खरसावाँ गोलीकांड
खरसावाँ गोलीकांड, भारत के बिहार राज्य (अब झारखण्ड में) के सिंहभूम में खरसावॉं हाट मैदान में 1 जनवरी 1948 को हुआ था। सराइकेला खरसावाँ जिले के खरसावॉं हाट मैदान में सराइकेला और खरसावॉं रियासत का ओडिशा में विलय के खिलाफ और अलग झारखण्ड राज्य की मांग को लेकर आदिवासियों की एक बड़ी, शांतिपूर्ण भीड़ विरोध करने के लिए एकत्र हुई थी। जिन पर ओडिशा पुलिस बल ने मशीनगन द्वारा गोलियां बरसाई गई। डॉ. राममनोहर लोहिया ने इसे “दूसरा जालियांवाला बाग हत्याकांड” बताया।[1][2][3][4]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "1 जनवरी 1948, जब हुआ था आज़ाद भारत का 'जलियांवाला बाग़ कांड'". BBC News हिंदी. अभिगमन तिथि 2023-12-28.
- ↑ "1 जनवरी 1948 की यादें: आजाद भारत का पहला बड़ा गोलीकांड, अनगिनत आदिवासियों की हुई थी मौत.. जानिए वजह". Navbharat Times. अभिगमन तिथि 2023-12-28.
- ↑ "झारखंड की माटी कभी नहीं भुला सकती खरसावां के शहीदों की कुर्बानी". Lagatar (अंग्रेज़ी में). 2021-12-31. अभिगमन तिथि 2023-12-28.[मृत कड़ियाँ]
- ↑ "खरसावां गोलीकांड : 71 साल बाद भी भरे नहीं जख्म, आजाद भारत का जलियांवाला कांड". NEWSWING (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-12-28.
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