गिरीश चन्द्र बसु
गिरीश चंद्र बसु (29 अक्टूबर, 1853 - 1 जनवरी 1939) एक भारतीय शिक्षक और वनस्पतिशास्त्री थे।
आरम्भिक जीवन और शिक्षा
संपादित करेंगिरीश चन्द्र बसु का जन्म 29 अक्टूबर, 1853 को भारत के बर्दवान जिले के बेरुग्राम गाँव में हुआ था। उन्होंने हुगली कॉलेज में पढ़ाई की, और 1876 में बीए की डिग्री प्राप्त की। स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद, उन्हें रेनशॉ कॉलेज में विज्ञान के व्याख्याता के रूप में नियुक्त किया गया, जहाँ उन्होंने 1881 तक काम किया। [1] [2]
1881 के अंत में, उन्हें इंग्लैंड के सिरेनसेस्टर में रॉयल एग्रीकल्चर कॉलेज में कृषि का अध्ययन करने के लिए राज्य छात्रवृत्ति की पेशकश की गई थी। [3] 1882 में उन्होंने रॉयल एग्रीकल्चरल सोसाइटी की आजीवन सदस्यता ग्रहण की और 1883 में केमिकल सोसाइटी के फेलो चुने गए। [4] उन्होंने 1884 में रॉयल एग्रीकल्चर कॉलेज में अपनी डिग्री पूरी की। स्कॉटलैंड, फ्रांस और इटली की यात्रा के बाद वे भारत लौट आए। [1] [4]
बंगबासी स्कूल और कॉलेज
संपादित करेंजब वे इंग्लैंड में थे तभी वे व्यापक शिक्षा के महत्व में विश्वास करने लगे थे। [1] अपनी वापसी के तुरन्त बाद विभिन्न प्रांतीय सरकारों से रोजगार के प्रस्ताव मिले किन्तु उन्होंने उन सब्को ठुकरा दिया। 1885 में उन्होंने बंगबासी स्कूल की स्थापना की, जिसका उद्देश्य विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षाओं के लिए लड़कों को तैयार करना था। कॉलेज स्तर की कक्षाओं (बंगबासी कॉलेज में) को जोड़ने के लिए संस्थान का विस्तार 1887 में किया गया था। अपने जीवन के अंत तक कॉलेज के प्रशासन में वे शामिल रहे। [1] [2]
बोस ने जिस महाविद्यालय की स्थापना की वह अभी भी कुछ अलग रूप में चल रहा है। इसे 1960 के दशक में आचार्य गिरीश चंद्र बोस कॉलेज, बंगबासी मॉर्निंग कॉलेज, बंगबासी इवनिंग कॉलेज और बंगबासी कॉलेज के रूप में पुनर्गठित किया गया था। [5]
वनस्पति विज्ञान सम्बन्धी कार्य
संपादित करेंगिरीश चन्द्र बसु ने 'ए मैनुअल ऑफ इंडियन बॉटनी ' नाम से वनस्पतिशास्त्र की एक पुस्तक की रचना की। पुस्तक का उद्देश्य यह थ कि इसमें उन वनस्पतियों को शामिल किया जाय जिनसे भारतीय छात्र परिचित हों। उस समय भारत में आमतौर पर उपयोग की जाने वाली यूरोपीय पाठ्यपुस्तकों में ऐसा नहीं था। [6] उन्हें भारत में पहली कृषि पत्रिका शुरू करने का श्रेय भी दिया जाता है। [7] 1885 में स्थापित यह पत्रिका, अंग्रेजी ( कृषि राजपत्र के रूप में) और बंगाली ( कृषि राजपत्र के रूप में) दोनों में प्रकाशित हुई थी। [8]
मृत्यु
संपादित करेंअल्प समय की बीमारी के बाद 1 जनवरी, 1939 को उनका का निधन हो गया। [1]
ग्रन्थ रचना
संपादित करें- Bose, Girish Chandra (1920). A Manual of Indian Botany. Bombay, London, and Glasgow: Blackie and Son Limited. LCCN 2002564362.
इस अंग्रेजी भाषा की पुस्तक के अलावा, बोस ने बंगाली में कई किताबें भी प्रकाशित की, जिनमें शामिल हैं:
- भू-तत्व (1882)
- कृषि सोपान (1888)
- कृषि परिचय (1890)
- गाछेर कथा (1910)
- उद्भिद ज्ञान (1923-25)
संदर्भ
संपादित करें- ↑ अ आ इ ई उ Palit, B. K. (November 1939). "Girish Chandra Bose (obituary)". The Calcutta Review. 3. Calcutta: Calcutta University. 72: 153–160.
- ↑ अ आ "Our Founder". Bangabasi College Centenary Commemoration Volume. Calcutta: Bangabasi College. 1987. मूल से 8 दिसंबर 2022 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 अक्तूबर 2022.
- ↑ Pal, Bipin Chandra (1932). Memories of My Life and Times (अंग्रेज़ी में). Modern Book Agency.
- ↑ अ आ Sen, S. P. (1972). Dictionary of National Biography Vol.1. Institute of Historical Studies, Calcutta. पपृ॰ 212–213. अभिगमन तिथि 15 December 2019.
- ↑ "Welcome". Acharya Girish Chandra Bose College. अभिगमन तिथि December 13, 2019.
- ↑ Bose, Girish Chandra (1920). "Foreword". A Manual of Indian Botany. Bombay, London, and Glasgow: Blackie and Son Limited. LCCN 2002564362.
- ↑ Nair, P. Thankappan (1987). A History of Calcutta's Streets (अंग्रेज़ी में). Firma KLM. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780836419344.
- ↑ Palit, Chittabrata (June 1, 2016). "Girish Chandra Bose and Agricultural Journalism". Indian Journal of History of Science. Indian National Science Academy. 51 (2): 273–279. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0019-5235. डीओआइ:10.16943/ijhs/2016/v51i2/48438.