गणपतराव देवजी तपासे
15जुलाई 1909 को जन्में श्री तपासे का विवाह रखामिनीबाई से हुआ। 1938-46 के मध्य वे सतारा नगर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। उन्हें महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी का सदस्य नियुक्त किया गया । 1940 में उन्होंने सविनय अवज्ञा आन्दोलन में भाग लिया और जेल गये। भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान उन्हें पुनः जेल भेजा गया। 1946 में वे सतारा जिले से बम्बई विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। 1952 में वे बम्बई से ही पुनः विधानसभा के सदस्य नियुक्त हुए उन्हें मंत्री नियुक्त किया गया तथा वे 11 वर्ष तक मंत्री रहे। 1957 में उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का सदस्य बनाया गया। वे 1962 से 1968 तक राज्य सभा के सदस्य रहे। 1968 से 71 तक वे रेल सेवा आयोग बम्बई के अध्यक्ष रहे। 2 अक्टूबर 1977 को वे उत्तर प्रदेश के राज्यपाल नियुक्त हुए ।
गणपतराव देवजी तपासे | |
---|---|
पद बहाल 2 अक्तूबर 1977 – 27 फरवरी 1980 | |
पूर्वा धिकारी | मैरी चेन्ना रेड्डी |
उत्तरा धिकारी | चन्द्रेश्वर प्रताप नारायण सिंह |
पद बहाल 28 फरवरी 1980 – 13 जून 1984 | |
पूर्वा धिकारी | सुरजीत सिंह संधावालिया |
उत्तरा धिकारी | सैयद मुजफ्फर हुसैन बर्नी |
जन्म | 15 जुलाई 1909 मुम्बई , महाराष्ट्र |
मृत्यु | 03 अक्तूबर 1991 |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
जीवन संगी | रूक्मिनी बाई |
हरियाणा के राज्यपाल के रूप मे विवादित भूमिका
संपादित करेंजीडी तापसे 1980 के दशक में हरियाणा के राज्यपाल बनाए गए थे.
उस समय राज्य में देवीलाल के नेतृत्व वाली सरकार थी. साल 1982 में भजनलाल ने देवीलाल के कई विधायकों को पटा लिया.
राज्यपाल तापसे ने इसके बाद भजनलाल को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जिस पर देवीलाल ने कड़ा विरोध जताया.
देवीवाल अपने कुछ विधायकों को लेकर दिल्ली के एक होटल में चले गए, पर विधायक वहां से निकलने में कामयाब रहे. अंत में भजनलाल ने विधानसभा में बहुमत साबित कर दिया और सरकार बनाने में कामयाब हुए.
सन्दर्भ
संपादित करेंhttps://web.archive.org/web/20160418180040/http://upgovernor.gov.in/hindi_version/tapasebio_H.htm