोलसवम में ग्राम पंचायत स्तर से लेकर नगर निगम स्तर तक के जन प्रतिनिधियों, विधान सभा के सदस्यों से लेकर संसद के सदस्यों, मंत्रियों आदि तक की सक्रिय भागीदारी किसी ना किसी रूप में देखी जा सकती है। जहाँ 1956-57 में इसमें केवल 200 प्रतिभागी थें, वहीं 2008-2009 में इसमें लगभग 10,000 प्रतिभागी शामिल हुए थें और आज यह एक दिन से बढ़कर 7 दिनों का कार्यक्रम हो गया है। 1975 में कालीकट में आयोजित कलोलसवम कार्यक्रम को इसके इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना गया है क्योंकि केरल की परंपरा और संस्कृति के कई कला रूपों जैसे कथकली संगीत, मोहिनीअट्टम, यक्षगान अक्षरश्लोकम आदि को पहली बार इसी वर्ष कलोलसवम में प्रवेश मिला था। 2008-2009 में यह कक्षा आठवीं से बढ़कर कक्षा दसवीं तक के छात्रों का त्योहार बन गया। पूरे राज्य में विद्यार्थियों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए ही हर साल कलोलसवम का स्थान एक जिले से दूसरे जिले में बदल दिया जाता है।[3][4]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Kerala State School Youth Festival, Asia's biggest fest, begins today". Deccanchronicle.com. 19 January 2014. अभिगमन तिथि 6 July 2017.
- ↑ "60th State School Art Festival to open in Thrissur today". English.mathrubhumi.com. अभिगमन तिथि 18 January 2017.
- ↑ "Dedicated to making trophies, for over a decade". The Times of India. 2023-01-01. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0971-8257. अभिगमन तिथि 2023-02-11.
- ↑ "Kerala School Kalolsavam 2011-12". मूल से 2013-10-24 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2014-01-21.