गिरधारी राम गोंझू
गिरधारी राम गोंझू नागपुरी भाषा के एक प्रमुख साहित्यकार और विद्वान थे। वे झारखंड राज्य के रांची विश्वविद्यालय में जनजातीय-क्षेत्रीय भाषा विभाग के पूर्व अध्यक्ष थे। उन्हें 2022 में मरणोपरांत झारखंड में साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया।[1][2]
गिरधारी राम गोंझू | |
---|---|
जन्म | 15 दिसंबर 1949 बेलवादाग, खुंटी जिला, झारखंड, भारत |
मौत | 15 अप्रैल 2021 | (उम्र 81 वर्ष)
पेशा | लेखक, अधयापक |
भाषा | |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
उल्लेखनीय कामs |
|
खिताब | पद्म श्री (2022) झारखंड रत्न |
जीवनसाथी | सरस्वती देवी |
उल्लेखनीय कार्य
संपादित करेंगोंझू ने 1975 में गुमला के चैनपुर में परमबीर अल्बर्ट एक्का मेमोरियल कॉलेज में प्रोफेसर के रूप में अपना शिक्षण करियर शुरू किया। बाद में वे 1978 में गोसनर कॉलेज राँची में प्रोफेसर थे। तब वे राँची कॉलेज और राँची विश्वविद्यालय के प्रोफेसर थे। वह राँची विश्वविद्यालय में आदिवासी और क्षेत्रीय भाषा विभाग के विभागाध्यक्ष थे। उन्होंने झारखण्ड की सांस्कृतिक विरासत, नागपुरी के प्राचीन कवि, झारखण्ड के लोकगीत, झारखण्ड के बढ़ यंत्र, सदानी नागपुरी व्याकरण, नागपुरी शब्दकोश, मातृभाषा की भूमिका, खुखड़ा-रगड़ी, ऋतु के रंग मंदार के संग, महाबली राधे कर बलिदान, झारखण्ड का अमर पुत्र: मारंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा, महाराजा मद्रा मुंडा और अखरा निंदाय गेलक आदि सहित 25 से अधिक पुस्तकें लिखी थीं।[3]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "झारखंड के डॉ गिरधारी राम गौंझू को मरणोपरांत पद्मश्री सम्मान, लेखन के क्षेत्र में लगातार रहे सक्रिय". prabhatkhabar. 25 जनवरी 2022. अभिगमन तिथि 28 सितंबर 2022.
- ↑ "झारखंड के प्रख्यात शिक्षाविद गिरधारी राम गंझू को मरणोपरांत पद्म श्री". news11. 26 जनवरी 2022. अभिगमन तिथि 3 सितंबर 2022.
- ↑ "गिरधारी राम गोंझू के परिजनों को दी बधाई". livehindustan. 27 जनवरी 2022. अभिगमन तिथि 4 फरवरी 2022.