भागीरथ मांझी झारखण्ड क्षेत्र में आंदलनों के प्रणेता तिलका मांझी के पुत्र थे। तिलका मांझी को मांझी विद्रोह के बाद फांसी दे दी गई थी जिसके बाद भागीरथ मांझी ने इसका नेतृत्व किया।[1] उन्होंने खेरवार आंदोलन में भी नेतृत्व किया।[2]. भगीरथ मांझी का जन्म गोड्डा के तलड़िहा में खरवार जनजाति में हुआ था, इसे बाबाजी के नाम से जाना जाता था, इन्होंने 1874 में खरवार आंदोलन को प्रारंभ किया था। आंदोलन के दौरान भगीरथ मांझी ने खुद को बोंसी गांव का राजा घोषित किया।

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "HISTORY OF JHARKHAND" [झारखण्ड का इतिहास] (अंग्रेज़ी में). झारखण्ड सरकार. मूल से 23 अगस्त 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ८ दिसम्बर २०१३.
  2. एस॰ पी॰ सिन्हा. संग्रहीत प्रति (अंग्रेज़ी में). पृ॰ २०२. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788170224938. मूल से 14 दिसंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 दिसंबर 2013. नामालूम प्राचल |titile= की उपेक्षा की गयी (मदद)