कोराँव
कोराँव (Koraon) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के प्रयागराज ज़िले में स्थित एक नगर है। यह इसी नाम की तहसील में स्थित है, जो ज़िले की आठ तहसीलों में से एक है।[1][2]
कोराँव Koraon | |
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निर्देशांक: 25°00′00″N 82°04′05″E / 25.000°N 82.068°Eनिर्देशांक: 25°00′00″N 82°04′05″E / 25.000°N 82.068°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | प्रयागराज ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 14,821 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी, अवधी, भोजपुरी |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 212306 |
दूरभाष कोड | +91-5334 |
वाहन पंजीकरण | UP-70 |
विवरण
संपादित करेंकोराँव नगर पंचायत और ग्रामीण क्षेत्र मिलकर बना हुआ है। प्रयागराज से मिर्ज़ापुर मार्ग (लगभग दूरी 47 किलोमीटर) स्थित मेजारोड चौराहे से तथा मेजारोड रेलवे स्टेशन से 32 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है।
ब्लॉक
संपादित करेंकोरांव तहसील गोला इसी नाम का ब्लॉक है।
जनसांख्यिकी
संपादित करेंजनगणना 2001 के अनुसार पूरी कोराँव तहसील की जनसंख्या (नगरीय) 12142 तथा ग्रामीण 286982 थी। जिसमे से 53% पुरुष और 47% महिलाएँ सम्मिलित थी।
यातायात
संपादित करेंकोरांव केवल सड़क द्वारा जुड़ा हुआ है। यहाँ से राष्ट्रीय राजमार्ग 135सी निकलता है। निजी बसें प्रत्येक 20 मिनट में प्रयागराज के लिये उपलब्ध हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग NH76E से जुडा़ है।मिर्ज़ापुर से दूरी 68 किमी या 42 मील जिसको तय करने में लगभग 2 घण्टे का समय लगता है। प्रयागराज से 64 किमी या 33 मील जिसको तय करने में 01:15 घण्टे का समय लगता है। सड़क मार्ग से यह मिर्ज़ापुर और पड़ोसी तहसील मेजा को जोडता है।
दर्शनीय स्थल
संपादित करेंकोरावं बौद्ध काल और मौर्य काल मे एक प्रसिद्ध और एक विकाशित नगर रहा होगा क्योंकि कोरावं के विभिन्न जगहों से मिल रहे मौर्य काल के असोक स्तम्भ के अवशेष और बुद्ध की मूर्तिया इस बात की प्रामाणिकता सिद्ध करती है और कोरावं के एरिया डिजाइन और एरिया के तालाबों के बनने और उनके एरिया डिजाइन भी इस बात की प्रमाण है | और अब फिर से कोरावं मे लोगों के द्वारा बड़े पैमाने पर बौद्ध महोत्सव कराए जाते है जिससे कोरावं अपनी खोई हुई इतिहास फिर से प्राप्त करने के ओर अग्रसर है | कोरावं मुख्य बाजार, माहुली पियरी, मझीगवा हटवार, रतयोरा, लेडियारी, आदि जगहों पर बौद्ध महोत्सव बड़े ही धूमधाम से होता है |
- इस तहसील के अंतर्गत लोगों को देखने के लिए भोगन के प्रसिद्ध हनुमान जी, बघोल के हनुमान जी, कालिकन की माँ काली एवम् पथरताल के हनुमान जी हैं।
- इस तहसील के अंतर्गत कुछ पहाड़ी क्षेत्र भी जहां जाकर आनन्द प्राप्त किया जा सकता है, जैसे- बड़ोखर ,देवघाट, महुली एवम् तहसील के पश्चिम में कोहड़ार की पहाड़ी इलाका।
- प्रत्येक वर्ष यहां के कई जगहों पर दशहरे पर क्षेत्रीय मेले का आयोजन होता है जिसमे महुआव में पूस का मेल, कोरांव में दशहरे का मेला एवम् कई गांवों में रामलीला का आयोजन जैसे नथऊपुर( नवयुवक रामलीला कमेटी नथऊपुर सिकरो# 'संचालक' - रामनरेशओझा)" , डिहिया में दुर्गा मंदिर के पास, लेंडियारी, बडोखर,भगेसर् में होता है
वहीं डिहिया गांव में दुर्गा मंदिर के पास भव्य रामलीला, होली मिलन समारोह व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का शानदार आयोजन होता है।
- कोरांव तहसील के महुली बाजार में. काली माता का मंदिर है। यहां लगभग सौ साल से रामलीला का आयोजन होता है। ( माता काली रामलीला कमेटी महुली बाजार #संचालक श्री उमा शंकर पांडेय )और ठीक पहाड़ियों में बाबा रंग नाथ धाम है। यह बहुत ही रमणीक और बहुत ही सुंदर स्थान है। आप सब यहां आकर इस पर्यटन स्थल का लुत्फ उठा सकते हैं और भोले बाबा का दर्शन कर सकते हैं। और निवेदन है कि कोरांव के इतिहास में इसको भी जोड़ा जाए. धन्यवाद
महुली गांव तीन तरफ से पहाड़ से घिरा है पूर्व में रमगड़वा व इटहा पहाड़ है इन दोनो के बीच में मुरलिया पहाड़ चोटी है और दक्षिण की ओर 3 से 5 किलो मीटर पर पहाड़ है और पश्चिम की तरफ 7 से 8 किलो मीटर पर है उत्तर की तरफ ही पहाड़ नही है लेकिन उत्तर की बेलन नदी बहती जिसमे पूरे साल भर पानी रहा है । महुली में सेवटी नदी बहती जो तीन तरह से दक्षिण से पश्चिम से उतर की ओर बहती है और पूर्व की ओर पहाड़ के नजदीक बेलन नदी में मिल जाती है Sanjay computer ki report
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
- ↑ "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the वेबैक मशीन," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975