ख़ीवा
Khiva / Хива
ख़ीवा is located in Uzbekistan
ख़ीवा
ख़ीवा
उज़बेकिस्तान में स्थिति
सूचना
प्रांतदेश: ख़ोरज़्म प्रान्त, उज़बेकिस्तान
जनसंख्या (२००७): ५०,००० (अनुमानित)
मुख्य भाषा(एँ): उज़बेक
निर्देशांक: 41°23′N 60°22′E / 41.383°N 60.367°E / 41.383; 60.367

खीवा(उज़बेक: Хива, अंग्रेज़ी: Khiva) मध्य एशिया के उज़बेकिस्तान देश के ख़ोरज़्म प्रान्त में स्थित एक ऐतिहासिक महत्व का शहर है। इस क्षेत्र में हजारों वर्षों से लोग बसते आये हैं लेकिन यह शहर तब मशहूर हुआ जब यह ख़्वारेज़्म और ख़ीवा ख़ानत की राजधानी बना।[1]

ख़ीवा के अन्दर इचान क़ला (इचान क़िला) की दीवारें

अतिप्राचीन काल में ख़ीवा क्षेत्र में पूर्वी ईरानी भाषाएँ बोलने वाले लोग रहते थे लेकिन १०वीं सदी ईसवी के बाद यहाँ धीरे-धीरे तुर्की भाषाएँ बोलने वाले लोग बहुसंख्यक हो गए। १०वीं सदी में यहाँ से गुजरने वाले मुस्लिम यात्रियों ने इस शहर का वर्णन दिया जो अभी भी उपलब्ध है। १७वीं सदी की शुरुआत में यह शहर ख़ीवा ख़ानत की राजधानी बना। ख़ीवा ख़ानत पर चंगेज़ ख़ान के आस्त्राख़ान ख़ानत पर शासन करने वाले वंशजों की एक शाखा का राज था। १८७३ में रूसी साम्राज्य के कोन्स्तान्तीन फ़ोन फ़ाउफ़मान (Konstantin von Kaufman) नामक रणनीतिकार ने ख़ीवा पर हमला किया और उसका शहर पर २८ मई १८७३ को अधिकार हो गया। अब ख़ीवा ख़ानत रूसी साम्राज्य के अधीन थी लेकिन उसे नाम के लिए मुक्त रूप से चलने दिया गया। जब १९१७ में रूस में साम्यवादी (कोम्युनिस्ट) क्रान्ति हुई तो यहाँ कुछ समय की लिए एक 'ख़ोरज़्म जन सोवियत गणतंत्र' (Khorezm People's Soviet Republic) घोषित कर दिया गया और ख़ीवा ख़ानत हमेशा के लिए ख़त्म हो गई। १९२५ में इस गणतंत्र को सोवियत संघ में मिला लिया गया और खीवा शहर उज़बेकिस्तान का हिस्सा बन गया।[2]

 
ख़ीवा
 

गुलामों का बाजार

संपादित करें

मध्यकाल में ख़ीवा अपने दासों के बाज़ार के लिए प्रसिद्ध था जहाँ मनुष्यों को खरीदा-बेचा जाता था। अक्सर यहाँ ईरानी और रूसी लोग बेचे जाते थे। अक्सर कुछ तुर्कमान क़बीलों में यह प्रथा बन गई थी कि वह फ़सलें कटते ही पड़ोसी ईरान की बस्तियों में जाकर ज़बरदस्ती लोग लाकर उन्हें ख़ीवा में बेच देते थे।[3] रूस ने जब ख़ीवा पर क़ब्ज़ा करने के प्रयास शुरू किये तो उसने इस दास-प्रथा को ख़त्म करने को भी अपने एक मुख्य उद्देश्य बताया।[4]

आधुनिक काल में

संपादित करें

सोवियत संघ के ज़माने में सरकार ने फ़ैसला किया कि ख़ीवा के अंदरूनी शहर को भविष्य के लिए बिना-बदलाव के सुरक्षित किया जाएगा। इस क्षेत्र से लगभग सभी निवासियों को निकाल दिया गया। शहर के अंदरूनी भाग को इचान कला कहते हैं और इसके इर्द-गिर्द एक ईंटों की ऊँची दीवार है। इसके बीच में एक ऊँचा नीला बुर्ज है। इसे बनाने वाले ख़ान का इरादा अज़ान दिलवाने के लिए एक ऊँची मीनार बनाने का था लेकिन वह इसे पूरा करने से पहले ही मर गया और उसके बाद आने वाले ख़ान ने इसे अधूरा ही छोड़ दिया। कहा जाता है कि उसको यह अहसास हो गया की इस मीनार से अज़ान देने वाले मुल्लाह को ज़नाना-गृह में उसकी पत्नियाँ नज़र आएँगी। शहर के इस अंदरूनी इचान कला भाग में ५० ऐतिहासिक स्थल और २५० मध्यकालीन घर हैं। इस से बाहर वाले क्षेत्र को दिचान कला कहते हैं।

ख़ीवा के दृष्य

संपादित करें

इन्हें भी देखें

संपादित करें
  1. Central Asia: Kazakhstan, Tajikistan, Uzbekistan, Kyrgyzstan, Turkmenistan Archived 2015-04-06 at the वेबैक मशीन, Bradley Mayhew, pp. 252, Lonely Planet, 2007, ISBN 978-1-74104-614-4, ... When the Uzbek Shaybanids moved into the decaying Timurid empire in the early 16th century, one branch founded a state in Khorezm and made Khiva their capital in 1592. The town ran a busy slave market that was to shape the destiny of the khanate ...
  2. Land and Power in Khorezm: Farmers, Communities, and the State in Uzbekistan's Decollectivisation, Tommaso Trevisani, pp. 31, LIT Verlag Münster, 2010, ISBN 978-3-643-90098-2, ... It was also known as the khanate of Khiva until the Bolsheviks put an end to the tsarist protectorate with the proclamation of the Khorezm People's Soviet Republic in 1920 ...
  3. Journey to Khiva Through the Turkoman Country, 1819-20: A Journey from Orenburg to Bokhara in the Year 1820, Nikolaj N. Muraviev, Georg von Meyendorff, pp. 43, Taylor & Francis, 2004, ISBN 978-0-415-31643-9, ... No sooner is their harvest over than off they go a plundering to Persia, and dispose of their captives in the Khiva slave market ...
  4. Journey to Khiva: A Writers Search for Central Asia, Philip Glazebrook, Kodansha Amer Incorporated, 1996, ISBN 978-1-56836-074-4, ... General Peroffski led 5000 men out of Orenburg to march on Khiva, giving the plight of the Russian captives sold at Khiva's slave market as the excuse ...

बाहरी कड़ियाँ

संपादित करें