गडकरी विद्रोह १८४४ में कोल्हापुर के आसपास के क्षेत्रों में अंग्रेजों के विरुद्ध किया गया एक विद्रोह था जिसमें गडकरियों की महत्वपूर्ण भूमिका थी।

गडकरी, मराठा क्षेत्र के दुर्गों में वंशानुगत सैनिक के रूप में काम किया करते थे जिसके बदले उन्हें कर-मुक्त जमीन मिला करती थी l ब्रिटिश शासन में उनकी छंटनी कर दी गई थी जिससे ये लोग बेकार हो गए और इनकी जमीनों भी कर आरोपित कर दिया गया। इसके विरोध में गडकरियों ने 1844 में विद्रोह किया।[1] इसका नेतृत्व बाबाजी अहिरेकर ने किया था। [2]

सामानगढ़ और कोल्हापुर गडकरी विद्रोह के प्रमुख केन्द्र थे। 1844 के पश्चात कोल्हापुर राज्य में प्रशासनिक पुनर्गठन होने के कारण लोगों में बहुत असंतोष उत्पन्न हो गया। बेगार का प्रश्न सम्मुख देखकर गढ़करियों ने विद्रोह कर दिया। गडकरियों ने 'समनगढ़' तथा 'भूदरगढ़' के दुर्गों को जीत लिया था। बाद में अंग्रेज़ों ने इस विद्रोह को कुचल दिया, और दुर्गों को फिर से प्राप्त कर लिया।