गति (भौतिकी)

(गति से अनुप्रेषित)

यदि कोई वस्तु अन्य वस्तुओं की तुलना में समय के सापेक्ष में स्थान परिवर्तन करती है, तो वस्तु की इस अवस्था को गति (motion/मोशन) कहा जाता है।

किसी ग्रह के चारो ओर उसके किसी उपग्रह की गति; इसमें ग्रह के ताक्षणिक वेग और त्वरण की दिशा पर ध्यान दीजिये।
स्प्रिंग द्वारा लटका द्रव्यमान सरल आवर्त गति कर रहा है

सामान्य शब्दों में गति का अर्थ - वस्तु की स्थिति में परिवर्तन गति कहलाती है।

गति (Motion)= यदि कोई वस्तु अपनी स्थिति अपने चारों ओर कि वस्तुओं की अपेक्षा बदलती रहती है तो वस्तु की इस स्थिति को गति कहते है। जैसे- नदी में चलती हुई नाव, वायु में उडता हुआ वायुयान आदि।

परिभाषाएँ

संपादित करें

दूरी (distance): किसी दिए गए समयान्तराल में वस्तु द्वारा तय किए गए मार्ग की लंबाई को दूरी कहते हैं। यह एक अदिश राशि है। यह सदैव धनात्मक (+ve) होती हैं।

विस्थापन (displacement): एक निश्चित दिशा में दो बिन्दुओं के बीच की लंबवत दूरी को विस्थापन कहते है। यह सदिश राशि है। इसका S.I. मात्रक मीटर है। विस्थापन धनात्मक, ऋणात्मक और शून्य कुछ भी हो सकता है।

चाल (speed): किसी वस्तु के दूरी की दर को चाल कहते हैं। अथार्त चाल = दूरी / समय यह एक अदिश राशि है। इसका S.I. मात्रक मीटर/सेकंड है।

वेग (velocity ): किसी वस्तु के विस्थापन की दर को या एक निश्चित दिशा में प्रति सेकंड वस्तु द्वारा तय की विस्थापन को वेग कहते हैं। यह एक सदिश राशि है। इसका S.I. मात्रक मीटर/सेकंड है। संवेग(momentum): किसी वस्तु के द्रव्यमान और वेग का गुणनफल उस वस्तु का संवेग कहलाता है।

संवेग = वेग × द्रव्यमान
SI मात्रक- किग्रा × मी/से

त्वरण (acceleration): किसी वस्तु के वेग में परिवर्तन की दर को त्वरण कहते हैं। इसका S.I. मात्रक मी/से2 है। यदि समय के साथ वस्तु का वेग घटता है तो त्वरण ऋणात्मक होता है, जिसे मंदन (retardation ) कहते हैं।

गति के प्रकार

(१) रैखिक गति- जब कोई वस्तु किसी सरल या वर्क रेखा पर गति करती है, तो इस प्रकार की गति को रैखिक गति कहते है!

(२) वृतीय गति- जब कोई वस्तु किसी वृताकार पथ पर गतिमान हो तो, इस प्रकार की गति को वृतीय गति कहते है!

(३) दोलनी गति- जब कोई वस्तु किसी निश्चित बिंदु के आगे-पीछे या ऊपर-नीचे गति करती है, तो इस प्रकार की गति को दोलनी गति कहते हैं!

(४) आवर्त गति- वैसी गति जिसमे कोई कण किसी निश्चित समय अंतराल के बाद दुहरावे, तो इस प्रकार की गति को आवर्त गति कहते है!

(५) अनियमित गति- जब कोई वस्तु अपनी गति की दिशा अनियमत रूप से परिवर्तित करती रहती है, तो इस प्रकार की गति को अनियमित गति कहते हैं!

(६) घूर्णन गति- वैसी गति जिसमे कोई कण किसी बिंदु के चारो ओर बिना स्थान परिवर्तन के घूमता हो, तो उस प्रकार की गति को घूर्णन गति कहते हैं!

इन्हें भी देखें

संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ

संपादित करें