गदा, एक प्राचीन भारतीय पौराणिक आयुध है। इसमें एक लम्बा दण्ड होता है ओर उसके एक सिरे पर भारी गोल लट्टू सरीखा शीर्ष होता है। दण्ड पकड़कर शीर्ष की ओर से शत्रु पर प्रहार किया जाता था। इसका प्रयोग बल सापेक्ष्य और अति कठिन माना जाता था। गदा हनुमान (जो कि भगवान शिव के ८वें अवतार हैं) का मुख्य हथियार है। हनुमान को बल-सौष्ठव (विशेषकर पहलवानी) का देवता माना जाता है। हिन्दू धर्म में त्रिदेव में से भगवान शिव (शिवमहापुराण के अनुसार शिव की गदा का नाम एकक्षा है) और भगवान विष्णु भी एक हाथ में गदा (कौमोदकी) धारण करते हैं। इसके अतरिक्त महाभारत में भीमसेन ( पवन देव के पुत्र) ,दुर्योधन,दुश्शासन ,बलराम( शेषनाग के अवतार ), आदि जैसे पराक्रमी योद्धा का भी गदा मुख्य आयुध रहे है। भगवान विष्णु के गदा की कई कथाएं पुराणों में प्रसिद्ध 1 हनुमान जी के गदा के संबंध में कई पौराणिक कथाएं हैं।

थ्रीपुलियूर महाविष्णु मन्दिर में भीम विशाल गदा की मूर्ति।

गदा युद्ध संपादित करें

गदा युद्ध की चर्चा प्राचीन साहित्य में बहुत हुई हैं। महाकाव्य महाभारत में भीमसेन, दुर्योधन दु:शाशन , जरासन्ध, बलराम आदि योद्धा गदा युद्ध के प्रसिद्ध विशेषज्ञ थे। गदा को बीस प्रकार से संचालित किया जा सकता है। अग्नि पुराण में गदा युद्ध के आहत, गोमूत्र, प्रभृत, कमलासन, ऊर्ध्वगत्र, नमित, वामदक्षिण, आवृत्त, परावृत्त, पदोद्धृत, अवप्लत, हंसमार्ग और विभाग नामक प्रकारों का उल्लेख हैं। महाभारत में भी कई प्रकारों के गदायुद्ध और कौशल का विस्तृत वर्णन है।

बारूद के द्वारा गदा को प्रक्षेपास्त्र के तौर पर भी प्रयोग किया जदा सकता है। इस रूप में इसका मुख्य प्रयोग शत्रु पर एक ऊँचे स्थान से या दोनों ओर से (विशेषकर गौमूत्र द्वारा) प्रक्षेपित करके शत्रु दल में भय फैलाने के लिये किया जाता था।[1]

व्यायाम उपकरण के तौर पर संपादित करें

 
हाथ में गदा लिये गामा पहलवान

गदा भारतीय संस्कृति में एक पारम्परिक अभ्यास उपकरण है। अभ्यासकर्ता की क्षमता तथा स्तर के अनुसार विभिन्न भार तथा ऊँचाई की गदा प्रयोग की जाती हैं। अभ्यास के लिये गदा को पीछे की ओर विभिन्न तरीकों से घुमाया जाता है। यह विशेषकर पकड़ मजबूत करने तथा कन्धों की ताकत बढ़ाने में कारगर है। आधुनिक समय में गामा पहलवान को गदा के प्रयोग के लिये जाना जाता था। अक्सर कुश्ती प्रतियोगिताओं में विजेता को गदा देकर सम्मानित किया जाता है।

आजकल गदा का उपयोग व्यायाम के निमित्त ही होता है। उत्तर भारत के पहलवानी अखाड़ों में इसका विशेष प्रचार है। मुगदर (लकड़ी का बना गदा का एक रूप) को कसरत के लिये प्रयोग किया जाता है। पहलवान एक हाथ अथवा दोनों में गदा लेकर आगे, पीछे, ऊपर तथा नीचे घुमाते हैं। इससे हाथ और वक्ष के स्नायु मजबूत होते हैं।

कराटे में कंडीशनिंग के लिये प्रयुक्त होने वाला एक उपकरण चीसी तथा इसकी कसरत की शैली गदा तथा मुगदर से प्रेरित है। पश्चिमी देशों में प्रचलित वार क्लब (लड़ाई में प्रयुक्त होने वाले गदा जैसे उपकरण) भी गदा से प्रेरित हैं।[2]

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "Weapons of War in Hindu Literature". मूल से 3 दिसंबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 नवंबर 2012.
  2. "Club History". मूल से 7 जुलाई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 नवंबर 2012.