ख़ुदा के लिए
ख़ुदा के लिए (उर्दू: خدا کے لیے) 2007 की पाकिस्तानी ड्रामा फ़िल्म है।[1] इसका निर्देशन शोएब मंसूर ने किया है। इसका निर्माण पाकिस्तानी सेना के जनसंपर्क विभाग के ब्रिगेडियर सैयद मुजतबा तिर्मिज़ी ने किया है। इसमें शान शाहिद, फवाद खान और इमान अली ने मुख्य भूमिकाएँ निभाई हैं।[2] साथ ही इसमें नसीरुद्दीन शाह ने भी कैमियो किया है। इस फ़िल्म में मंसूर और सरमद नाम के दो गायक की ज़िंदगी अमेरिका में 9/11 के हमलों के बाद बदल जाती है।
ख़ुदा के लिए | |
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निर्देशक | शोएब मंसूर |
लेखक | शोएब मंसूर |
निर्माता |
अथर अब्बास सैयद मुजतबा तिर्मिज़ी |
अभिनेता |
शान शाहिद इमान अली रशीद नाज़ नसीरुद्दीन शाह फवाद खान नईम ताहिर हमीद शेख |
संपादक |
अली जावेद आमिर ख़ान ET |
प्रदर्शन तिथियाँ |
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लम्बाई |
171 मिनट |
देश | पाकिस्तान |
भाषायें |
अंग्रेजी उर्दू |
ख़ुदा के लिए 20 जुलाई 2007 को पाकिस्तान में और 4 अप्रैल 2008 को भारत में जारी हुई।[3] साथ ही कई अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म समारोहों में इसकी स्क्रीनिंग भी की गई। फ़िल्म ने बाद में अपने अभिनय के लिए कई पुरस्कार जीते। फिल्म की रिलीज़ दो कारणों से ऐतिहासिक थी: यह लगभग आधी सदी में भारत में रिलीज़ होने वाली पहली पाकिस्तानी फिल्म थी। दूसरा, यह पहली पाकिस्तानी फिल्म थी जिसे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में आधिकारिक चयन मिला था।
कहानी
संपादित करेंदो भाई मंसूर और सरमद लाहौर के दो सफल गायक हैं। सरमद एक मौलाना ताहिरी से प्रभावित हो जाता है। अब वह एक अधिक रूढ़िवादी इस्लामी जीवन शैली का अभ्यास करना शुरू कर देता है। वह अपने संगीत करियर को छोड़ देता है क्योंकि मौलाना इसे "हराम" मानते हैं। मरियम (मैरी), ब्रिटिश पाकिस्तानी लड़की है जो ब्रिटिश समुदाय के डेव से प्यार करती है। हालाँकि, यह उसके पिता को पसंद नहीं जबकि वह खुद एक ब्रिटिश महिला के साथ लिव-इन रिश्ते में है। इस बीच, मैरी के पिता उसे सरमद और मंसूर से मिलने के लिए पाकिस्तान ले जाने की योजना बनाते हैं। यात्रा के दौरान, उसके पिता उसे धोखे से रिश्तेदार की शादी में शामिल होने की आड़ में सीमा पार अफगानिस्तान ले जाते हैं। अफगानिस्तान में, उसकी जबरदस्ती उसके चचेरे भाई सरमद से शादी कर दी जाती है। मैरी गाँव से भागने की कोशिश करती है लेकिन सरमद द्वारा उसे पकड़ लिया जाता है। मौलाना की सलाह के अनुसार, वह अंततः उसके साथ बलात्कार करता है। परिणामस्वरूप, मैरी गर्भवती हो जाती है और सरमद का बच्चा पैदा कर देती है। इससे उसके भागने की संभावना कम हो जाती है।
इसके साथ ही, मंसूर शिकागो के एक संगीत विद्यालय में जाता है। जहाँ उसकी मुलाकात संगीत की छात्रा जैनी से होती है। वे प्यार में पड़ जाते हैं और जैनी उसके लिए शराब पीना बंद कर देती है। वे अंततः शादी कर लेते हैं। हालाँकि, 9/11 के तुरंत बाद, मंसूर को एफबीआई द्वारा गिरफ्तार कर लिया जाता है और उसे ग्वांतानामो बे हिरासत शिविर में एक साल तक हिरासत में रखा जाता है और प्रताड़ित किया जाता है।
वहीं सरमद के पिता ब्रिटिश सरकार के संरक्षण में मैरी को बचाते हैं। मैरी अपने पिता और पति को न्याय के लिए पाकिस्तान की अदालत में ले जाती है। वली (नसीरुद्दीन शाह), जो कि एक मौलाना है, अदालत को समझाता है कि कैसे युद्ध और नफरत के नाम पर इस्लाम का दुरुपयोग किया जा रहा है। सरमद ने जो भी दुख देखा और पैदा किया, उससे आहत होकर वह मामला वापस ले लेता है। उसे यह भी एहसास होता है कि उसने धर्म के नाम पर कितना नुकसान पहुँचाया है। मैरी अब आज़ाद है और लड़कियों को शिक्षित करने के लिए उस गाँव में लौटती है जहाँ वह कैदी थी। इस बीच, एक साल की यातना के बाद भी मंसूर अभी भी हिरासत में है। बाद में उसे निर्वासित कर दिया जाता है और पाकिस्तान में उसके परिवार के पास वापस भेज दिया जाता है। जहाँ वह ठीक होने लगता है।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ भारतवर्ष, TV9 (19 मई 2024). "नसीरुद्दीन शाह ने अपनी 17 साल पुरानी पाकिस्तानी फिल्म की तुलना कान्स में गई मंथन से कर दी". TV9 भारतवर्ष. अभिगमन तिथि 1 जुलाई 2024.
- ↑ "पाकिस्तान की ये Top 10 फिल्में बॉलीवुड को देती हैं टक्कर, 2 में तो हिंदुस्तानी एक्टर ने भी किया है काम". india.com. अभिगमन तिथि 1 जुलाई 2024.
- ↑ "Pakistani Movies List: पाकिस्तान की बेहतरीन फिल्में, जो हर किसी को जरूर देखनी चाहिए". india.com.