क्षारसूत्र चिकित्सा एक प्रकार की शल्यचिकित्सा है जिसका वर्णन सुश्रुतसंहिता में मिलता है। महर्षि सुश्रुत आयुर्वेद मे शल्य चिकित्सा के जनक माने जाते है।

क्षारसूत्र चिकित्सा प्रक्रिया से अर्श-भगन्दर (piles and fistula) की चाकू से चीड़्फाड़ किये बिना शल्य चिकित्सा की जाती है। इस विधि में औषधीय तत्वों से भावित सूत्र के बांधने एवं पिरोने से अर्श कटकर गिर जाते है एवं भगन्दर के घाव बिना अतिरिक्त मर्हम पट्टी के स्वतः भर जाते है तथा दुबारा उसी स्थान पर पुनः उत्पन्न नही होते । इन रोगों मे यह विधि 99 प्रतिशत सफल शल्य चिकित्सा है। यह काफी सस्ती, प्रचलित एवं सफल पद्धति है। [1]

क्षारसूत्र की चिकित्सा विधि, शास्त्रों में सूत्र रूप से वर्णित थी। इसे और विकसित कर व्यावहारिक स्वरूप में स्थापित करने का श्रेय बनारस हिन्दू विश्‍वविद्यालय को है।